Comments - दोहा सप्तक -६( लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' ) - Open Books Online2024-03-29T00:18:32Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1076512&xn_auth=noआ. भाई वृजेशजी, सादर अभिवादन।…tag:openbooks.ning.com,2022-01-24:5170231:Comment:10776812022-01-24T14:40:19.451Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई वृजेशजी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति व प्रशंसा के लिए धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई वृजेशजी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति व प्रशंसा के लिए धन्यवाद।</p> वाह वाह आदरणीय धामी जी...उत्त…tag:openbooks.ning.com,2022-01-17:5170231:Comment:10768872022-01-17T17:32:33.184Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
<p>वाह वाह आदरणीय धामी जी...उत्तम दोहे...</p>
<p>वाह वाह आदरणीय धामी जी...उत्तम दोहे...</p> आ. भाई आजी तमाम जी, सादर अभिव…tag:openbooks.ning.com,2022-01-16:5170231:Comment:10768452022-01-16T00:45:18.959Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p> वाह वाह वाह वाह हर इक दोहा दि…tag:openbooks.ning.com,2022-01-15:5170231:Comment:10770162022-01-15T07:26:29.286ZAazi Tamaamhttp://openbooks.ning.com/profile/AaziTamaa
<p>वाह वाह वाह वाह हर इक दोहा दिल में उतर गया बेहद सुंदर दोहे कहे आ धामी सर आपने दिल से बधाई</p>
<p>वाह वाह वाह वाह हर इक दोहा दिल में उतर गया बेहद सुंदर दोहे कहे आ धामी सर आपने दिल से बधाई</p> आ. भाई शरद जी, सादर अभिवादन।…tag:openbooks.ning.com,2022-01-07:5170231:Comment:10764472022-01-07T03:07:06.123Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई शरद जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई शरद जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p> आदरणीय भाई दयाराम जी, सादर अभ…tag:openbooks.ning.com,2022-01-06:5170231:Comment:10763792022-01-06T17:36:01.453Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<div align="left"><p dir="ltr">आदरणीय भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। दोहा सप्तक पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।<br></br> सबसे पहले यह बात स्पष्प तौर पर समझ लीजिए कि यह मंच हम सभी के लिए सीखने सिखाने का माध्यम है। उसके अंतर्गत एक पाठक के तौर पर किसी भी रचना पर अपने विचार रखना ही परम्परा है। आप वरिष्ठ हैं। आपके सुझावों का तहेदिल से स्वागत है।</p>
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<div align="left"><p dir="ltr">1. <br></br> //. सीख सिन्धु से सीखिये ....करके देखिये।// <br></br> वस्तः सुझाव उचित है किन्तु इससे मूल भाव और…</p>
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<div align="left"><p dir="ltr">आदरणीय भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। दोहा सप्तक पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।<br/> सबसे पहले यह बात स्पष्प तौर पर समझ लीजिए कि यह मंच हम सभी के लिए सीखने सिखाने का माध्यम है। उसके अंतर्गत एक पाठक के तौर पर किसी भी रचना पर अपने विचार रखना ही परम्परा है। आप वरिष्ठ हैं। आपके सुझावों का तहेदिल से स्वागत है।</p>
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<div align="left"><p dir="ltr">1. <br/> //. सीख सिन्धु से सीखिये ....करके देखिये।// <br/> वस्तः सुझाव उचित है किन्तु इससे मूल भाव और कहन प्रभावित हो रहा।<br/> 2. सत्ता हित करते मगर, ....करके देखिये। <br/> 3. शासन भर देते रहे,.....शासन कर देते रहे,<br/> 4. उड़ जाते हैं सत्य है,.......उड़ जाते ये सत्य है,//</p>
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<div align="left"><p dir="ltr">ये तीनों सुझाव</p>
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<div align="left"><p dir="ltr">उत्तम</p>
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<div align="left"><p dir="ltr">हैं</p>
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<div align="left"><p dir="ltr"><br/> 5. खान पान के ढंग अब,// इसमें रंग ही उचित है। सादर</p>
</div> आदरणीय Methani जी की सरलता व…tag:openbooks.ning.com,2022-01-06:5170231:Comment:10762052022-01-06T11:42:32.703ZSHARAD SINGH "VINOD"http://openbooks.ning.com/profile/Sharadsinghvinod
आदरणीय Methani जी की सरलता व 'मुसाफिर' जी की रचना दोनों सराहनीय ……
आदरणीय Methani जी की सरलता व 'मुसाफिर' जी की रचना दोनों सराहनीय …… आदरणीय लक्ष्मण धामीजी, दोहा स…tag:openbooks.ning.com,2022-01-06:5170231:Comment:10762032022-01-06T08:44:34.644ZDayaram Methanihttp://openbooks.ning.com/profile/DayaramMethani
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामीजी, दोहा सप्तक पढ़ा। बहुत अच्छे दोहे लिखे आपने इस हेतु बधाई स्वीकार करें। मैं इस लायक तो नहीं हूं कि आपको सुझाव दूं किंतु मन में आया है इसलिये यहाँ लिख रहा हूं। यदि कुछ गलत हो तो क्षमा करें।</p>
<p>1. सीख सिन्धु से सीख ये ..... सीख सिन्धु से सीखिये ....करके देखिये।<br></br>2. सत्ता को करते मगर,......सत्ता हित करते मगर, ....करके देखिये।<br></br>3. शासन भर देते रहे,.....शासन कर देते रहे,<br></br>4. उड़ जाते हैं सत्य है,.......उड़ जाते ये सत्य है,<br></br>5. खान पान के रंग अब, ........खान पान…</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामीजी, दोहा सप्तक पढ़ा। बहुत अच्छे दोहे लिखे आपने इस हेतु बधाई स्वीकार करें। मैं इस लायक तो नहीं हूं कि आपको सुझाव दूं किंतु मन में आया है इसलिये यहाँ लिख रहा हूं। यदि कुछ गलत हो तो क्षमा करें।</p>
<p>1. सीख सिन्धु से सीख ये ..... सीख सिन्धु से सीखिये ....करके देखिये।<br/>2. सत्ता को करते मगर,......सत्ता हित करते मगर, ....करके देखिये।<br/>3. शासन भर देते रहे,.....शासन कर देते रहे,<br/>4. उड़ जाते हैं सत्य है,.......उड़ जाते ये सत्य है,<br/>5. खान पान के रंग अब, ........खान पान के ढंग अब,</p>
<p>आदरणीय, ये मेरी मंद बुद्धि की सलाह है। इसे अन्यथा ना लें। सादर।</p>