Comments - सिर्फ सुख में रहें सब नये वर्ष में - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' - Open Books Online2024-03-29T13:45:22Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1076338&xn_auth=noआ. भाई बृजेश जी सादर अभिवादन।…tag:openbooks.ning.com,2022-01-19:5170231:Comment:10772182022-01-19T11:02:15.475Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई बृजेश जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद। </p>
<p>मपनी गलत लिख गयी है इसे यूँ देखें</p>
<p><a>२१२/२ १२/२१२/२१२</a></p>
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<p>आ. भाई बृजेश जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद। </p>
<p>मपनी गलत लिख गयी है इसे यूँ देखें</p>
<p><a>२१२/२ १२/२१२/२१२</a></p>
<p></p> बहुत बढ़िया कहा आदरणीय धामी जी…tag:openbooks.ning.com,2022-01-17:5170231:Comment:10770792022-01-17T17:26:44.044Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
<p>बहुत बढ़िया कहा आदरणीय धामी जी...इस मापनी में पहली ग़ज़ल पढ़ी है....</p>
<p>बहुत बढ़िया कहा आदरणीय धामी जी...इस मापनी में पहली ग़ज़ल पढ़ी है....</p>