Comments - दोहा मुक्तक - Open Books Online2024-03-28T14:54:23Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1074414&xn_auth=noआदरणीय सुशील सरना जी आदाब, शा…tag:openbooks.ning.com,2021-12-16:5170231:Comment:10748912021-12-16T05:07:13.207Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, शानदार दोहा मुक्तक हुए हैं, बधाई स्वीकार करें। सादर। </p>
<p>आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, शानदार दोहा मुक्तक हुए हैं, बधाई स्वीकार करें। सादर। </p> आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन…tag:openbooks.ning.com,2021-12-16:5170231:Comment:10750552021-12-16T04:15:58.166Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर दोहा मुक्तक हुए हैं। हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर दोहा मुक्तक हुए हैं। हार्दिक बधाई।</p> आदरणीय समर कबीर जी आदाब, सृजन…tag:openbooks.ning.com,2021-12-13:5170231:Comment:10748722021-12-13T07:55:14.757ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
आदरणीय समर कबीर जी आदाब, सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा और सुझाव का हार्दिक आभारी है ।सहमत एवं संशोधित
आदरणीय समर कबीर जी आदाब, सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा और सुझाव का हार्दिक आभारी है ।सहमत एवं संशोधित जनाब सुशील सरना जी आदाब, दोहा…tag:openbooks.ning.com,2021-12-10:5170231:Comment:10750082021-12-10T09:07:37.503ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सुशील सरना जी आदाब, दोहा मुक्तक का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><span>'मन ने मन को मिलन की, दी मन में सौगात'</span></p>
<p><span>इस पंक्ति के विषम चरण में 212 चाहिए,इसे उचित लगे तो यूँ कह सकते हैं:-</span></p>
<p><span>"मन ने मन को वस्ल की, दी मन में सौग़ात"</span></p>
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<p>जनाब सुशील सरना जी आदाब, दोहा मुक्तक का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><span>'मन ने मन को मिलन की, दी मन में सौगात'</span></p>
<p><span>इस पंक्ति के विषम चरण में 212 चाहिए,इसे उचित लगे तो यूँ कह सकते हैं:-</span></p>
<p><span>"मन ने मन को वस्ल की, दी मन में सौग़ात"</span></p>
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