Comments - अब तो इंसाफ भी करें साहिब.......ग़ज़ल सालिक गणवीर - Open Books Online2024-03-29T10:35:21Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1073223&xn_auth=noजनाब सालिक गणवीर जी आदाब, अच्…tag:openbooks.ning.com,2021-12-04:5170231:Comment:10744172021-12-04T09:10:43.415Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। शे'र नं. 4 पर गुणीजनों से सहमत हूँ, मिसरा -</p>
<p>'इतना अफ़सोस है अगर '<strong>फिर तो'</strong> में <strong>'तुम को'</strong> कह कर देखें। सादर। </p>
<p>जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। शे'र नं. 4 पर गुणीजनों से सहमत हूँ, मिसरा -</p>
<p>'इतना अफ़सोस है अगर '<strong>फिर तो'</strong> में <strong>'तुम को'</strong> कह कर देखें। सादर। </p> आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अ…tag:openbooks.ning.com,2021-12-02:5170231:Comment:10745102021-12-02T07:02:56.312Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई।</p> आदरणीया Rachna दी सादर नमस्क…tag:openbooks.ning.com,2021-11-18:5170231:Comment:10737472021-11-18T06:52:35.390Zसालिक गणवीरhttp://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीया <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/RachnaBhatia" class="fn url">Rachna</a> दी <br/>सादर नमस्कार <br/>ग़ज़ल पर आपकी आमद और सराहना के लिए हार्दिक आभार. इस्लाह के लिए बहुत शुक्रिया</p>
<p>आदरणीया <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/RachnaBhatia" class="fn url">Rachna</a> दी <br/>सादर नमस्कार <br/>ग़ज़ल पर आपकी आमद और सराहना के लिए हार्दिक आभार. इस्लाह के लिए बहुत शुक्रिया</p> आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी…tag:openbooks.ning.com,2021-11-18:5170231:Comment:10736752021-11-18T06:51:51.538Zसालिक गणवीरhttp://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar" class="fn url">बृजेश कुमार 'ब्रज'</a> जी <br/>सादर नमस्कार <br/>ग़ज़ल पर आपकी आमद और सराहना के लिए हार्दिक आभार. </p>
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar" class="fn url">बृजेश कुमार 'ब्रज'</a> जी <br/>सादर नमस्कार <br/>ग़ज़ल पर आपकी आमद और सराहना के लिए हार्दिक आभार. </p> आदरणीय Sushil Sarna जी सादर…tag:openbooks.ning.com,2021-11-18:5170231:Comment:10736742021-11-18T06:51:05.196Zसालिक गणवीरhttp://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna" class="fn url">Sushil Sarna</a><span> </span> जी <br/>सादर नमस्कार <br/>ग़ज़ल पर आपकी आमद और सराहना के लिए हार्दिक आभार. </p>
<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna" class="fn url">Sushil Sarna</a><span> </span> जी <br/>सादर नमस्कार <br/>ग़ज़ल पर आपकी आमद और सराहना के लिए हार्दिक आभार. </p> आदरणीय सालिक गणवीर जी बेहतरीन…tag:openbooks.ning.com,2021-11-17:5170231:Comment:10736012021-11-17T04:37:16.502ZRachna Bhatiahttp://openbooks.ning.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय सालिक गणवीर जी बेहतरीन रदीफ़ के साथ आपने अच्छी ग़ज़ल कही। हार्दिक बधाई।</p>
<p>4 समझने में मुश्किल आ रही है।</p>
<p>5 में "अगर फिर तो" को आपको है तो में बदल सकते हैं।</p>
<p>सादर।</p>
<p></p>
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<p>आदरणीय सालिक गणवीर जी बेहतरीन रदीफ़ के साथ आपने अच्छी ग़ज़ल कही। हार्दिक बधाई।</p>
<p>4 समझने में मुश्किल आ रही है।</p>
<p>5 में "अगर फिर तो" को आपको है तो में बदल सकते हैं।</p>
<p>सादर।</p>
<p></p>
<p></p> बढ़िया कहा आदरणीय सालिक जी...ब…tag:openbooks.ning.com,2021-11-15:5170231:Comment:10737102021-11-15T12:57:26.427Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
<p>बढ़िया कहा आदरणीय सालिक जी...बधाई</p>
<p>बढ़िया कहा आदरणीय सालिक जी...बधाई</p> वाह बहुत सुंदर गजल बनी है सर…tag:openbooks.ning.com,2021-11-14:5170231:Comment:10733252021-11-14T07:15:02.160ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
वाह बहुत सुंदर गजल बनी है सर । हार्दिक बधाई
वाह बहुत सुंदर गजल बनी है सर । हार्दिक बधाई आदरणीय भाई Nilesh Shevgaonka…tag:openbooks.ning.com,2021-11-14:5170231:Comment:10730912021-11-14T07:05:26.095Zसालिक गणवीरhttp://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय भाई <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/NileshShevgaonkar" class="fn url">Nilesh Shevgaonkar</a> जी <br/>सादर नमस्कार <br/>बड़ी मेहरबानी जो आप मेरी ग़ज़ल तक आये और हौसला अफ़ज़ाई की,आपका तह-ए दिल से शुक्रगुज़ार हूँ। आपके सुझाव पर अमल ज़रूर होगा जनाब ,.सलामत रहें.</p>
<p>आदरणीय भाई <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/NileshShevgaonkar" class="fn url">Nilesh Shevgaonkar</a> जी <br/>सादर नमस्कार <br/>बड़ी मेहरबानी जो आप मेरी ग़ज़ल तक आये और हौसला अफ़ज़ाई की,आपका तह-ए दिल से शुक्रगुज़ार हूँ। आपके सुझाव पर अमल ज़रूर होगा जनाब ,.सलामत रहें.</p> आ. सालिक जी अच्छी ग़ज़ल हुई है…tag:openbooks.ning.com,2021-11-14:5170231:Comment:10731842021-11-14T05:51:57.759ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooks.ning.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>आ. सालिक जी <br/>अच्छी ग़ज़ल हुई है ..<br/><strong>दे भी दें ज़बान सिखाने वाला जुमला है कि कहाँ ए आएगा और कहाँ अनुस्वार के साथ ए आएगा.<br/> </strong>शिल्पगत रूप से ग़ज़ल परिपक्व है.. भाव के लिहाज से शेर थोड़े कमज़ोर हैं.. जैसे <br/><span>पीठ पर भी कभी लिखें साहिब.. इस मिसरे का कोई औचित्य नहीं प्रतीत होता .. आप से भविष्य में सुदृढ़ भावों की अपेक्षा है..<br/></span>बधाई </p>
<p>आ. सालिक जी <br/>अच्छी ग़ज़ल हुई है ..<br/><strong>दे भी दें ज़बान सिखाने वाला जुमला है कि कहाँ ए आएगा और कहाँ अनुस्वार के साथ ए आएगा.<br/> </strong>शिल्पगत रूप से ग़ज़ल परिपक्व है.. भाव के लिहाज से शेर थोड़े कमज़ोर हैं.. जैसे <br/><span>पीठ पर भी कभी लिखें साहिब.. इस मिसरे का कोई औचित्य नहीं प्रतीत होता .. आप से भविष्य में सुदृढ़ भावों की अपेक्षा है..<br/></span>बधाई </p>