Comments - एक ताज़ा ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-28T20:12:05Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1064425&xn_auth=noजनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' ज…tag:openbooks.ning.com,2021-08-03:5170231:Comment:10662182021-08-03T09:16:18.636ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।</p>
<p>जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।</p> मुहतरमा रोज़िना जी आदाब, ग़ज़ल क…tag:openbooks.ning.com,2021-08-03:5170231:Comment:10660722021-08-03T09:15:05.463ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>मुहतरमा रोज़िना जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।</p>
<p>मुहतरमा रोज़िना जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।</p> जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब, ग़ज़…tag:openbooks.ning.com,2021-08-03:5170231:Comment:10663162021-08-03T09:14:02.761ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।</p>
<p>जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।</p> आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन।…tag:openbooks.ning.com,2021-08-01:5170231:Comment:10656342021-08-01T05:51:38.293Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल नजर से चूक जाने के कारण उपस्थिति विलम्ब से हुई है। गजल का हर शेर अपने आप में पूरी गजल जैसा है। मेरे लिए यह सदाबहार और सहेजने वाली गजल हुई है । ढेरों बधाइयाँ स्वीकार करें । सादर..</p>
<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल नजर से चूक जाने के कारण उपस्थिति विलम्ब से हुई है। गजल का हर शेर अपने आप में पूरी गजल जैसा है। मेरे लिए यह सदाबहार और सहेजने वाली गजल हुई है । ढेरों बधाइयाँ स्वीकार करें । सादर..</p> आदरणीय
नमस्कार sir
एक से बढ़…tag:openbooks.ning.com,2021-07-31:5170231:Comment:10654762021-07-31T20:07:29.006ZRozina Dighehttp://openbooks.ning.com/profile/RozinaDighe
<p><span style="text-decoration: underline;">आदरणीय </span></p>
<p><span style="text-decoration: underline;">नमस्कार sir</span></p>
<p><span style="text-decoration: underline;">एक से बढ़ कर एक अशआर</span></p>
<p>'कि शे'र जो भी कहा हमने बेमिसाल हुआ'</p>
<p>लाजवाब आदरणीय!</p>
<p>सादर</p>
<p> </p>
<p></p>
<p></p>
<p><span style="text-decoration: underline;">आदरणीय </span></p>
<p><span style="text-decoration: underline;">नमस्कार sir</span></p>
<p><span style="text-decoration: underline;">एक से बढ़ कर एक अशआर</span></p>
<p>'कि शे'र जो भी कहा हमने बेमिसाल हुआ'</p>
<p>लाजवाब आदरणीय!</p>
<p>सादर</p>
<p> </p>
<p></p>
<p></p> आदरणीय समर कबीर साहब, मतले से…tag:openbooks.ning.com,2021-07-31:5170231:Comment:10655572021-07-31T19:30:03.277ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, मतले से सवाल क्या उछाला आपने, कि कई अश'आर जवाब बन कर सामने आये हैं. बहुत खूब ! </p>
<p></p>
<p>ज़बाँ से कह न सके वो मगर सुना ये है<br/>हमारे जाने का उनको बहुत मलाल हुआ</p>
<p>क्या बात है,भाई साहब !! </p>
<p></p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, मतले से सवाल क्या उछाला आपने, कि कई अश'आर जवाब बन कर सामने आये हैं. बहुत खूब ! </p>
<p></p>
<p>ज़बाँ से कह न सके वो मगर सुना ये है<br/>हमारे जाने का उनको बहुत मलाल हुआ</p>
<p>क्या बात है,भाई साहब !! </p>
<p></p> जनाब अनीस अरमान जी आदाब, ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2021-07-27:5170231:Comment:10648142021-07-27T12:55:39.699ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब अनीस अरमान जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।</p>
<p>जनाब अनीस अरमान जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।</p> मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब,…tag:openbooks.ning.com,2021-07-27:5170231:Comment:10648132021-07-27T12:54:35.452ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।</p>
<p>मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।</p> जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब, ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2021-07-27:5170231:Comment:10646172021-07-27T12:53:42.679ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।</p>
<p>जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।</p> जनाब अमीरुद्दीन 'अमीर' जी आदा…tag:openbooks.ning.com,2021-07-27:5170231:Comment:10647112021-07-27T12:52:46.565ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब अमीरुद्दीन 'अमीर' जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।</p>
<p>जनाब अमीरुद्दीन 'अमीर' जी आदाब, ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।</p>