Comments - मानता हूँ तम गहन सरकार लेकिन-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' - Open Books Online2024-03-28T13:26:46Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1059359&xn_auth=noआ. भाई विजय निकोर जी, सादर अभ…tag:openbooks.ning.com,2021-05-11:5170231:Comment:10598772021-05-11T06:26:40.705Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई विजय निकोर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति , स्नेह व उत्साहवर्धन के लिए आभार।</p>
<p>आ. भाई विजय निकोर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति , स्नेह व उत्साहवर्धन के लिए आभार।</p> सामयिक स्थिति इंगित करती यह ग…tag:openbooks.ning.com,2021-05-11:5170231:Comment:10597672021-05-11T00:47:07.995Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>सामयिक स्थिति इंगित करती यह गज़ल अच्छी बनी है, भाई लक्ष्मण जी। हार्दिक बधाई।</p>
<p>सामयिक स्थिति इंगित करती यह गज़ल अच्छी बनी है, भाई लक्ष्मण जी। हार्दिक बधाई।</p> आ. भाई विजय शंकर जी, सादर अभि…tag:openbooks.ning.com,2021-05-07:5170231:Comment:10597502021-05-07T13:34:16.474Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई विजय शंकर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई विजय शंकर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर ज…tag:openbooks.ning.com,2021-05-07:5170231:Comment:10597472021-05-07T03:38:38.434ZDr. Vijai Shankerhttp://openbooks.ning.com/profile/DrVijaiShanker
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी , अत्यंत मार्मिक , सामयिक प्रस्तुति के लिए अनेकानेक बधाइयां , सादर।</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी , अत्यंत मार्मिक , सामयिक प्रस्तुति के लिए अनेकानेक बधाइयां , सादर।</p> आ. भाई बसंत जी, सादर अभिवादन…tag:openbooks.ning.com,2021-04-29:5170231:Comment:10594752021-04-29T07:01:46.182Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई बसंत जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति व मनभावन प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई बसंत जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति व मनभावन प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'…tag:openbooks.ning.com,2021-04-29:5170231:Comment:10595482021-04-29T04:42:09.070Zबसंत कुमार शर्माhttp://openbooks.ning.com/profile/37vrpfxgzfdi8
<p>आदरणीय <span>लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी सादर नमस्कार </span></p>
<p><span>अत्यंत मार्मिक गज़ल हुई है, बधाई स्वीकारें </span></p>
<p>आदरणीय <span>लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी सादर नमस्कार </span></p>
<p><span>अत्यंत मार्मिक गज़ल हुई है, बधाई स्वीकारें </span></p>