Comments - प्यार में डूबने के बाद - Open Books Online2024-03-29T07:28:50Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A10537&xn_auth=noकुर्क हो जाती है आत्मा मेरी त…tag:openbooks.ning.com,2010-07-25:5170231:Comment:113362010-07-25T05:04:28.336ZPREETAM TIWARY(PREET)http://openbooks.ning.com/profile/preetamkumartiwary
कुर्क हो जाती है आत्मा मेरी तुम्हारी मुस्कान से हर बार<br />
सुर्ख मधुर अधरों से गूंजा सा मेरा नाम जब पुकारती हो तुम<br />
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बहुत खूब आनंद जी....एकदम सही लिखा है आपने..... कहा गया है की प्यार की कोई भाषा नही होती लेकिन इसको जताने के लिए शब्दो की ज़रूरत तो होती ही है...और ठीक वही किया है आपने......बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने....ऐसेही लिखते रहे....
कुर्क हो जाती है आत्मा मेरी तुम्हारी मुस्कान से हर बार<br />
सुर्ख मधुर अधरों से गूंजा सा मेरा नाम जब पुकारती हो तुम<br />
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बहुत खूब आनंद जी....एकदम सही लिखा है आपने..... कहा गया है की प्यार की कोई भाषा नही होती लेकिन इसको जताने के लिए शब्दो की ज़रूरत तो होती ही है...और ठीक वही किया है आपने......बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने....ऐसेही लिखते रहे.... आप सब का हार्दिक धन्यवाद|
राण…tag:openbooks.ning.com,2010-07-22:5170231:Comment:111312010-07-22T11:42:22.131ZAnand Vatshttp://openbooks.ning.com/profile/AnandVats
आप सब का हार्दिक धन्यवाद|<br />
राणा जी आपका आशीर्वाद बना रहे और मार्गदर्शन का लाभ प्राप्त होता रहे |
आप सब का हार्दिक धन्यवाद|<br />
राणा जी आपका आशीर्वाद बना रहे और मार्गदर्शन का लाभ प्राप्त होता रहे | बहुत ही खूबसूरत रचना है, अपने…tag:openbooks.ning.com,2010-07-21:5170231:Comment:110292010-07-21T09:06:23.029ZRashmi Rathihttp://openbooks.ning.com/profile/RashmiRathi
बहुत ही खूबसूरत रचना है, अपने अंतर्मन के एहसासों का बड़ी ही सहजता से वर्णन किया है आपने Truly Fabulous.
बहुत ही खूबसूरत रचना है, अपने अंतर्मन के एहसासों का बड़ी ही सहजता से वर्णन किया है आपने Truly Fabulous. सुन्दर भावनाओं को कलमबद्ध किय…tag:openbooks.ning.com,2010-07-18:5170231:Comment:106992010-07-18T08:11:36.699ZRana Pratap Singhhttp://openbooks.ning.com/profile/RanaPratapSingh
सुन्दर भावनाओं को कलमबद्ध किया है आनंद भाई. अंतिम पंक्तियाँ एक प्रश्न खड़ा कर अकेला छोड़ कर चली जाती है...यही सुन्दरता भी है...परन्तु कहीं कही लगता है कुछ शब्द जबरन भरती किये गए है.<br />
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मुक्त करो तुम्हारी सुखद यादो के भरोसे से संजोकर मुझे आज<br />
मुक्त करो अपनी यादों के.......<br />
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इसके अतिरिक्त एक दो जगह वर्तनी सम्बन्धी त्रुटियाँ है........ दूर कर ले.
सुन्दर भावनाओं को कलमबद्ध किया है आनंद भाई. अंतिम पंक्तियाँ एक प्रश्न खड़ा कर अकेला छोड़ कर चली जाती है...यही सुन्दरता भी है...परन्तु कहीं कही लगता है कुछ शब्द जबरन भरती किये गए है.<br />
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मुक्त करो तुम्हारी सुखद यादो के भरोसे से संजोकर मुझे आज<br />
मुक्त करो अपनी यादों के.......<br />
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इसके अतिरिक्त एक दो जगह वर्तनी सम्बन्धी त्रुटियाँ है........ दूर कर ले. बहुत अच्छी कविता रची है आपने.…tag:openbooks.ning.com,2010-07-17:5170231:Comment:105702010-07-17T12:55:32.570Zआशीष यादवhttp://openbooks.ning.com/profile/Ashishyadav
बहुत अच्छी कविता रची है आपने. मुझे आशा नहीं पूर्ण विश्वाश है आप आगे भी हम लोगो को ऐसी कविताएँ परोसते रहेंगे. उत्तम
बहुत अच्छी कविता रची है आपने. मुझे आशा नहीं पूर्ण विश्वाश है आप आगे भी हम लोगो को ऐसी कविताएँ परोसते रहेंगे. उत्तम आनंद वत्स जी बहुत ही खुबसूरत…tag:openbooks.ning.com,2010-07-17:5170231:Comment:105612010-07-17T11:14:34.561ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
आनंद वत्स जी बहुत ही खुबसूरत कविता रचा है आपने , सुंदर सुंदर शब्दों का सुन्दरता से प्रयोग कविता को लज्जत प्रदान कर रहा है , अंतिम दो पक्तिया पूरे कविता की जान लग रही है, बहुत खूब , बधाई इस अनुपम कृति के लिये ,
आनंद वत्स जी बहुत ही खुबसूरत कविता रचा है आपने , सुंदर सुंदर शब्दों का सुन्दरता से प्रयोग कविता को लज्जत प्रदान कर रहा है , अंतिम दो पक्तिया पूरे कविता की जान लग रही है, बहुत खूब , बधाई इस अनुपम कृति के लिये ,