Comments - दो आशीष नया हो भारत - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' - Open Books Online2024-03-28T12:18:29Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1043103&xn_auth=noअब ठीक है ।tag:openbooks.ning.com,2021-01-31:5170231:Comment:10435202021-01-31T06:33:42.544ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>अब ठीक है ।</p>
<p>अब ठीक है ।</p> आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन ।…tag:openbooks.ning.com,2021-01-31:5170231:Comment:10434702021-01-31T03:23:06.749Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर पुनः उपस्थिति के लिए आभार । मेरा मन्तव्य आपकी बात को नकारना नहींं था । मैंने केवल हिन्दी में स्वीकार्यता की बात कही है। आपके कथनानुसार मिसरा बदलने का प्रयास किया है । कितना सार्थक है देखिएगा।</p>
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<p>दुख के शूल सभी सूखे हों<br/>सुख का फूल खिला हो भारत</p>
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<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर पुनः उपस्थिति के लिए आभार । मेरा मन्तव्य आपकी बात को नकारना नहींं था । मैंने केवल हिन्दी में स्वीकार्यता की बात कही है। आपके कथनानुसार मिसरा बदलने का प्रयास किया है । कितना सार्थक है देखिएगा।</p>
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<p>दुख के शूल सभी सूखे हों<br/>सुख का फूल खिला हो भारत</p>
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<p></p> हिन्दी क्या,बहुत से उर्दू वाल…tag:openbooks.ning.com,2021-01-30:5170231:Comment:10433762021-01-30T10:40:07.204ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>हिन्दी क्या,बहुत से उर्दू वाले भी इसे क़िला ही लिखते और बोलते हैं,और ये वही लोग हैं जो भाषा का ज्ञान नहीं रखते,मेरा काम मंच को सहीह जानकारी देना है,बाक़ी जैसा आपको उचित लगे करें ।</p>
<p>हिन्दी क्या,बहुत से उर्दू वाले भी इसे क़िला ही लिखते और बोलते हैं,और ये वही लोग हैं जो भाषा का ज्ञान नहीं रखते,मेरा काम मंच को सहीह जानकारी देना है,बाक़ी जैसा आपको उचित लगे करें ।</p> आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन ।…tag:openbooks.ning.com,2021-01-30:5170231:Comment:10434612021-01-30T10:27:39.565Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साह वर्धन के लिए आभार।</p>
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<p>हिन्दी में किला ही प्रचलन में है , उसी हिसाब से यहाँ लिया है । सादर..</p>
<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साह वर्धन के लिए आभार।</p>
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<p>हिन्दी में किला ही प्रचलन में है , उसी हिसाब से यहाँ लिया है । सादर..</p> जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' ज…tag:openbooks.ning.com,2021-01-30:5170231:Comment:10434592021-01-30T10:03:58.649ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><span>'सुख का एक किला हो भारत'</span></p>
<p><span>इस शैर में क़ाफ़िया दुरुस्त नहीं है,सहीह शब्द है "क़िल'अ'' 21 देखियेगा ।</span></p>
<p>जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><span>'सुख का एक किला हो भारत'</span></p>
<p><span>इस शैर में क़ाफ़िया दुरुस्त नहीं है,सहीह शब्द है "क़िल'अ'' 21 देखियेगा ।</span></p> आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभ…tag:openbooks.ning.com,2021-01-30:5170231:Comment:10433732021-01-30T08:02:25.288Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p><span>आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।</span></p>
<p><span>आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।</span></p> आ. भाई क्रिष मिश्रा जी, सादर…tag:openbooks.ning.com,2021-01-30:5170231:Comment:10432722021-01-30T08:01:45.722Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई क्रिष मिश्रा जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई क्रिष मिश्रा जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p> जनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़ि…tag:openbooks.ning.com,2021-01-30:5170231:Comment:10432042021-01-30T05:58:03.729Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, वाह, क्या ख़ूब शानदार ग़ज़ल हुई है, शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर।</p>
<p>जनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, वाह, क्या ख़ूब शानदार ग़ज़ल हुई है, शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर।</p> आ. लक्ष्मण सर, बहुत ही सरस सह…tag:openbooks.ning.com,2021-01-29:5170231:Comment:10433582021-01-29T13:53:20.393ZKrish mishra 'jaan' gorakhpurihttp://openbooks.ning.com/profile/krishnamishrajaangorakhpuri
<p>आ. लक्ष्मण सर, बहुत ही सरस सहज और सुखद ग़ज़ल हुई है तहे दिल से मुबारकबाद कबूल करें।</p>
<p>आ. लक्ष्मण सर, बहुत ही सरस सहज और सुखद ग़ज़ल हुई है तहे दिल से मुबारकबाद कबूल करें।</p>