Comments - ग़ज़ल-तुमसे ग़ज़ल ने कुछ नहीं बोला? - Open Books Online2024-03-29T00:05:26Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1036993&xn_auth=noउचित ही कहा आपने आदरणीय समर ज…tag:openbooks.ning.com,2020-11-24:5170231:Comment:10374102020-11-24T16:29:38.675Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
<p>उचित ही कहा आपने आदरणीय समर जी...मतला कमजोर तो है।दरअसल पहले जो मतला था उसपे ध्यान न होने के कारण काफ़िया दोषपूर्ण था।तभी ये एडिट किया लेकिन कमजोर तो है।कुछ और कोशिश करता हूँ।आपकी उपस्थिति और मूल्यवान सलाह के लिए शुक्रिया।</p>
<p>उचित ही कहा आपने आदरणीय समर जी...मतला कमजोर तो है।दरअसल पहले जो मतला था उसपे ध्यान न होने के कारण काफ़िया दोषपूर्ण था।तभी ये एडिट किया लेकिन कमजोर तो है।कुछ और कोशिश करता हूँ।आपकी उपस्थिति और मूल्यवान सलाह के लिए शुक्रिया।</p> जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आद…tag:openbooks.ning.com,2020-11-24:5170231:Comment:10373302020-11-24T11:45:14.165ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>मतला कमज़ोर है ।</p>
<p>जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>मतला कमज़ोर है ।</p> आदरणीय तेजवीर सिंह जी ग़ज़ल पे…tag:openbooks.ning.com,2020-11-22:5170231:Comment:10371782020-11-22T07:06:08.982Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
<p>आदरणीय तेजवीर सिंह जी ग़ज़ल पे आपकी उत्साहवर्धन टिप्पड़ी से हार्दिक प्रसन्नता का अनुभव हुआ।बहुत बहुत आभार...</p>
<p>आदरणीय तेजवीर सिंह जी ग़ज़ल पे आपकी उत्साहवर्धन टिप्पड़ी से हार्दिक प्रसन्नता का अनुभव हुआ।बहुत बहुत आभार...</p> हार्दिक बधाई आदरणीय बृजेश कु…tag:openbooks.ning.com,2020-11-20:5170231:Comment:10373092020-11-20T13:00:06.439ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar" class="fn url">बृजेश कुमार 'ब्रज'</a> जी। बेहतरीन गज़ल।</p>
<p><span>एक पत्थर झील में फेंका कि जुम्बिश हो</span><br/><span>झील के खामोश जल ने कुछ नहीं बोला</span></p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar" class="fn url">बृजेश कुमार 'ब्रज'</a> जी। बेहतरीन गज़ल।</p>
<p><span>एक पत्थर झील में फेंका कि जुम्बिश हो</span><br/><span>झील के खामोश जल ने कुछ नहीं बोला</span></p> आदरणीय चेतन जी आपने सही कहा ब…tag:openbooks.ning.com,2020-11-19:5170231:Comment:10371522020-11-19T17:58:02.017Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
<p style="text-align: left;">आदरणीय चेतन जी आपने सही कहा बह्र लिखना मैं भूल गया।ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।जहाँ प्रश्न चिन्ह है वो शे'र प्रश्न ही हैं।</p>
<p style="text-align: left;">हाँ लेकिन मतले से ही काफ़िया दुरुस्त नहीं है..ये गलती हुई है जिसे सुधारना होगा।</p>
<p style="text-align: left;">आदरणीय चेतन जी आपने सही कहा बह्र लिखना मैं भूल गया।ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।जहाँ प्रश्न चिन्ह है वो शे'र प्रश्न ही हैं।</p>
<p style="text-align: left;">हाँ लेकिन मतले से ही काफ़िया दुरुस्त नहीं है..ये गलती हुई है जिसे सुधारना होगा।</p> आदाब, भाई ब्रजेश कुमार ब्रज !…tag:openbooks.ning.com,2020-11-19:5170231:Comment:10369972020-11-19T17:47:40.613ZChetan Prakashhttp://openbooks.ning.com/profile/ChetanPrakash68
<p>आदाब, भाई ब्रजेश कुमार ब्रज ! बेहतर होता कि आप ग़जल की बह्र और अरकान भी रचना के ऊपर अंकित करते। ! ऐसा होने से शिल्प की पड़ताल बेहतर हो सकती थी। वैसे, मुझे तय करना कठिन हो रहा है कि रचना को नाम क्या दूँ, कदाचित नज़्म कहना बेहतर होगा। एक और बात और, हर शेर के बाद प्रश्नवाचक चिन्ह से आपका क्या आशय है बंधु ,कम से कम, ये नाचीज नही समझ पाया ।</p>
<p>आदाब, भाई ब्रजेश कुमार ब्रज ! बेहतर होता कि आप ग़जल की बह्र और अरकान भी रचना के ऊपर अंकित करते। ! ऐसा होने से शिल्प की पड़ताल बेहतर हो सकती थी। वैसे, मुझे तय करना कठिन हो रहा है कि रचना को नाम क्या दूँ, कदाचित नज़्म कहना बेहतर होगा। एक और बात और, हर शेर के बाद प्रश्नवाचक चिन्ह से आपका क्या आशय है बंधु ,कम से कम, ये नाचीज नही समझ पाया ।</p>