Comments - जो किसी का नहीं अब वही है मेरा ....( ग़ज़ल :- सालिक गणवीर) - Open Books Online2024-03-28T11:35:33Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1036558&xn_auth=noबहुत ही खूब ग़ज़ल कही है आदरणीय…tag:openbooks.ning.com,2020-11-17:5170231:Comment:10372112020-11-17T14:32:29.860Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
<p>बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है आदरणीय...</p>
<p>बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है आदरणीय...</p> उस्ताद -ए -मुहतरम समर कबीर सा…tag:openbooks.ning.com,2020-11-05:5170231:Comment:10367322020-11-05T07:32:09.436Zसालिक गणवीरhttp://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>उस्ताद -ए -मुहतरम समर कबीर साहिब <br/>आदाब <br/>ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ.आपकी क़ीमती इस्लाह पर तामील हो गई है जनाब। शुक्रिय :</p>
<p>उस्ताद -ए -मुहतरम समर कबीर साहिब <br/>आदाब <br/>ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ.आपकी क़ीमती इस्लाह पर तामील हो गई है जनाब। शुक्रिय :</p> जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2020-11-04:5170231:Comment:10366362020-11-04T13:19:22.024ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'मौत हर दम बुलाती रही है मुझे</span><br></br><span>ज़िंदगी रास्ता रोकती है मेरा'</span></p>
<p><span>उचित लगे तो ऊला यूँ कर लें:-</span></p>
<p><span>'मौत मुझको बुलाती है हर पल मगर' </span></p>
<p></p>
<p><span> 'मंज़िलें रास्ता पूछती है मेरा'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'मंज़िलें' बहुवचन है इस कारण रदीफ़ 'है मेरा' की जगह "हैं मेरा" हो रही है, इस मिसरे को यूँ कह सकते हैं:-</span></p>
<p><span>'यार मंज़िल…</span></p>
<p>जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'मौत हर दम बुलाती रही है मुझे</span><br/><span>ज़िंदगी रास्ता रोकती है मेरा'</span></p>
<p><span>उचित लगे तो ऊला यूँ कर लें:-</span></p>
<p><span>'मौत मुझको बुलाती है हर पल मगर' </span></p>
<p></p>
<p><span> 'मंज़िलें रास्ता पूछती है मेरा'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'मंज़िलें' बहुवचन है इस कारण रदीफ़ 'है मेरा' की जगह "हैं मेरा" हो रही है, इस मिसरे को यूँ कह सकते हैं:-</span></p>
<p><span>'यार मंज़िल पता पूछती है मेरा' </span></p> मुहतरमा अंजलि गुप्ता जी.सादर…tag:openbooks.ning.com,2020-11-04:5170231:Comment:10367242020-11-04T10:43:24.789Zसालिक गणवीरhttp://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>मुहतरमा अंजलि गुप्ता जी.<br/>सादर अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ.</p>
<p>उस्ताद जी से इस्लाह के बाद मतला यूँ पढ़ा जाए...</p>
<p>आज दिल उसके दुख से दुखी है मेरा<br/>जो किसी का नहीं अब वही है मेरा</p>
<p>मुहतरमा अंजलि गुप्ता जी.<br/>सादर अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ.</p>
<p>उस्ताद जी से इस्लाह के बाद मतला यूँ पढ़ा जाए...</p>
<p>आज दिल उसके दुख से दुखी है मेरा<br/>जो किसी का नहीं अब वही है मेरा</p> आदरणीय चेतन प्रकाश जी.सादर अभ…tag:openbooks.ning.com,2020-11-04:5170231:Comment:10365912020-11-04T10:38:18.842Zसालिक गणवीरhttp://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय चेतन प्रकाश जी.<br/>सादर अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ.</p>
<p>आपने सहीह फरमाया मुहतरम. मतला यूँ पढ़ा जाए...।</p>
<p>आज दिल उसके दुख से दुखी है मेरा<br/>जो किसी का नहीं अब वही है मेरा</p>
<p>आदरणीय चेतन प्रकाश जी.<br/>सादर अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ.</p>
<p>आपने सहीह फरमाया मुहतरम. मतला यूँ पढ़ा जाए...।</p>
<p>आज दिल उसके दुख से दुखी है मेरा<br/>जो किसी का नहीं अब वही है मेरा</p> आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी.सा…tag:openbooks.ning.com,2020-11-04:5170231:Comment:10365892020-11-04T10:34:51.974Zसालिक गणवीरhttp://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी.<br/>सादर अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ.</p>
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी.<br/>सादर अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ.</p> आदरणीय सालिक गणवीर जी सातवाँ…tag:openbooks.ning.com,2020-11-03:5170231:Comment:10367202020-11-03T18:14:21.287Zanjali guptahttp://openbooks.ning.com/profile/anjaligupta
<ul>
<li>आदरणीय सालिक गणवीर जी सातवाँ शेर ख़ास पसन्द आया। मतले का सानी अस्पष्ट लगा। अच्छी ग़ज़ल हुई। सादर </li>
</ul>
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<li>आदरणीय सालिक गणवीर जी सातवाँ शेर ख़ास पसन्द आया। मतले का सानी अस्पष्ट लगा। अच्छी ग़ज़ल हुई। सादर </li>
</ul> बह्रे मुतदारिक मुसम्मन सालिम…tag:openbooks.ning.com,2020-11-03:5170231:Comment:10365722020-11-03T14:16:27.292ZChetan Prakashhttp://openbooks.ning.com/profile/ChetanPrakash68
<p>बह्रे मुतदारिक मुसम्मन सालिम मे कही हुई अच्छी ग़ज़ल ! बंधुवर सालिक गणवीर जी बधाई स्वीकार करें । मतला कानों को थोड़ा खटकता है, मुआफ करें, मगर मुझे लगा सानी मिसरे का प्रवाह कहीं बाधित है।</p>
<p>बह्रे मुतदारिक मुसम्मन सालिम मे कही हुई अच्छी ग़ज़ल ! बंधुवर सालिक गणवीर जी बधाई स्वीकार करें । मतला कानों को थोड़ा खटकता है, मुआफ करें, मगर मुझे लगा सानी मिसरे का प्रवाह कहीं बाधित है।</p> आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अ…tag:openbooks.ning.com,2020-11-03:5170231:Comment:10366152020-11-03T02:08:28.973Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन। सुन्दर गजल हुई है । हार्दिक बधाई स्वीकारें ।</p>
<p>आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन। सुन्दर गजल हुई है । हार्दिक बधाई स्वीकारें ।</p>