Comments - दरवाजा (लघुकथा) - Open Books Online2024-03-28T14:49:21Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1036021&xn_auth=noआदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी सु…tag:openbooks.ning.com,2020-11-03:5170231:Comment:10367142020-11-03T15:07:11.736ZRachna Bhatiahttp://openbooks.ning.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी सुधार करने का प्रयास करती हूँ। हौसला बढ़ाने के लिए आपका आभार।</p>
<p>आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी सुधार करने का प्रयास करती हूँ। हौसला बढ़ाने के लिए आपका आभार।</p> अच्छी लघु कथा है आदरणीया लेकि…tag:openbooks.ning.com,2020-11-03:5170231:Comment:10368142020-11-03T14:49:49.993Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
<p>अच्छी लघु कथा है आदरणीया लेकिन इस शानदार विषय के साथ थोड़ी कसावट की जरुरत और प्रतीत होती है।</p>
<p>अच्छी लघु कथा है आदरणीया लेकिन इस शानदार विषय के साथ थोड़ी कसावट की जरुरत और प्रतीत होती है।</p> आदरणीय समर कबीर सर् आदाब। हौस…tag:openbooks.ning.com,2020-10-31:5170231:Comment:10361932020-10-31T10:13:51.442ZRachna Bhatiahttp://openbooks.ning.com/profile/RachnaBhatia
आदरणीय समर कबीर सर् आदाब। हौसला बढ़ाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। आगे से और ध्यान रखूँगी। सादर।
आदरणीय समर कबीर सर् आदाब। हौसला बढ़ाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। आगे से और ध्यान रखूँगी। सादर। मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब,…tag:openbooks.ning.com,2020-10-30:5170231:Comment:10362152020-10-30T09:12:10.992ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, लघुकथा का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब तेजवीर सिंह जी से सहमत हूँ ।</p>
<p>मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, लघुकथा का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब तेजवीर सिंह जी से सहमत हूँ ।</p> आदरणीय तेजवीर सिंह जी हौसला ब…tag:openbooks.ning.com,2020-10-28:5170231:Comment:10358382020-10-28T13:28:37.765ZRachna Bhatiahttp://openbooks.ning.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय तेजवीर सिंह जी हौसला बढ़ाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।जी सही कहा आपने। आगे से ध्यान रखूँगी।</p>
<p>बेहद शुक्रिय:</p>
<p>आदरणीय तेजवीर सिंह जी हौसला बढ़ाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।जी सही कहा आपने। आगे से ध्यान रखूँगी।</p>
<p>बेहद शुक्रिय:</p> हार्दिक बधाई आदरणीय रचना भाटि…tag:openbooks.ning.com,2020-10-28:5170231:Comment:10359322020-10-28T12:48:00.002ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय रचना भाटिया जी।बहुत सुंदर संदेश प्रद लघुकथा।आपकी लघुकथा का प्रथम वाक्य दो पात्रों द्वारा बोला गया है लेकिन आपने उसे एक ही पंक्ति में बिना किसी विभाजन चिंन्ह के एक सार लिखा है। जो कि सही नहीं लगता।</p>
<p>" माँ,रोटी पर मक्खन तो रखा नहीं।हाँ,देती हूँ।" </p>
<p>इसे इस प्रकार लिखा जाना चाहिये।</p>
<p>" माँ,रोटी पर मक्खन तो रखा नहीं।“</p>
<p>“हाँ,देती हूँ।" </p>
<p>हर पात्र का डॉयलाग अलग अलग पंक्ति में लिखना उचित होता है भले ही वह डॉयलाग कितना ही छोटा हो।</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय रचना भाटिया जी।बहुत सुंदर संदेश प्रद लघुकथा।आपकी लघुकथा का प्रथम वाक्य दो पात्रों द्वारा बोला गया है लेकिन आपने उसे एक ही पंक्ति में बिना किसी विभाजन चिंन्ह के एक सार लिखा है। जो कि सही नहीं लगता।</p>
<p>" माँ,रोटी पर मक्खन तो रखा नहीं।हाँ,देती हूँ।" </p>
<p>इसे इस प्रकार लिखा जाना चाहिये।</p>
<p>" माँ,रोटी पर मक्खन तो रखा नहीं।“</p>
<p>“हाँ,देती हूँ।" </p>
<p>हर पात्र का डॉयलाग अलग अलग पंक्ति में लिखना उचित होता है भले ही वह डॉयलाग कितना ही छोटा हो।</p>