Comments - नोटबंदी का मुनाफा काले धन की वापसी - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' - Open Books Online2024-03-29T09:58:09Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1035450&xn_auth=noआदरणीय भाई लक्ष्मण धामी 'मुसा…tag:openbooks.ning.com,2020-11-02:5170231:Comment:10363022020-11-02T07:02:04.638Zसालिक गणवीरhttp://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी<br/>सादर अभिवादन<br/>उम्दा भाव और विरोधी तेवर के साथ बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने। <br/>मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकार करें.</p>
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी<br/>सादर अभिवादन<br/>उम्दा भाव और विरोधी तेवर के साथ बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने। <br/>मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकार करें.</p> बहुत ही खूब ग़ज़ल कही आदरणीय धा…tag:openbooks.ning.com,2020-11-01:5170231:Comment:10364952020-11-01T15:23:45.250Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://openbooks.ning.com/profile/brijeshkumar
<p>बहुत ही खूब ग़ज़ल कही आदरणीय धामी जी...बधाई</p>
<p>बहुत ही खूब ग़ज़ल कही आदरणीय धामी जी...बधाई</p> आ. लक्ष्मण जी,उम्दा भाव और वि…tag:openbooks.ning.com,2020-10-31:5170231:Comment:10364262020-10-31T04:45:00.287ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooks.ning.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>आ. लक्ष्मण जी,<br/><br/>उम्दा भाव और विरोधी तेवर लिए ग़ज़ल हुई है.. शिल्प आदि अपर समर सर बता ही चुके हैं..<br/>मेरी ओर से बधाई स्वीकार करें.<br/>सादर </p>
<p>आ. लक्ष्मण जी,<br/><br/>उम्दा भाव और विरोधी तेवर लिए ग़ज़ल हुई है.. शिल्प आदि अपर समर सर बता ही चुके हैं..<br/>मेरी ओर से बधाई स्वीकार करें.<br/>सादर </p> जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' ज…tag:openbooks.ning.com,2020-10-27:5170231:Comment:10360192020-10-27T15:12:02.763ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'पेट जब भरता नहीं गुफ़्तार उसका दोस्तो'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'गुफ़्तार' शब्द स्त्रीलिंग है, अगर ये पुल्लिंग भी मान लें तब भी आप क्या कहना चाहते हैं,समझ नहीं आया ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'काट मेरी बात का रख वो रिझायेगा तुम्हें<br/>है जमूरे से न कम किरदार उसका दोस्तो'</span></p>
<p><span>इस शैर का भाव स्पष्ट नहीं हुआ,और ऊला का शिल्प भी कमज़ोर है,देखियेगा ।</span></p>
<p>जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><span>'पेट जब भरता नहीं गुफ़्तार उसका दोस्तो'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'गुफ़्तार' शब्द स्त्रीलिंग है, अगर ये पुल्लिंग भी मान लें तब भी आप क्या कहना चाहते हैं,समझ नहीं आया ।</span></p>
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<p><span>'काट मेरी बात का रख वो रिझायेगा तुम्हें<br/>है जमूरे से न कम किरदार उसका दोस्तो'</span></p>
<p><span>इस शैर का भाव स्पष्ट नहीं हुआ,और ऊला का शिल्प भी कमज़ोर है,देखियेगा ।</span></p> आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभ…tag:openbooks.ning.com,2020-10-27:5170231:Comment:10360152020-10-27T05:58:30.424Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p><span>आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद..</span></p>
<p><span>आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद..</span></p> आदरणीय लक्षमण धामी 'मुसाफ़िर'…tag:openbooks.ning.com,2020-10-27:5170231:Comment:10359202020-10-27T05:07:38.645Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>आदरणीय लक्षमण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले के ऊला में 'गुफ़्तार' शब्द स्त्रीलिंग है, देखियेगा। सादर। </p>
<p>आदरणीय लक्षमण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले के ऊला में 'गुफ़्तार' शब्द स्त्रीलिंग है, देखियेगा। सादर। </p> आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवाद…tag:openbooks.ning.com,2020-10-27:5170231:Comment:10357832020-10-27T04:07:05.911Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p><span>आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और समर्थन के लिए आभार। </span></p>
<p><span>आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और समर्थन के लिए आभार। </span></p> हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण…tag:openbooks.ning.com,2020-10-27:5170231:Comment:10359152020-10-27T03:13:47.455ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami" class="fn url">लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर</a> जी।लाज़वाब गज़ल।</p>
<p><span>भाण जिनको बोलते जब दे रहे नित गालियाँ</span><br/><span>कर रहे गुणगान क्यों हुशियार उसका दोस्तो।</span></p>
<p><span>काट मेरी बात का रख वो रिझायेगा तुम्हें<br/>है जमूरे से न कम किरदार उसका दोस्तो।</span></p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami" class="fn url">लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर</a> जी।लाज़वाब गज़ल।</p>
<p><span>भाण जिनको बोलते जब दे रहे नित गालियाँ</span><br/><span>कर रहे गुणगान क्यों हुशियार उसका दोस्तो।</span></p>
<p><span>काट मेरी बात का रख वो रिझायेगा तुम्हें<br/>है जमूरे से न कम किरदार उसका दोस्तो।</span></p> आ. भाई दण्डपाणि नाहक जी, सादर…tag:openbooks.ning.com,2020-10-26:5170231:Comment:10358242020-10-26T16:37:24.124Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई दण्डपाणि नाहक जी, सादर अभिवादन ।गजल पर उपस्थिति व सराहना के लिए हार्दिक आभार ।</p>
<p>आ. भाई दण्डपाणि नाहक जी, सादर अभिवादन ।गजल पर उपस्थिति व सराहना के लिए हार्दिक आभार ।</p>