Comments - उधर जब तपन है..( ग़ज़ल :- सालिक गणवीर) - Open Books Online2024-03-29T15:14:51Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1025451&xn_auth=noआदरणीय समर कबीर साहिबसादर अभि…tag:openbooks.ning.com,2020-10-15:5170231:Comment:10315072020-10-15T04:36:14.214Zसालिक गणवीरhttp://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय समर कबीर साहिब<br/>सादर अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिती और सराहना के लिए ह्रदय तल से आपका आभारी हूँ.आपकी इस्लाह से ग़ज़ल की ख़ूबसूरती बढ़ गई है मुुुहतरम.शुक्रिय: सलामत रहेंं.</p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहिब<br/>सादर अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिती और सराहना के लिए ह्रदय तल से आपका आभारी हूँ.आपकी इस्लाह से ग़ज़ल की ख़ूबसूरती बढ़ गई है मुुुहतरम.शुक्रिय: सलामत रहेंं.</p> आदरणीया रचना जी
अभिवादनग़ज़ल पर…tag:openbooks.ning.com,2020-10-15:5170231:Comment:10313182020-10-15T04:32:28.626Zसालिक गणवीरhttp://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीया रचना जी</p>
<p>अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिती और सराहना के लिए ह्रदय तल से आपका आभारी हूँ.</p>
<p>आदरणीया रचना जी</p>
<p>अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिती और सराहना के लिए ह्रदय तल से आपका आभारी हूँ.</p> आदरणीय सलिक गणवीर जी, नमस्कार…tag:openbooks.ning.com,2020-10-14:5170231:Comment:10307422020-10-14T05:15:48.684ZRachna Bhatiahttp://openbooks.ning.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय सलिक गणवीर जी, नमस्कार। बेहतरीन ग़ज़ल हुई।सर् की इस्लाह के बाद ग़ज़ल निखर गई है।</p>
<p>आदरणीय सलिक गणवीर जी, नमस्कार। बेहतरीन ग़ज़ल हुई।सर् की इस्लाह के बाद ग़ज़ल निखर गई है।</p> जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2020-10-13:5170231:Comment:10302552020-10-13T15:33:28.047ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'सभी ग़ैर साथी</span><br></br><span>मुझे क्यों जलन है'</span></p>
<p><span>इस शैर के दोनों मिसरों में रब्त नहीं हुआ,उचित लगे तो ऊला यूँ कह सकते हैं:-</span></p>
<p><span>'अदू साथ तेरे'</span></p>
<p></p>
<p><span>'न काँटा लगा है<br></br>मगर क्यों चुभन है'</span></p>
<p><span>इस शैर का भाव स्पष्ट नहीं हुआ, उचित लगे तो यूँ कह सकते हैं:-</span></p>
<p><span>'ये क्यों मीठी मीठी</span></p>
<p><span>सी दिल में…</span></p>
<p>जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'सभी ग़ैर साथी</span><br/><span>मुझे क्यों जलन है'</span></p>
<p><span>इस शैर के दोनों मिसरों में रब्त नहीं हुआ,उचित लगे तो ऊला यूँ कह सकते हैं:-</span></p>
<p><span>'अदू साथ तेरे'</span></p>
<p></p>
<p><span>'न काँटा लगा है<br/>मगर क्यों चुभन है'</span></p>
<p><span>इस शैर का भाव स्पष्ट नहीं हुआ, उचित लगे तो यूँ कह सकते हैं:-</span></p>
<p><span>'ये क्यों मीठी मीठी</span></p>
<p><span>सी दिल में चुभन है'</span></p>
<p></p>
<p><span>'कहो यार 'सालिक''</span></p>
<p><span>इस मिसरे को उचित लगे तो यूँ कह सकते हैं:-</span></p>
<p><span>'कहो कुछ भी 'सालिक' '</span></p> भाई निवेश 'नूर' साहिब
सराहना…tag:openbooks.ning.com,2020-10-11:5170231:Comment:10290692020-10-11T16:58:26.358Zसालिक गणवीरhttp://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>भाई निवेश 'नूर' साहिब</p>
<p>सराहना के लिये आभारी हूँ मान्यवर.</p>
<p>भाई निवेश 'नूर' साहिब</p>
<p>सराहना के लिये आभारी हूँ मान्यवर.</p> आ. सालिक जी,छोटी बहर में अच्छ…tag:openbooks.ning.com,2020-10-07:5170231:Comment:10262952020-10-07T03:33:45.780ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooks.ning.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>आ. सालिक जी,<br/>छोटी बहर में अच्छा प्रयास हुआ है.. थोडा और वक़्त देते तो कई शेर और निखर कर आते ..<br/>प्रयास हेतु सराहना और बधाई स्वीकार करें,<br/>सादर </p>
<p>आ. सालिक जी,<br/>छोटी बहर में अच्छा प्रयास हुआ है.. थोडा और वक़्त देते तो कई शेर और निखर कर आते ..<br/>प्रयास हेतु सराहना और बधाई स्वीकार करें,<br/>सादर </p> भाई लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जीसा…tag:openbooks.ning.com,2020-10-06:5170231:Comment:10259202020-10-06T12:37:12.266Zसालिक गणवीरhttp://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>भाई लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी<br/>सादर अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिती और सराहना के लिए ह्रदय तल से आपका आभारी हूँ.</p>
<p>भाई लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी<br/>सादर अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिती और सराहना के लिए ह्रदय तल से आपका आभारी हूँ.</p> आदरणीय अमीरूद्दीन 'अमीर' साहि…tag:openbooks.ning.com,2020-10-06:5170231:Comment:10259182020-10-06T12:36:06.235Zसालिक गणवीरhttp://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय अमीरूद्दीन 'अमीर' साहिब<br/>सादर अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिती और सराहना के लिए ह्रदय तल से आपका आभारी हूँ.</p>
<p>आदरणीय अमीरूद्दीन 'अमीर' साहिब<br/>सादर अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिती और सराहना के लिए ह्रदय तल से आपका आभारी हूँ.</p> आदरणीय सालिक गणवीर जी जी आदाब…tag:openbooks.ning.com,2020-10-06:5170231:Comment:10258982020-10-06T11:58:04.885Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>आदरणीय सालिक गणवीर जी जी आदाब, छोटी बह्र में ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें। सादर। </p>
<p>आदरणीय सालिक गणवीर जी जी आदाब, छोटी बह्र में ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें। सादर। </p> आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अ…tag:openbooks.ning.com,2020-10-06:5170231:Comment:10257602020-10-06T08:27:36.551Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>