Comments - पिता--लघुकथा - Open Books Online2024-03-29T11:06:58Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1017748&xn_auth=noइस सारगर्भित टिप्पणी के लिए ब…tag:openbooks.ning.com,2020-09-30:5170231:Comment:10220632020-09-30T10:12:57.430Zविनय कुमारhttp://openbooks.ning.com/profile/vinayakumarsingh
इस सारगर्भित टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ शेख शहजाद उस्मानी जी. शीर्षक के लिए आपका सुझाव उचित है
इस सारगर्भित टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ शेख शहजाद उस्मानी जी. शीर्षक के लिए आपका सुझाव उचित है आदाब। /चिंतित/ और /सारा देश प…tag:openbooks.ning.com,2020-09-30:5170231:Comment:10218312020-09-30T00:04:16.617ZSheikh Shahzad Usmanihttp://openbooks.ning.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। /चिंतित/ और /सारा देश परेशान/ में छिपे गहरे संदेशों के साथ, रचना की आरंभिक और अंतिम पंक्तियां रचना को विचारोत्तेजक बना रही हैं। पिता, पिता है। बेटी दिवस के अवसर पर बढ़िया समसामयिक रचना हेतु हार्दिक बधाई जनाब विनय कुमार साहिब। शीर्षक यदि कुछ और होता, तो कथानक व कथ्य का राज़ रचना के अंत में खुलता। सुझाव - "इंफेक्शंस" , "संक्रमण" या "फीवर" या "बुखार".....</p>
<p>आदाब। /चिंतित/ और /सारा देश परेशान/ में छिपे गहरे संदेशों के साथ, रचना की आरंभिक और अंतिम पंक्तियां रचना को विचारोत्तेजक बना रही हैं। पिता, पिता है। बेटी दिवस के अवसर पर बढ़िया समसामयिक रचना हेतु हार्दिक बधाई जनाब विनय कुमार साहिब। शीर्षक यदि कुछ और होता, तो कथानक व कथ्य का राज़ रचना के अंत में खुलता। सुझाव - "इंफेक्शंस" , "संक्रमण" या "फीवर" या "बुखार".....</p> इस प्रतिक्रिया के लिए बहुत बह…tag:openbooks.ning.com,2020-09-18:5170231:Comment:10177062020-09-18T11:13:32.948Zविनय कुमारhttp://openbooks.ning.com/profile/vinayakumarsingh
<p>इस प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार आ मुहतरम समर कबीर साहब</p>
<p>इस प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार आ मुहतरम समर कबीर साहब</p> इस प्रतिक्रिया के लिए बहुत बह…tag:openbooks.ning.com,2020-09-18:5170231:Comment:10177042020-09-18T11:12:58.451Zविनय कुमारhttp://openbooks.ning.com/profile/vinayakumarsingh
<p>इस प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार आ लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' साहब</p>
<p>इस प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार आ लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' साहब</p> जनाब विनय कुमार जी आदाब, अच्छ…tag:openbooks.ning.com,2020-09-17:5170231:Comment:10177802020-09-17T15:30:29.955ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब विनय कुमार जी आदाब, अच्छी लघुकथा लिखी आपने, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब विनय कुमार जी आदाब, अच्छी लघुकथा लिखी आपने, बधाई स्वीकार करें ।</p> आ. भाई विनय कुमार जी, अच्छी क…tag:openbooks.ning.com,2020-09-17:5170231:Comment:10177722020-09-17T13:19:40.093Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई विनय कुमार जी, अच्छी कथा हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई विनय कुमार जी, अच्छी कथा हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>