Comments - हिंदी-दिवस : चार दोहे // सौरभ - Open Books Online2024-03-29T11:42:23Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1017620&xn_auth=noआदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपने…tag:openbooks.ning.com,2020-09-16:5170231:Comment:10176742020-09-16T09:05:09.168ZSaurabh Pandeyhttp://openbooks.ning.com/profile/SaurabhPandey
<p></p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपने दोहों में लेखन </p>
<p></p>
<p>दोहों में कर टिप्पणी.. किया हमें अति मुग्ध </p>
<p>ओबीओ का यह पटल, विद्वत सुधी प्रबुद्ध ! </p>
<p></p>
<p>हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय </p>
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<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपने दोहों में लेखन </p>
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<p>दोहों में कर टिप्पणी.. किया हमें अति मुग्ध </p>
<p>ओबीओ का यह पटल, विद्वत सुधी प्रबुद्ध ! </p>
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<p>हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय </p>
<p></p> जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब, बह…tag:openbooks.ning.com,2020-09-15:5170231:Comment:10177232020-09-15T06:36:15.827ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब, बहुत उम्द: तंज़ में डूबे अच्छे दोहे कहे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>बचपन से हम 'हिन्दी' शब्द को आधे न से लिखते पढ़ते आये हैं,लेकिन आजकल जिसे देखो इस शब्द की "हिंदी" अनुस्वार से लिखने लगा है,आपने भी इसे "हिंदी" ही लिखा है,ऐसा क्यों? कृपया इस पर थोड़ा प्रकाश डालने का कष्ट करें ।</p>
<p>जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब, बहुत उम्द: तंज़ में डूबे अच्छे दोहे कहे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>बचपन से हम 'हिन्दी' शब्द को आधे न से लिखते पढ़ते आये हैं,लेकिन आजकल जिसे देखो इस शब्द की "हिंदी" अनुस्वार से लिखने लगा है,आपने भी इसे "हिंदी" ही लिखा है,ऐसा क्यों? कृपया इस पर थोड़ा प्रकाश डालने का कष्ट करें ।</p> आ. सौरभ पांडे जी सादर नमस्कार…tag:openbooks.ning.com,2020-09-14:5170231:Comment:10176362020-09-14T13:20:16.713Zबसंत कुमार शर्माhttp://openbooks.ning.com/profile/37vrpfxgzfdi8
<p><span>आ. सौरभ पांडे जी सादर नमस्कार </span></p>
<p><span>बहुत सटीक प्रहार किया है आपने आज के दिखावे पर </span></p>
<p><span>बधाई स्वीकारें </span></p>
<p><span>आ. सौरभ पांडे जी सादर नमस्कार </span></p>
<p><span>बहुत सटीक प्रहार किया है आपने आज के दिखावे पर </span></p>
<p><span>बधाई स्वीकारें </span></p> आ. सौरभ सर,दिवस मनाने के ढकोस…tag:openbooks.ning.com,2020-09-14:5170231:Comment:10176272020-09-14T09:29:25.689ZNilesh Shevgaonkarhttp://openbooks.ning.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>आ. सौरभ सर,<br/><br/>दिवस मनाने के ढकोसले को बेहतरीन ढ़ंग से उजागर करते हुए दोहों के लिए बधाई <br/><br/>सादर </p>
<p>आ. सौरभ सर,<br/><br/>दिवस मनाने के ढकोसले को बेहतरीन ढ़ंग से उजागर करते हुए दोहों के लिए बधाई <br/><br/>सादर </p> आदरणीय सौरभ जी, सादर प्रणाम,…tag:openbooks.ning.com,2020-09-14:5170231:Comment:10175052020-09-14T09:01:20.644ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीय सौरभ जी, सादर प्रणाम, हिंदी दिवस पर यथार्थ को उजागर करती बेहतरीन दोहावली। दिल से बधाई स्वीकार करें सर। सादर</p>
<p>आदरणीय सौरभ जी, सादर प्रणाम, हिंदी दिवस पर यथार्थ को उजागर करती बेहतरीन दोहावली। दिल से बधाई स्वीकार करें सर। सादर</p> आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन…tag:openbooks.ning.com,2020-09-14:5170231:Comment:10176222020-09-14T06:08:57.585Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन । हिन्दी दिवस की सच्चाई उजागर करते उत्तम दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई ।</p>
<p></p>
<p>हिन्दी का गुणगान कर, बढ़चढ़ कर सब आज<br/>कल से फिर नियमित करो, अंग्रेजी में काज।।<br/>**<br/>बच्चे सब कन्वेन्ट में, बढ़चढ़ पढ़ने भेज<br/>हिन्दी के सम्मान में, इक दिन चीखो तेज।।<br/>**<br/>पखवाड़ा हिन्दी मना, मानद राशि डकार <br/>केवल इक दिन के लिए, इंगलिश ताज उतार।।</p>
<p>आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन । हिन्दी दिवस की सच्चाई उजागर करते उत्तम दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई ।</p>
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<p>हिन्दी का गुणगान कर, बढ़चढ़ कर सब आज<br/>कल से फिर नियमित करो, अंग्रेजी में काज।।<br/>**<br/>बच्चे सब कन्वेन्ट में, बढ़चढ़ पढ़ने भेज<br/>हिन्दी के सम्मान में, इक दिन चीखो तेज।।<br/>**<br/>पखवाड़ा हिन्दी मना, मानद राशि डकार <br/>केवल इक दिन के लिए, इंगलिश ताज उतार।।</p>