Comments - ग़ज़ल- हाँ में हाँ लोग जो होते हैं मिलने वाले - Open Books Online2024-03-28T11:10:57Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1012496&xn_auth=noआद0 रवि शुक्ल जी सादर प्रणाम।…tag:openbooks.ning.com,2020-07-22:5170231:Comment:10127042020-07-22T11:16:28.577Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 रवि शुक्ल जी सादर प्रणाम। ग़ज़ल पर आप आये, यह हमारी खुदक़िस्मती है। बहुत बहुत आभार आपका। सादर</p>
<p>आद0 रवि शुक्ल जी सादर प्रणाम। ग़ज़ल पर आप आये, यह हमारी खुदक़िस्मती है। बहुत बहुत आभार आपका। सादर</p> आद0 अमीरुद्दीन साहब सादर अभिव…tag:openbooks.ning.com,2020-07-22:5170231:Comment:10127032020-07-22T11:15:12.975Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 अमीरुद्दीन साहब सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और बेहतरीन इस्लाह के लिए दिली आभार। अवश्य अमल करूँगा।</p>
<p>आद0 अमीरुद्दीन साहब सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और बेहतरीन इस्लाह के लिए दिली आभार। अवश्य अमल करूँगा।</p> आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'जी…tag:openbooks.ning.com,2020-07-21:5170231:Comment:10127372020-07-21T06:34:42.741ZRavi Shuklahttp://openbooks.ning.com/profile/RaviShukla
<p><span>आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'जी , इस शानदार ग़ज़ल पर आपको दिली मुबारक बाद पेश करता हूँ। दूसराशेर बहुत अच्छा हुआ है </span></p>
<p><span>आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'जी , इस शानदार ग़ज़ल पर आपको दिली मुबारक बाद पेश करता हूँ। दूसराशेर बहुत अच्छा हुआ है </span></p> जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक…tag:openbooks.ning.com,2020-07-20:5170231:Comment:10127202020-07-20T18:54:16.120Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' साहिब आदाब, इस शानदार ग़ज़ल पर आपको बारहा दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ।</p>
<p>//आप मानें या न माने प हक़ीक़त है यही</p>
<p>भूक़े भी सोते हैं ख़ुद अन्न उगाने वाले// जनाब ऊला में 'प' को 'पर' कर लीजिए जो एक साकिन की छूट आप लेना चाहते हैं ग़ज़ल पढ़ते वक़्त 'र' का 'ह' में लोप हो जायेगा। सानी में 'भूक़े' से नुुक़्ता हटा लीजियेगा। </p>
<p>शैर "अपने चहरे के उन्हें दाग़ नज़र आ जाते</p>
<p> देखते ख़ुद को जो आईना दिखाने वाले" .... और </p>
<p> "हो क़फ़स…</p>
<p>जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' साहिब आदाब, इस शानदार ग़ज़ल पर आपको बारहा दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ।</p>
<p>//आप मानें या न माने प हक़ीक़त है यही</p>
<p>भूक़े भी सोते हैं ख़ुद अन्न उगाने वाले// जनाब ऊला में 'प' को 'पर' कर लीजिए जो एक साकिन की छूट आप लेना चाहते हैं ग़ज़ल पढ़ते वक़्त 'र' का 'ह' में लोप हो जायेगा। सानी में 'भूक़े' से नुुक़्ता हटा लीजियेगा। </p>
<p>शैर "अपने चहरे के उन्हें दाग़ नज़र आ जाते</p>
<p> देखते ख़ुद को जो आईना दिखाने वाले" .... और </p>
<p> "हो क़फ़स लाख वो फ़ौलाद का लेकिन यारो</p>
<p> रोक सकता नहीं उनको जो हैं जाने वाले" लाजवाब हैं। सादर। </p>
<p></p>
<p></p> आद0 तेजवीर सिंह जी सादर अभिवा…tag:openbooks.ning.com,2020-07-20:5170231:Comment:10126492020-07-20T15:26:13.283Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 तेजवीर सिंह जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और प्रतिक्रिया का हृदयतल से स्वागत। ममनून हूँ आपका।</p>
<p>आद0 तेजवीर सिंह जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और प्रतिक्रिया का हृदयतल से स्वागत। ममनून हूँ आपका।</p> हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेन्द्…tag:openbooks.ning.com,2020-07-20:5170231:Comment:10126472020-07-20T12:51:15.660ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय <span> </span><a href="http://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh" class="fn url">सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'</a> जी।बेहतरीन गज़ल।</p>
<p><span>पाप धुलते नहीं इस तरह बता दो उनको</span><br/><span>हैं जो कुछ लोग ये गंगा में नहाने वाले</span></p>
<p><span>आप मानें या न माने प हक़ीक़त है यही<br/>भूक़े भी सोते हैं ख़ुद अन्न उगाने वाले</span></p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय <span> </span><a href="http://openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh" class="fn url">सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'</a> जी।बेहतरीन गज़ल।</p>
<p><span>पाप धुलते नहीं इस तरह बता दो उनको</span><br/><span>हैं जो कुछ लोग ये गंगा में नहाने वाले</span></p>
<p><span>आप मानें या न माने प हक़ीक़त है यही<br/>भूक़े भी सोते हैं ख़ुद अन्न उगाने वाले</span></p> आद0 लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी स…tag:openbooks.ning.com,2020-07-19:5170231:Comment:10125482020-07-19T12:03:57.535Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी सादर अभिवादन। आपकी प्रतिक्रिया हेतु शुक्रियः</p>
<p>आद0 लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी सादर अभिवादन। आपकी प्रतिक्रिया हेतु शुक्रियः</p> आद0 रवि भसीन 'शाहिद' जी सादर…tag:openbooks.ning.com,2020-07-19:5170231:Comment:10125472020-07-19T12:03:04.380Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 रवि भसीन 'शाहिद' जी सादर अभिवादन। वाकई में छूट गया था । अब सहीह हो गया है। बहुत बहुत आभार आपका</p>
<p>आद0 रवि भसीन 'शाहिद' जी सादर अभिवादन। वाकई में छूट गया था । अब सहीह हो गया है। बहुत बहुत आभार आपका</p> आद0 चेतन प्रकाश जी सादर अभिवा…tag:openbooks.ning.com,2020-07-19:5170231:Comment:10125452020-07-19T12:01:52.370Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 चेतन प्रकाश जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और प्रतिक्रिया के लिए ममनून हूँ। सादर</p>
<p>आद0 चेतन प्रकाश जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और प्रतिक्रिया के लिए ममनून हूँ। सादर</p> आ. भाई सुरेन्द्र जी , सादर अभ…tag:openbooks.ning.com,2020-07-19:5170231:Comment:10126302020-07-19T09:13:33.414Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सुरेन्द्र जी , सादर अभिवादन । उत्तम गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई सुरेन्द्र जी , सादर अभिवादन । उत्तम गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>