Comments - मौत से कह दो न रोके -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' (गजल) - Open Books Online2024-03-28T13:50:06Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1011621&xn_auth=noआ. भाई रामबली जी, सादर अभिवाद…tag:openbooks.ning.com,2020-07-07:5170231:Comment:10117842020-07-07T15:22:58.298Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p><span>आ. भाई रामबली जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए धन््वादद।</span></p>
<p><span>आ. भाई रामबली जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए धन््वादद।</span></p> बढियाँ ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधा…tag:openbooks.ning.com,2020-07-07:5170231:Comment:10117802020-07-07T13:01:40.352Zरामबली गुप्ताhttp://openbooks.ning.com/profile/RAMBALIGUPTA
<p>बढियाँ ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें भाई लक्ष्मण धामी जी</p>
<p>बढियाँ ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें भाई लक्ष्मण धामी जी</p> आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवाद…tag:openbooks.ning.com,2020-07-07:5170231:Comment:10118322020-07-07T03:48:21.945Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए आभार ।</p>
<p>आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए आभार ।</p> हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण ध…tag:openbooks.ning.com,2020-07-07:5170231:Comment:10118292020-07-07T03:10:40.510ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय <span>लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' </span>जी। बेहतरीन गज़ल।</p>
<p><span>हैं बहुत कानून अपनी पोथियों में यूँ मगर</span><br/><span>रुक न पाया भ्रष्ट होते आदमी का सिलसिला।४।</span></p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय <span>लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' </span>जी। बेहतरीन गज़ल।</p>
<p><span>हैं बहुत कानून अपनी पोथियों में यूँ मगर</span><br/><span>रुक न पाया भ्रष्ट होते आदमी का सिलसिला।४।</span></p> आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन ।…tag:openbooks.ning.com,2020-07-06:5170231:Comment:10117442020-07-06T20:51:15.838Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति, सराहना व मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद ।</p>
<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति, सराहना व मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद ।</p> आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभ…tag:openbooks.ning.com,2020-07-06:5170231:Comment:10118232020-07-06T20:49:45.127Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति , सराहना व सलाह के लिए आभार । </p>
<p>आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति , सराहना व सलाह के लिए आभार । </p> जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' ज…tag:openbooks.ning.com,2020-07-04:5170231:Comment:10115852020-07-04T09:40:26.777ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'रोक तेजाबों घुएँ की गन्दगी का सिलसिला'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'तेजाबों' शब्द को </span></p>
<p><span>इस तरह लिखें "तेज़ाब-ओ-'</span></p>
<p><span>बाक़ी जनाब अमीर जी की बातों का संज्ञान लें ।</span></p>
<p><strong>पारिवारिक कारणों से कुछ समय ओवीओ पर हाज़िर नहीं हो सकूँगा,सिर्फ़ तरही मुशाइर: में शिर्कत हो सकेगी,आपको कहीं मेरी ज़रूरत महसूस हो तो फ़ोन पर सम्पर्क कर सकते हैं…</strong></p>
<p>जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'रोक तेजाबों घुएँ की गन्दगी का सिलसिला'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'तेजाबों' शब्द को </span></p>
<p><span>इस तरह लिखें "तेज़ाब-ओ-'</span></p>
<p><span>बाक़ी जनाब अमीर जी की बातों का संज्ञान लें ।</span></p>
<p><strong>पारिवारिक कारणों से कुछ समय ओवीओ पर हाज़िर नहीं हो सकूँगा,सिर्फ़ तरही मुशाइर: में शिर्कत हो सकेगी,आपको कहीं मेरी ज़रूरत महसूस हो तो फ़ोन पर सम्पर्क कर सकते हैं ।</strong></p> जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' ज…tag:openbooks.ning.com,2020-07-03:5170231:Comment:10115492020-07-03T11:47:28.453Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी, ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है, बधाई स्वीकार करें।</p>
<p>चन्द टंकण त्रुटियां रह गयी हैं : 'रोक तेजाबों घुएँ की गन्दगी का सिलसिला' "तेजाबों घुएँ" = तेज़ाब ओ धुएँ</p>
<p>'लेके आया फिर से बचपन शायरी का सिलसिला' शायरी का सिलसिला. "शायरी". = शाइरी </p>
<p>'मौत से कह दो न रोके जिन्दगी का सिलसिला जिन्दगी का सिलसिला "जिन्दगी" = ज़िन्दगी </p>
<p>'इन हवाओं में भरो कुछ ताजगी का सिलसिला ताजगी का सिलसिला' "ताजगी". =…</p>
<p>जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी, ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है, बधाई स्वीकार करें।</p>
<p>चन्द टंकण त्रुटियां रह गयी हैं : 'रोक तेजाबों घुएँ की गन्दगी का सिलसिला' "तेजाबों घुएँ" = तेज़ाब ओ धुएँ</p>
<p>'लेके आया फिर से बचपन शायरी का सिलसिला' शायरी का सिलसिला. "शायरी". = शाइरी </p>
<p>'मौत से कह दो न रोके जिन्दगी का सिलसिला जिन्दगी का सिलसिला "जिन्दगी" = ज़िन्दगी </p>
<p>'इन हवाओं में भरो कुछ ताजगी का सिलसिला ताजगी का सिलसिला' "ताजगी". = ताज़गी</p>
<p>'कोशिशें दस्तक जो देंगी शब्द तोड़ेगे कभी'. शब्द तोड़ेगे कभी' "तोड़ेगे" = तोड़ेेंगे</p>
<p>'हैं बहुत कानून अपनी पोथियों में यूँ मगर'. हैं बहुत कानून' "कानून". = क़ानून</p>
<p>अब कुछ तकनीक पर बात करते हैं : </p>
<p>//लेके आया फिर से बचपन शायरी का सिलसिला</p>
<p style="text-align: center;">मौत से कह दो न रोके जिन्दगी का सिलसिला।१।// इस शैर के मिसरों में रब्त की कमी है: जो बात आप सानी में कह रहे हैं, वो (मौत का) अहसास बुढ़ापे में होना फ़ितरी है लेकिन ऊला में आप बचपन पर फोकस्ड हैं। *लेके आया फिर बुढ़ापा शाइरी का सिलसिला * कह के देखें। </p>
<p>//<span>इन हवाओं में भरो कुछ ताजगी का सिलसिला।२।// हवाओं में ताज़गी कुदरती होती हम सिर्फ उस ताज़गी को बरक़रार रखने व गंदगी को रोकने का प्रयास कर सकते हैं। *इन हवाओं में रहे बस ताज़गी का सिलसिला* कह के देखें। सादर। </span></p>
<p></p>
<p></p>
<p></p> आ. भाई रवि भसीन जी, सादर अभिव…tag:openbooks.ning.com,2020-07-03:5170231:Comment:10115402020-07-03T07:30:10.506Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई रवि भसीन जी, सादर अभिवादन ।गजल पर उपस्थिति, स्नेह व सराहना के लिए हार्दिक आभार ।</p>
<p>आ. भाई रवि भसीन जी, सादर अभिवादन ।गजल पर उपस्थिति, स्नेह व सराहना के लिए हार्दिक आभार ।</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'…tag:openbooks.ning.com,2020-07-03:5170231:Comment:10115382020-07-03T07:12:35.359Zरवि भसीन 'शाहिद'http://openbooks.ning.com/profile/RaviBhasin
<p><span>आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' भाई, इस लाजवाब ग़ज़ल पर आपको दाद और मुबारकबाद पेश करता हूँ!</span></p>
<p><span>आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' भाई, इस लाजवाब ग़ज़ल पर आपको दाद और मुबारकबाद पेश करता हूँ!</span></p>