Comments - 550 वीं रचना मंच को सादर समर्पित : सावनी दोहे : - Open Books Online2024-03-28T15:15:02Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1011248&xn_auth=noआदरणीय Dr Ashutosh Mishra ज…tag:openbooks.ning.com,2021-04-11:5170231:Comment:10582692021-04-11T07:04:10.508ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://openbooksonline.com/profile/DrAshutoshMishra" class="fn url">Dr Ashutosh Mishra</a><span> </span>जी सृजन को मान देने का दिल से आभार। विलम्ब के लिए क्षमा।</p>
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://openbooksonline.com/profile/DrAshutoshMishra" class="fn url">Dr Ashutosh Mishra</a><span> </span>जी सृजन को मान देने का दिल से आभार। विलम्ब के लिए क्षमा।</p> आदरणीय सुशील जी। बहुत मनभावन…tag:openbooks.ning.com,2021-03-28:5170231:Comment:10576882021-03-28T12:38:41.907ZDr Ashutosh Mishrahttp://openbooks.ning.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय सुशील जी। बहुत मनभावन दोहों के लिए तहे दिल बधाई सादर। हिली की शुभकामनॉए </p>
<p>आदरणीय सुशील जी। बहुत मनभावन दोहों के लिए तहे दिल बधाई सादर। हिली की शुभकामनॉए </p> आदरणीय Samar kabeer'जी सृजन क…tag:openbooks.ning.com,2020-08-11:5170231:Comment:10147312020-08-11T12:27:14.724ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
आदरणीय Samar kabeer'जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। आदरणीय कम्प्यूटर ठीक न होने के कारण प्रत्युतर में विलम्ब हुआ, दिल से क्षमा चाहूँगा।
आदरणीय Samar kabeer'जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। आदरणीय कम्प्यूटर ठीक न होने के कारण प्रत्युतर में विलम्ब हुआ, दिल से क्षमा चाहूँगा। जनाब सुशील सरना जी आदाब, आपको…tag:openbooks.ning.com,2020-07-04:5170231:Comment:10116482020-07-04T06:51:07.226ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सुशील सरना जी आदाब, आपको 550 वीं रचना की हार्दिक बधाई ।</p>
<p>अच्छे दोहे रचे आपने,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p><strong> पारिवारिक कारणों से कुछ समय ओबीओ पर हाज़िर नहीं हो सकूँगा,सिर्फ़ तरही मुशाइर: में हाज़िरी हो सकैगी, मेरी कहीं ज़रूरत महसूस हो तो फ़ोन पर सम्पर्क कर सकते हैं ।</strong></p>
<p>जनाब सुशील सरना जी आदाब, आपको 550 वीं रचना की हार्दिक बधाई ।</p>
<p>अच्छे दोहे रचे आपने,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p><strong> पारिवारिक कारणों से कुछ समय ओबीओ पर हाज़िर नहीं हो सकूँगा,सिर्फ़ तरही मुशाइर: में हाज़िरी हो सकैगी, मेरी कहीं ज़रूरत महसूस हो तो फ़ोन पर सम्पर्क कर सकते हैं ।</strong></p>