Comments - ग़ज़ल ( नहीं था इतना भी सस्ता कभी मैं....) - Open Books Online2024-03-28T08:33:02Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1008172&xn_auth=noआदरणीय अमीरुद्दीन ख़ान साहब
आद…tag:openbooks.ning.com,2020-05-26:5170231:Comment:10084632020-05-26T07:36:56.887Zसालिक गणवीरhttp://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
आदरणीय अमीरुद्दीन ख़ान साहब<br />
आदाब<br />
ग़ज़ल पर उपस्थिति एवं सराहना के लिए हृदय से आभार.
आदरणीय अमीरुद्दीन ख़ान साहब<br />
आदाब<br />
ग़ज़ल पर उपस्थिति एवं सराहना के लिए हृदय से आभार. आदरणीय समर कबीर साहब
आदाब
ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2020-05-26:5170231:Comment:10084612020-05-26T07:35:46.543Zसालिक गणवीरhttp://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
आदरणीय समर कबीर साहब<br />
आदाब<br />
ग़ज़ल पर उपस्थिति एवं सराहना के लिए हृदय से आभार.<br />
जनाब क्या सस्ते और मंहगे में कोई रब्त नहीं?फ़िर भी आपकी इस्लाह पर मतला बदलने की कोशिश करता हूँ.
आदरणीय समर कबीर साहब<br />
आदाब<br />
ग़ज़ल पर उपस्थिति एवं सराहना के लिए हृदय से आभार.<br />
जनाब क्या सस्ते और मंहगे में कोई रब्त नहीं?फ़िर भी आपकी इस्लाह पर मतला बदलने की कोशिश करता हूँ. जनाब भाई सालिक गणवीर जी, आदाब…tag:openbooks.ning.com,2020-05-25:5170231:Comment:10083852020-05-25T14:26:28.659Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://openbooks.ning.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p><i>जना</i>ब भाई सालिक गणवीर जी, आदाब। वाह क्या ख़ूब ग़ज़ल कही है। दिल में उतरने और इन्सानी जज़्बात बयां करने वााली रचना के लिये तहे-दिल से मुबारकबाद पेश करता हूँ ।</p>
<p><i>जना</i>ब भाई सालिक गणवीर जी, आदाब। वाह क्या ख़ूब ग़ज़ल कही है। दिल में उतरने और इन्सानी जज़्बात बयां करने वााली रचना के लिये तहे-दिल से मुबारकबाद पेश करता हूँ ।</p> जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल…tag:openbooks.ning.com,2020-05-25:5170231:Comment:10086132020-05-25T14:25:38.622ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>मतले के दोनों मिसरे अलग अलग हैं उनमें रब्त पैदा नहीं हो सका, देखियेगा ।</p>
<p>जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>मतले के दोनों मिसरे अलग अलग हैं उनमें रब्त पैदा नहीं हो सका, देखियेगा ।</p> आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी.ग़ज़…tag:openbooks.ning.com,2020-05-25:5170231:Comment:10083052020-05-25T11:11:21.557Zसालिक गणवीरhttp://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी.<br/>ग़ज़ल पर उपस्थिति एवं सराहना के लिए हृदय से आभार.</p>
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी.<br/>ग़ज़ल पर उपस्थिति एवं सराहना के लिए हृदय से आभार.</p> आदरणीय भाई डा.छोटे लाल सिंह ज…tag:openbooks.ning.com,2020-05-25:5170231:Comment:10084422020-05-25T11:10:18.387Zसालिक गणवीरhttp://openbooks.ning.com/profile/SalikGanvir
<p style="text-align: left;">आदरणीय भाई डा.छोटे लाल सिंह जी.<br/>ग़ज़ल पर उपस्थिति एवं सराहना के लिए हृदय से आभार.</p>
<p style="text-align: left;">आदरणीय भाई डा.छोटे लाल सिंह जी.<br/>ग़ज़ल पर उपस्थिति एवं सराहना के लिए हृदय से आभार.</p> आदरणीय सालिक गणवीर साहब कमाल…tag:openbooks.ning.com,2020-05-25:5170231:Comment:10083562020-05-25T03:23:22.696Zडॉ छोटेलाल सिंहhttp://openbooks.ning.com/profile/20ch7d01r75yx
<p>आदरणीय सालिक गणवीर साहब कमाल की गजल प्रस्तुत की आपने,न बन पाया तेरे जैसा कभी मैं ,बहुत सुंदर मन मगन हो गया बधाई कुबूल कीजिए</p>
<p>आदरणीय सालिक गणवीर साहब कमाल की गजल प्रस्तुत की आपने,न बन पाया तेरे जैसा कभी मैं ,बहुत सुंदर मन मगन हो गया बधाई कुबूल कीजिए</p> आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अ…tag:openbooks.ning.com,2020-05-24:5170231:Comment:10083492020-05-24T11:10:24.774Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । उम्दा गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । उम्दा गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>