Comments - अब नहीं- लघुकथा - Open Books Online2024-03-28T20:00:29Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1007501&xn_auth=noइस टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आ…tag:openbooks.ning.com,2020-05-26:5170231:Comment:10085152020-05-26T06:36:24.262Zविनय कुमारhttp://openbooks.ning.com/profile/vinayakumarsingh
<p>इस टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ रक्षिता सिंह जी</p>
<p>इस टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ रक्षिता सिंह जी</p> आदरणीय विनय जी, नमस्कार बहुत…tag:openbooks.ning.com,2020-05-24:5170231:Comment:10083442020-05-24T10:06:17.134Zरक्षिता सिंहhttp://openbooks.ning.com/profile/RakshitaSingh
<p>आदरणीय विनय जी, नमस्कार बहुत ही सुंदर लघुकथा ... बहुत बहुत बधाई !</p>
<p>आदरणीय विनय जी, नमस्कार बहुत ही सुंदर लघुकथा ... बहुत बहुत बधाई !</p> इस टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आ…tag:openbooks.ning.com,2020-05-21:5170231:Comment:10079132020-05-21T11:28:29.917Zविनय कुमारhttp://openbooks.ning.com/profile/vinayakumarsingh
<p>इस टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ समर कबीर साहब</p>
<p>इस टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ समर कबीर साहब</p> जनाब विनय कुमार जी आदाब, अच्छ…tag:openbooks.ning.com,2020-05-21:5170231:Comment:10079092020-05-21T09:01:19.118ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब विनय कुमार जी आदाब, अच्छी लघुकथा है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब विनय कुमार जी आदाब, अच्छी लघुकथा है, बधाई स्वीकार करें ।</p> इस सकारात्मक और उत्साह बढ़ाने…tag:openbooks.ning.com,2020-05-20:5170231:Comment:10073022020-05-20T06:57:40.907Zविनय कुमारhttp://openbooks.ning.com/profile/vinayakumarsingh
<p>इस सकारात्मक और उत्साह बढ़ाने वाली टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ तेज वीर सिंह जी</p>
<p>इस सकारात्मक और उत्साह बढ़ाने वाली टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ तेज वीर सिंह जी</p> इस सकारात्मक और उत्साह बढ़ाने…tag:openbooks.ning.com,2020-05-20:5170231:Comment:10077072020-05-20T06:57:09.574Zविनय कुमारhttp://openbooks.ning.com/profile/vinayakumarsingh
<p>इस सकारात्मक और उत्साह बढ़ाने वाली टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ प्रतिभा पांडे जी</p>
<p>इस सकारात्मक और उत्साह बढ़ाने वाली टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ प्रतिभा पांडे जी</p> हार्दिक बधाई आदरणीय विनय जी।…tag:openbooks.ning.com,2020-05-20:5170231:Comment:10073872020-05-20T06:19:41.958ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय विनय जी। बेहतरीन सम सामयिक लघुकथा।जो लोग इस त्रासदी को झेल रहे हैं या झेल चुके हैं वे अगली दो तीन पीढ़ी तक इसे भूल नहीं पायेंगे।शहर की ओर आने का सपना भी नहीं देखेंगे।</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय विनय जी। बेहतरीन सम सामयिक लघुकथा।जो लोग इस त्रासदी को झेल रहे हैं या झेल चुके हैं वे अगली दो तीन पीढ़ी तक इसे भूल नहीं पायेंगे।शहर की ओर आने का सपना भी नहीं देखेंगे।</p> वाह .. मजदूरों के पलायन का सा…tag:openbooks.ning.com,2020-05-20:5170231:Comment:10076052020-05-20T06:12:20.185Zpratibha pandehttp://openbooks.ning.com/profile/pratibhapande
<p>वाह .. मजदूरों के पलायन का सामयिक विषय लेकर चलती रचना को अंतिम पंक्ति ने बहुत ऊँचाई दे दी। आज इन कर्मवीरों को बोझ और भीड़ समझने वाली मानसिकता कल अवश्य अपने फैसलों पर पछतायगी। बधाई आदरणीय विनय जी।</p>
<p>वाह .. मजदूरों के पलायन का सामयिक विषय लेकर चलती रचना को अंतिम पंक्ति ने बहुत ऊँचाई दे दी। आज इन कर्मवीरों को बोझ और भीड़ समझने वाली मानसिकता कल अवश्य अपने फैसलों पर पछतायगी। बधाई आदरणीय विनय जी।</p>