Comments - मृदु-भाव - Open Books Online2024-03-29T01:01:17Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1003898&xn_auth=noभाई समर कबीर जी, आपसे मिली सर…tag:openbooks.ning.com,2020-04-09:5170231:Comment:10041552020-04-09T23:43:45.868Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>भाई समर कबीर जी, आपसे मिली सराहना का मतलब है कि मैं इम्तहान में पास हो गया।दिल से शुक्रिया कि आप मेरी लिखी रचनाओं को इज़्ज़त देते हैं।<br/>हम अब १ १/४ महीने से घर के अन्दर ही हैं, कहीं नहीं गए। Dr की appointments थीं, सारी स्थगित कर दी हैं। सामान delivery service से मंगवाते हैं... हर फल, हर सब्ज़ी को साबुन के गरम पानी से धोते हैं। हर हाल में शुक्र-गुज़ार हूँ। आपने मेरा हाल पूछा, इसके लिए भी दिल से शुक्र-गुज़ार हूँ।</p>
<p>भाई समर कबीर जी, आपसे मिली सराहना का मतलब है कि मैं इम्तहान में पास हो गया।दिल से शुक्रिया कि आप मेरी लिखी रचनाओं को इज़्ज़त देते हैं।<br/>हम अब १ १/४ महीने से घर के अन्दर ही हैं, कहीं नहीं गए। Dr की appointments थीं, सारी स्थगित कर दी हैं। सामान delivery service से मंगवाते हैं... हर फल, हर सब्ज़ी को साबुन के गरम पानी से धोते हैं। हर हाल में शुक्र-गुज़ार हूँ। आपने मेरा हाल पूछा, इसके लिए भी दिल से शुक्र-गुज़ार हूँ।</p> सराहना के लिए आपका हार्दिक आभ…tag:openbooks.ning.com,2020-04-09:5170231:Comment:10040752020-04-09T23:37:57.761Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, प्रिय मित्र सुशील जी। आपका आना बहुत सुखद लगा।</p>
<p>सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, प्रिय मित्र सुशील जी। आपका आना बहुत सुखद लगा।</p> प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,…tag:openbooks.ning.com,2020-04-06:5170231:Comment:10037802020-04-06T11:05:43.366ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,हमेशा की तरह एक अच्छी रचना पेश की आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>कृपया अपनी ख़ैरियत से आगाह करते रहें,मुझे आपकी बहुत चिंता है ।</p>
<p>प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,हमेशा की तरह एक अच्छी रचना पेश की आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>कृपया अपनी ख़ैरियत से आगाह करते रहें,मुझे आपकी बहुत चिंता है ।</p> बहुत सुंदर आदरणीय विजय निकोर…tag:openbooks.ning.com,2020-04-05:5170231:Comment:10039622020-04-05T09:08:58.353ZSushil Sarnahttp://openbooks.ning.com/profile/SushilSarna
<p>बहुत सुंदर आदरणीय विजय निकोर जी, अंतर् भावों को शब्दों के परिधान से सुसज्जित कर उसे ऐसे पेश करना जैसे शब्दों को स्वर मिल गया हो। इस बेहतरीन भावुक प्रस्तुति के लिए दिल से बधाई सर।</p>
<p>बहुत सुंदर आदरणीय विजय निकोर जी, अंतर् भावों को शब्दों के परिधान से सुसज्जित कर उसे ऐसे पेश करना जैसे शब्दों को स्वर मिल गया हो। इस बेहतरीन भावुक प्रस्तुति के लिए दिल से बधाई सर।</p>