Comments - चार शेर ( फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन ) - Open Books Online2024-03-29T08:52:18Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1002090&xn_auth=noउस्ताद ए मोहतरम समर कबीर साहब…tag:openbooks.ning.com,2020-03-17:5170231:Comment:10024092020-03-17T15:39:17.668ZShaikh Zubairhttp://openbooks.ning.com/profile/ShaikhZubair
उस्ताद ए मोहतरम समर कबीर साहब आपने बेहद कीमती इस्लाह दी,बेहद शुक्रिया, ख़ुदा आपको सलामत रखे।<br />
मैं दोनो शेर सही कर लेता हूँ।<br />
बोहत शुक्रिया।
उस्ताद ए मोहतरम समर कबीर साहब आपने बेहद कीमती इस्लाह दी,बेहद शुक्रिया, ख़ुदा आपको सलामत रखे।<br />
मैं दोनो शेर सही कर लेता हूँ।<br />
बोहत शुक्रिया। जनाब शैख़ ज़ुबैर जी आदाब,अच्छे…tag:openbooks.ning.com,2020-03-17:5170231:Comment:10023372020-03-17T01:37:12.560ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब शैख़ ज़ुबैर जी आदाब,अच्छे अशआर हुए हैं,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p>जिस के पीछे अब ज़माना है पढ़ा</p>
<p>वो कभी मेरी भी दीवानी रही'</p>
<p>इस शैर को यूँ कर लें:-</p>
<p>'जिसके पीछे ये ज़माना है पड़ा</p>
<p>वो हमेशा मेरी दीवानी रही'</p>
<p></p>
<p><span>'दोस्ती कर ली किताबों से मैं ने'</span></p>
<p><span>इस मिसरे को यूँ कर लें:-</span></p>
<p><span>'दोस्ती जब से किताबों से हुई'</span></p>
<p>जनाब शैख़ ज़ुबैर जी आदाब,अच्छे अशआर हुए हैं,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p>जिस के पीछे अब ज़माना है पढ़ा</p>
<p>वो कभी मेरी भी दीवानी रही'</p>
<p>इस शैर को यूँ कर लें:-</p>
<p>'जिसके पीछे ये ज़माना है पड़ा</p>
<p>वो हमेशा मेरी दीवानी रही'</p>
<p></p>
<p><span>'दोस्ती कर ली किताबों से मैं ने'</span></p>
<p><span>इस मिसरे को यूँ कर लें:-</span></p>
<p><span>'दोस्ती जब से किताबों से हुई'</span></p>