Comments - दिल्ली जलती है जलने दे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' - Open Books Online2024-03-29T02:22:30Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1001493&xn_auth=noआ. भाई रवि भसीन जी, सादर अभिव…tag:openbooks.ning.com,2020-03-04:5170231:Comment:10019322020-03-04T01:41:53.002Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई रवि भसीन जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए आभार ।</p>
<p>आ. भाई रवि भसीन जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए आभार ।</p> आदरणीय लक्ष्मण भाई, आपको इस स…tag:openbooks.ning.com,2020-03-02:5170231:Comment:10018812020-03-02T16:41:31.556Zरवि भसीन 'शाहिद'http://openbooks.ning.com/profile/RaviBhasin
<p>आदरणीय लक्ष्मण भाई, आपको इस सुंदर ग़ज़ल की रचना पर बहुत बधाई। आदरणीय उस्ताद समर कबीर साहब को ज्ञानवर्धन के लिए हार्दिक आभार।</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण भाई, आपको इस सुंदर ग़ज़ल की रचना पर बहुत बधाई। आदरणीय उस्ताद समर कबीर साहब को ज्ञानवर्धन के लिए हार्दिक आभार।</p> आ. भाई विजय निकोर जी, सादर अभ…tag:openbooks.ning.com,2020-03-02:5170231:Comment:10019182020-03-02T03:33:55.645Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई विजय निकोर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।</p>
<p>आ. भाई विजय निकोर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।</p> आप गज़ल अच्छी लिखते हैं, मित्र…tag:openbooks.ning.com,2020-03-01:5170231:Comment:10019102020-03-01T14:34:54.665Zvijay nikorehttp://openbooks.ning.com/profile/vijaynikore
<p>आप गज़ल अच्छी लिखते हैं, मित्र लक्ष्मण जी। हार्दिक बधाई।</p>
<p>आप गज़ल अच्छी लिखते हैं, मित्र लक्ष्मण जी। हार्दिक बधाई।</p> आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवाद…tag:openbooks.ning.com,2020-02-29:5170231:Comment:10017642020-02-29T16:43:29.172Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार ।</p>
<p>आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार ।</p> हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण ध…tag:openbooks.ning.com,2020-02-29:5170231:Comment:10016872020-02-29T15:16:21.840ZTEJ VEER SINGHhttp://openbooks.ning.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय<span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami" class="fn url">लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'</a> जी।बेहतरीन गज़ल।</p>
<p><span>दिल्ली जलती है जलने दे मुझे सियासत करने दे</span><br/><span>हर नेता का ये कहना है कुछ तो कुर्सी फलने दे।२।</span></p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय<span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami" class="fn url">लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'</a> जी।बेहतरीन गज़ल।</p>
<p><span>दिल्ली जलती है जलने दे मुझे सियासत करने दे</span><br/><span>हर नेता का ये कहना है कुछ तो कुर्सी फलने दे।२।</span></p> ठीक है,'कुर्वानी'' को "क़ुर्बा…tag:openbooks.ning.com,2020-02-29:5170231:Comment:10017422020-02-29T06:29:08.326ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>ठीक है,'कुर्वानी'' को "क़ुर्बानी" कर लें ।</p>
<p>ठीक है,'कुर्वानी'' को "क़ुर्बानी" कर लें ।</p> आ. भाई समर जी, अब ठीक है क्या…tag:openbooks.ning.com,2020-02-28:5170231:Comment:10018222020-02-28T23:16:37.465Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई समर जी, अब ठीक है क्या </p>
<p></p>
<p>हो सकता है तुझ से कुछ तो कुर्वानी में रिश्ते दे।।</p>
<p>आ. भाई समर जी, अब ठीक है क्या </p>
<p></p>
<p>हो सकता है तुझ से कुछ तो कुर्वानी में रिश्ते दे।।</p> //कब कहता हूँ आम आदमी मुझको अ…tag:openbooks.ning.com,2020-02-28:5170231:Comment:10015552020-02-28T10:00:36.687ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>//<br/>कब कहता हूँ आम आदमी मुझको अपने पैसे दे<br/>हो सकता है तुझ से कुछ तो कुर्वानी में बच्चे दे।।<br/>दिल्ली जलती है जलने दे मुझे सियासत करने दे<br/>मैं हूँ नेता मेरे हित में कुछ तो कुर्सी फलने दे।।//</p>
<p></p>
<p>'बच्चे दे' की जगह कुछ और कहें ।</p>
<p>//<br/>कब कहता हूँ आम आदमी मुझको अपने पैसे दे<br/>हो सकता है तुझ से कुछ तो कुर्वानी में बच्चे दे।।<br/>दिल्ली जलती है जलने दे मुझे सियासत करने दे<br/>मैं हूँ नेता मेरे हित में कुछ तो कुर्सी फलने दे।।//</p>
<p></p>
<p>'बच्चे दे' की जगह कुछ और कहें ।</p> आ. भाई समर जी, क्या अब ठीक है…tag:openbooks.ning.com,2020-02-28:5170231:Comment:10015032020-02-28T09:42:52.656Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई समर जी, क्या अब ठीक है ..देखियेगा</p>
<p></p>
<p>कब कहता हूँ आम आदमी मुझको अपने पैसे दे<br/>हो सकता है तुझ से कुछ तो कुर्वानी में बच्चे दे।।<br/>दिल्ली जलती है जलने दे मुझे सियासत करने दे<br/>मैं हूँ नेता मेरे हित में कुछ तो कुर्सी फलने दे।।</p>
<p>आ. भाई समर जी, क्या अब ठीक है ..देखियेगा</p>
<p></p>
<p>कब कहता हूँ आम आदमी मुझको अपने पैसे दे<br/>हो सकता है तुझ से कुछ तो कुर्वानी में बच्चे दे।।<br/>दिल्ली जलती है जलने दे मुझे सियासत करने दे<br/>मैं हूँ नेता मेरे हित में कुछ तो कुर्सी फलने दे।।</p>