Comments - अतुकांत कविता : प्रगतिशील (गणेश जी बागी) - Open Books Online2024-03-29T11:27:20Zhttp://openbooks.ning.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1000352&xn_auth=noachee rachnaa - badhaeetag:openbooks.ning.com,2020-02-12:5170231:Comment:10008552020-02-12T11:37:02.323ZMUKESH SRIVASTAVAhttp://openbooks.ning.com/profile/MUKESHSRIVASTAVA
<p>achee rachnaa - badhaee</p>
<p>achee rachnaa - badhaee</p> आद0 गणेश जी बागी जी सादर अभिव…tag:openbooks.ning.com,2020-02-05:5170231:Comment:10005782020-02-05T23:45:07.230Zनाथ सोनांचलीhttp://openbooks.ning.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 गणेश जी बागी जी सादर अभिवादन। इस अतुकांत को जितनी बार पढ़ता हूँ, भूख बढ़ती जाती है। इस जीवंत रचना के लिए आपको कोटिश बधाइयां। सादर</p>
<p>आद0 गणेश जी बागी जी सादर अभिवादन। इस अतुकांत को जितनी बार पढ़ता हूँ, भूख बढ़ती जाती है। इस जीवंत रचना के लिए आपको कोटिश बधाइयां। सादर</p> इस कविता के माध्यम से उन तथाक…tag:openbooks.ning.com,2020-02-03:5170231:Comment:10006232020-02-03T13:06:31.083Zrajesh kumarihttp://openbooks.ning.com/profile/rajeshkumari
<p>इस कविता के माध्यम से उन तथाकथित रचनाकारों के गाल पर जबरदस्त तमाचा है | एक बात और बताऊँ कुछ फर्जी नाम से अर्थात फेक आई डी से पुरुषवर्ग भी संलिप्त हैं इस घिनौने लेखन में |मगर मेरा यही कहना है चाहे कवि हो या कवयित्री ,,ऐसा लेखन एक गंदी मानसिकता विकृत मानसिकता का परिणाम है साहित्य में दाग हैं धब्बा हैं </p>
<p>इस कविता के माध्यम से उन तथाकथित रचनाकारों के गाल पर जबरदस्त तमाचा है | एक बात और बताऊँ कुछ फर्जी नाम से अर्थात फेक आई डी से पुरुषवर्ग भी संलिप्त हैं इस घिनौने लेखन में |मगर मेरा यही कहना है चाहे कवि हो या कवयित्री ,,ऐसा लेखन एक गंदी मानसिकता विकृत मानसिकता का परिणाम है साहित्य में दाग हैं धब्बा हैं </p> आ. भाई गणेश जी , सादर अभिवादन…tag:openbooks.ning.com,2020-02-02:5170231:Comment:10006142020-02-02T23:48:19.336Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://openbooks.ning.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई गणेश जी , सादर अभिवादन । अच्छी कविता हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई गणेश जी , सादर अभिवादन । अच्छी कविता हुई है । हार्दिक बधाई ।</p> आदरणीय समर साहब, आपका आशीर्वा…tag:openbooks.ning.com,2020-02-01:5170231:Comment:10005432020-02-01T04:06:21.637ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://openbooks.ning.com/profile/GaneshJee
<p>आदरणीय समर साहब, आपका आशीर्वाद इस अभिव्यक्ति को मिला, बहुत बहुत आभार । टंकण त्रुटि को बताने हेतु हृदय से अभिभूत हूँ, अभी एडिट करता हूँ ।</p>
<p>आदरणीय समर साहब, आपका आशीर्वाद इस अभिव्यक्ति को मिला, बहुत बहुत आभार । टंकण त्रुटि को बताने हेतु हृदय से अभिभूत हूँ, अभी एडिट करता हूँ ।</p> जनाब गणेश जी 'बाग़ी' साहिब आदा…tag:openbooks.ning.com,2020-01-31:5170231:Comment:10005392020-01-31T09:53:41.066ZSamar kabeerhttp://openbooks.ning.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब गणेश जी 'बाग़ी' साहिब आदाब,तरक़्क़ी पसंद तहरीक के नुमाइंदों पर बहुत उम्दा तंज़ करती एक अच्छी कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><span>'मानसिक खुराक'<strong>--"मानसिक ख़ूराक"</strong></span></p>
<p>जनाब गणेश जी 'बाग़ी' साहिब आदाब,तरक़्क़ी पसंद तहरीक के नुमाइंदों पर बहुत उम्दा तंज़ करती एक अच्छी कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><span>'मानसिक खुराक'<strong>--"मानसिक ख़ूराक"</strong></span></p>