For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 मत तोड़ फूल को शाख से

झूमते झूलते संग हवा के

हिलोरें ले रही शाखाओं पर 

सज रहें ये खिले खिले पेड़

बहने दो संगीतमय लहर

यही तो गीत है जीवन का 

....................................

 रहने दो फूल को शाख पर 

वहीँ खिलने और झड़ने दो 

बिखरने दो इसे यूं ही यहाँ 

आकुल है भूमि चूमने इसे 

महकने दो आँचल धरा का 

सृजन होगा नवगीत यहाँ 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 560

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rekha Joshi on April 23, 2013 at 9:16pm

उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार राम जी ,धन्यवाद 

Comment by ram shiromani pathak on April 23, 2013 at 9:04pm

 बहुत  सुन्दर, हार्दिक बधाई

Comment by Rekha Joshi on April 23, 2013 at 8:38pm

आभार गीतिका जी 

Comment by वेदिका on April 23, 2013 at 8:14pm

नवगीत के व्याकरण और शिल्प के बारे में मुझे कोई ज्ञान तो नहीं है .....भाव बखूबी उकेरे आपने आदरणीया रेखा जी!

Comment by Rekha Joshi on April 23, 2013 at 7:27pm

आदरणीय अशोक जी ,सादर आपको दोनों पद समान लगे परन्तु शायद दोनों के बीच में अंतर पर आप ने ठीक से ध्यान नही दिया पहले पद में प्रकृति में चल रहा गीत और संगीत है तथा दूसरे में फूलो का झड़ना और बीज से सृजन और उससे उपजने वाला नवगीत है क्योंकि हर पल नया है ,ख़ैर आपको रचना के भाव पसंद आये ,हार्दिक आभार 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 23, 2013 at 7:08pm

आदरणीय रेखा जी सादर, मुझे यह रचना नवगीत तो नहीं लगती.बहुत सुन्दर भाव प्रस्तुत किये हैं किन्तु क्षमा करें  रचना के दोनों ही पदों में समानता होने से मुझे लगता है दो पद लिखने का श्रम नाहक था. सामयिक घटना से मन में उपजे भावों की अच्छी प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by Rekha Joshi on April 23, 2013 at 6:31pm

आ श्याम जी ,आ विजय जी ,आपका हार्दिक आभार ,सुझाव के लिए धन्यवाद आ विजय जी ,तहे दिल से शुक्रिया 

Comment by Rekha Joshi on April 23, 2013 at 6:29pm

आदरणीया डा प्राची जी ,रचना को पसंद करने पर हार्दिक धन्यवाद ,रचना लिखते हुए सृजन का भाव मन में आया ,हर पल जिंदगी में बदलाव हो रहा है ,हर पल नया है ,धरा से बीज जब फुटाव लेता है नई छोटी छोटी  कोमल पत्तिया निकलती है प्रकृति से नवगीत का सृजन ही इस रचना का भाव है ,ऐसे ही प्रेरणा देते रहिये ,आभार 

Comment by Rekha Joshi on April 23, 2013 at 6:17pm

आ मनु जी ,आ वंदना जी आ कुंती जी ,आप का दिल से आभार ,ऐसे ही उत्साह बढाते रहिये ,धन्यवाद 

Comment by vijay nikore on April 23, 2013 at 4:25pm

आदरणीया रेखा जी:

भाव अच्छे लगे.... बधाई.. ।

पढ़ते हुए लय में बाधा हुई। एक विनम्र सुझाव ... शब्दों का प्रपठन करने से रचना और पठनीय बन सकती है।


सादर,

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service