For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्वयं को तनिक एक बच्चा बना-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२


न दे साथ जग  तो अकेला बना
नया अपने दम पर जमाना बना।१।
*
थका हूँ जतन कर यहाँ मैं बहुत
कि घर मेरा तू ही शिवाला बना।२।
*
तुझे अपना कहते बितायी सदी
न  ऐसे तो पल  में  पराया बना।३।
*
यहाँ सच की बातें तो अपराध हैं
यही सोच खुद को न झूठा बना।४।
*
बड़ों के दिलों में भरा दोष अब
स्वयं को तनिक एक बच्चा बना।५।
*
बहुत दम है साथी कहन में मगर
नहीं अपने लहजे  को ताना बना।६।
*
यही जीभ  अपना  करे  गैर को
न अपनों को इस से पराया बना।७।
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 462

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 3, 2021 at 4:11pm

आ. भाई विजय निकोर जी , सादर अभिवादन। गजल पर आपकी उपस्थिति व स्नेह से मन हर्षित हुआ । हार्दिक आभार..

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 3, 2021 at 4:09pm

आ. भाई दण्डपाणि जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 30, 2021 at 8:23pm
आ.भाई समर जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति व स्नेह के लिए हार्दिक आभार ।
Comment by vijay nikore on September 30, 2021 at 12:52pm

गज़ल अच्छी बनी है...

हार्दिक बधाई

Comment by Samar kabeer on September 28, 2021 at 7:21pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब. ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है , बधाई स्वीकार करें I 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 27, 2021 at 8:33pm

आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति , सराहना व सुझाव के लिए हार्दिक धन्यवाद।

सुझाव बेहतरीन है किन्तु उससे कहन का भाव बदल रहा है क्योंकि जमाने को नया बनाने व अपना बनाने में अंतर तो है ही । सादर..

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 27, 2021 at 5:45pm

जनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले को थोड़ा वक़्त देने की ज़रूरत है.

एक सुझाव पेश करता हूँ, मतले का सानी मिसरा यूँ कर सकते हैं -

"ज़माने को अपना ज़माना बना"   सादर। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"शुक्रिया आदरणीय, माजरत चाहूँगा मैं इस चर्चा नहीं बल्कि आपकी पिछली सारी चर्चाओं  के हवाले से कह…"
33 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
3 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
7 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
14 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
14 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
14 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
14 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
14 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
15 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service