For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत  (नयन झील के हंस अकेले)

सत्य कामना प्रेम साधना, प्राण हवा प्रभु को भाते हैं.

नयन झील के हंस अकेले, मोती सारे चुंग जाते हैं..

 

प्रिय तुम्हारे आकर्षण से,

मन-दर्पण सब शरमाते हैं

सूरज- चंदा, गगन-सितारे,

सागर-घन सब घबराते हैं.

अहं बावरे रसिक दिवाने,

मूक-पंगु बन पछताते हैं.

नयन झील के हंस अकेले, मोती सारे चुंग जाते हैं..1

 

देह चांदनी छुवन मर्मरी,

सहज भाव यश वंदन करती.

पथ के घुंघुरू बांध दिशाएं,

करे नृत्य रवि चंदन वरती.

धूल आंधियां तम नदानियां,

सावन तन-मन दहकाते हैं.

नयन झील के हंस अकेले, मोती सारे चुंग जाते हैं..2

 

पंच तत्व की ओढ़ चुनरिया,

गली-गली हर चौबारे पर,

राधा-मीरा और कबीरा,

समझाते बस पखवारे भर.

काल-झूठ अज्ञान वासना,

‘सत्यम’ से सब थर्राते हैं.

नयन झील के हंस अकेले, मोती सारे चुंग जाते हैं..3

 

केवल प्रसाद सत्यम / मौलिक व अप्रकाशित

Views: 532

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on October 14, 2015 at 3:30pm

आदरणीय केवल जी बहुत सुन्दर गीत हुआ है इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई सादर 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 13, 2015 at 6:35pm
आदरणीया कांता जी, रचना पर मंतव्य देने के लिये आपका हार्दिक आभार.
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 13, 2015 at 6:33pm
आ0 श्याम नारायण भाई जी, रचना पर मंतव्य देने के लिये आपका हार्दिक आभार.
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 13, 2015 at 6:32pm
आ0 सतविंदर भाई जी, रचना पर मंतव्य देने के लिये आपका हार्दिक आभार.
Comment by kanta roy on October 12, 2015 at 10:22pm

अहं बावरे रसिक दिवाने,
मूक-पंगु बन पछताते हैं.
नयन झील के हंस अकेले, मोती सारे चुंग जाते हैं..----बड़े कोमल भाव लिए ये अनुपम रचना हुई है आदरणीय केवल प्रसाद जी। बधाई।

Comment by Shyam Narain Verma on October 10, 2015 at 3:38pm

सुंदर गीत के लिए तहे दिल बधाई के साथ सादर 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 10, 2015 at 10:26am
सुंदर रचना आदरणीय सत्यम जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service