For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम्हारी याद में..... तुम्हारे जाने के बाद

तुम्हारी याद मे........
मैं खोयी थी अपने इन्द्रधनुषी सपनों में
अचानक बादलों की एक गडगडाहट ऩे
मुझे तुमसे मिला दिया|
लेकिन मैं कभी मन से
तुम्हारी न बन सकी|
तुम्हारा नियंत्रण मेरी देह पर था,
परन्तु मन आज भी
उन्ही इन्द्रधनुषी सपनों मे
रंगा हुआ था |
धीरे धीरे हमारे बीच दूरियाँ बढ़ने लगी,
बात बेबात तकरारे बढ़ने लगी,
आँगन मे गुलाब के साथ
कैक्टस भी फलने फूलने लगा|
और एक दिन
जब तुम चले गए
मुझे छोड़कर तन्हा
कहीं दूसरे शहर मे |
उस दिन मैं बहुत खुश थी
चलो रोज की चिक-चिक से
छुटकारा तो मिला|
मगर
रात भर मैं सो ना सकी,
सोचती रही
पता नहीं तुम कहाँ होंगे,
किस हाल मे होंगे?
मैंने देखा
कि तुम अपना कोट भी तो
नहीं ले गए थे
सर्दी मे कैसे होंगे आप
यही सोचते सोचते
आपके कोट को
हाथ मे लेकर बैठी रही|
सच कहूँ
मैं पूरी रात सो ना सकी|
मुझे याद आया
उस दिन आलू-टमाटर कि सब्जी मे
नमक ज्यादा गिर गया था |
आपने कहा था 'नमक ज्यादा हो गया है'
मैं चिल्लाई थी'
"आपको बाज़ार का खाना अच्छा लगता है,
मेरे हाथ का कहाँ?"
फिर आप चुपचाप खाना खाकर
बाज़ार चले गए थे|
आपके जाने के बाद
जब खाया था मैंने खाना
तो पता चला था
सचमुच नमक बहुत ज्यादा था|
फिर कभी आपने शिकायत नहीं की
चाय फीकी या सब्जी मे नमक की|
मुझे याद आ रहा है
आपका दफ्तर से आते ही
कंप्यूटर लेकर बैठ जाना,
और अपने काम मे लग जाना|
मैं सोचा करती
इस आदमी को मुझसे कोई मतलब नहीं,
बस रात को अपनी इच्छा पूर्ति के लिए
मेरी जरुरत!
तुम्हारे जाने के बाद
मुझे लगा
कि तुम ही मेरी
धड़कन बन चुके थे|
मैंने कंप्यूटर के की बोर्ड पर
अहसास किया
तुम्हारी अँगुलियों का|
मुझे याद आया
तुम सुनाते थे
अपनी कविता
सबसे पहले मुझे
और मैं चली जाती थी
बीच मे ही
कुछ काम करने
सुनना बीच मे छोड़ कर|
फिर तुमने बंद कर दिया था
धीरे-धीरे कविता सुनाना,और
अधिक समय देने लगे थे
अपने कंप्यूटर पर भी|

आगे जारी है............
डॉ अ कीर्तिवर्धन
9911323732tumhari

Views: 282

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 13, 2012 at 11:46am

स्मृतियों की गलियों में घूमती और वर्तमान के एकाकीपन की पीड़ा को बहुत  सुन्दरता से शब्दों में ढाला है आदरणीय डॉ कीर्तिवर्धन जी, हार्दिक बधाई स्वीकारें.  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब ग़ज़ल अभी समय चाहती है। मिसरों में परिपक्वता और रब्त की आवश्यकता…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बहुत ख़ूब आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है, पूरी ग़ज़ल रवानी में है, शे'र दर…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। //इक सिलाई मशीन उस के…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिल…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय अमित जी और निलेश…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय मनोज अहसास जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, ग़ज़ल अभी…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"मतला अब भी प्रभावित नहीं कर रहा। बला के इलावा किसी और एंगल से सोचें।"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, हौसला अफ़ज़ाई और दाद-ओ-तहसीन से नवाज़ने के लिए…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद हौसला अफ़ज़ाई और दाद-ओ-तहसीन से नवाज़ने के लिए तह-ए-दिल…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service