प्रेम रस का पान आओ फिर करें
सृष्टि का नव गान आओ फिर करें !
*
हम जले दावानलों से,
आँधियों से तुम बिखर।
आ गये हैं एक जैसी,
भाग्य की बाँधी डगर।।
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भूल कर बीते दुखों के दर्द को
मोहिनी मुस्कान आओ फिर करें !
*
सोच मन पर क्या न बीती,
और घायल मन न कर।।
तय करें फिर साथ मिलकर,
जिन्दगी का यह सफर।।
*
नव सृजन को पथ मिला साथी मिले
नीड़ का निर्माण आओ फिर करें !
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हम रहे साथी…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 23, 2022 at 5:00am — 6 Comments
तुम कह देती एक बार
प्राण! मुझ को, तुमसे प्यार।।
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मिट जाती जन्मों की प्यास
छा जाता मन में उजास।
खो जाते सकल संत्रास
पूरित होती स्वर्णिम आस।।
*
पीड़ा हो जाती तार - तार
तुम कह देती एक बार
प्राण! मुझ को, तुमसे प्यार।।
*
पोंछ देती तुम नयन गीले
पड़ जाते सब आबंध ढीले।
हो जोते हरित, सब पर्ण पीले
मृत्यु कहती , जा और जी ले।।
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मन से लेती जो पुकार
तुम कह देती एक …
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 22, 2022 at 8:30pm — 6 Comments
२२१/२१२१/२२१/२१२
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अपनी शरण में लीजिए आकार दीजिए
जीवन को एक दृढ़ नया आधार दीजिए।।
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व्याख्या गुणों की कीजिए दुर्गुण निथार के
सारे जगत को मान्य हो वह सार दीजिए।।
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पथ से परोपकार व सच के न दूर हों
नैतिक बलों की शक्ति का संचार दीजिए।।
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अच्छा करें तो हौसला देना दुलार कर
करदें गलत तो वक़्त पे फटकार दीजिए।।
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गुरुकुल बृहद सा गेह है मुझको लगा…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 5, 2022 at 7:30am — 6 Comments
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