For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog – September 2014 Archive (6)

है भुजंगो से भरा जग मानता हूँ - (गजल ) - लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’

2122    2122    2122

************************

जिंदगी  का  नाम चलना, चल मुसाफिर

जैसे नदिया चल रही अविरल मुसाफिर /1

***

दे  न  पायें  शूल  पथ  के  अश्रु  तुझको

जब है चलना, मुस्कुराकर चल मुसाफिर /2

**

फिक्र मत कर खोज लेंगे पाँव खुद ही

हर कठिन होते सफर का हल मुसाफिर /3

**

मानता  हूँ  आचरण  हो  यूँ  सरल पर

राह में मुश्किल खड़ी तो, छल मुसाफिर /4

**

रात  का  आँचल  जो फैला है गगन तक

इस तमस में दीप बनकर जल मुसाफिर /5

**

है …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 26, 2014 at 12:30pm — 12 Comments

प्यार के दो बोल कह दे शायरी हो जाएगी - गजल (लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’)

2122    2122    2122    212

*******************************

प्यार को साधो अगर तो जिंदगी हो जाएगी

गर  रखो  बैशाखियों सा बेबसी हो जाएगी /1

***

बात कड़वी प्यार से कह दोस्ती हो जाएगी

तल्ख  लहजे से कहेगा दुश्मनी हो जाएगी /2

***

फिर घटा छाने लगी है दूर नभ में इसलिए

सूखती हर डाल यारो फिर हरी हो जाएगी /3

***

मौत तय है तो न डर, लड़, हर मुसीबत से मनुज

भागना  तो  इक  तरह  से  खुदकुशी हो जाएगी /4

***

मन  मिले  तो पास  में सब, हैं दरारें  कुछ…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 20, 2014 at 11:05am — 17 Comments

जब बहाने थे नये तो दिल को भी उम्मीद थी - गजल ( लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’ )

2122    2122    2122    212

*********************************

दिल  हमारा  तो  नहीं था आशियाने के लिए

फिर कहाँ से आ गये दुख घर बसाने के लिए

***

हम ने सोचा  था कि होंगी महफिलों में रंगतें

पर  मिली  वो  ही  उदासी जी दुखाने के लिए

***

था सुना हमने बुजुर्गो से  कि कातिल नफरतें

प्यार  भी  जरिया  बना पर खूँ बहाने के लिए

***

जब सभल जाएगा तुझको पीर देगा अनगिनत

हो  रहा   बेचैन  तू  भी   किस  जमाने के लिए

***

जब बहाने थे नये तो दिल…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 17, 2014 at 10:48am — 14 Comments

मसखरा उस को न कहना - (गजल ) - लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’

2122    2122    2122    2122

****

हौसला  देते  न  जो  ये  पाँव  के  छाले  सफर में

हर सफर घबरा के यारो,  छोड़ आते हम अधर में

****

एक भटकन है जो सबको, न्योत लाती है यहाँ तक

कौन  आता  है स्वयं ही, यार दुख के इस नगर में

****

एक  वो  है पालती  जो,  काजलों के साथ आँसू

कौन रख पाता भला अब, सौतने  दो  एक घर में

****

आशिकी की इंतहाँ ये, खुदकुशी का शौक मत कह

हॅसते-हॅसते डाल दी जो किश्तियाँ उसने भवर में

****

खो गया चंचलपना सब,…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 8, 2014 at 12:00pm — 8 Comments

उन्हें मौका मिला है तो, करेंगे हसरतें पूरी - लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’

1222   1222   1222   1222

******************************

रहे अरमाँ अधूरे जो, लगे मन को सताने फिर

चला  है  चाँद दरिया में हटा घूँघट नहाने फिर   /1/

***

नसीहत सब को दें चाहे बताकर दिन पुराने फिर

नजारा  छुप  के  पर्दे  में  मगर लेंगे सयाने फिर  /2/

***

उन्हें  मौका  मिला है तो, करेंगे हसरतें पूरी

सितारे नीर भरने के गढे़ंगे कुछ बहाने फिर  /3/

***

छुपा सकता नहीं कुछ भी खुदा से जब करम अपने

रखूँ  मैं  किस  से  पर्दा  तब बता तू ही…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 7, 2014 at 10:30am — 8 Comments

सच कहता हूँ यारो मै - ( गजल ) - लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’

2222    2222    2222    222

*******************************

रिश्ते उधड़े खुद ही सिलना सच कहता हूँ यारो मैं

औरों  को  मत रोते दिखना सच कहता हूँ यारो मैं

***

अपना  हो  या  बेगाना  हो  सुख  में  ही अपना होता

जब भी मिलना हॅसके मिलना सच कहता हूँ यारो मैं

***

चाहे भाये कुछ पल लेकिन आगे चलकर दुख देगा

उम्मीदों  से  जादा  मिलना सच कहता हूँ यारो मैं

***

दुख से सुख का सुख से दुख का मौसम जैसा नाता है

हर  मौसम  को  अपना  कहना सच कहता हूँ यारो…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 3, 2014 at 12:00pm — 13 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"बहुत बहुत शुक्रिय: जनाब अमीरुद्दीन भाई आपकी महब्बतों का किन अल्फ़ाज़ में शुक्रिय:  अदा…"
5 hours ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"बहुत धन्यवाद भाई लक्ष्मण धामी जी, सलामत रहें ।"
6 hours ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"बहुत बहुत धन्यवाद भाई अशोक रक्ताले जी, सलामत रहें ।"
6 hours ago
Samar kabeer commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
"//मुहतरम समर कबीर साहिब के यौम-ए-पैदाइश के अवसर पर परिमार्जन करके रचना को उस्ताद-ए-मुहतरम को नज़्र…"
6 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-166

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
"चूंकि मुहतरम समर कबीर साहिब और अन्य सम्मानित गुणीजनों ने ग़ज़ल में शिल्पबद्ध त्रुटियों की ओर मेरा…"
Monday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)

1222 - 1222 - 1222 - 1222ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ कि वो इस्लाह कर जातेवगर्ना आजकल रुकते नहीं हैं बस…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Monday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"आदरणीय समर कबीर जी को जन्म दिवस की हार्दिक बधाई और हार्दिक शुभकामनाऐं "
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"उस्ताद-ए-मुहतरम समर कबीर साहिब को ज़िन्दगी का एक और नया साल बहुत मुबारक हो, इस मौक़े पर अपनी एक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"आ. भाई समर जी को जन्म दिन की असीम हार्दिक शुभकामनाएँ व बधाई।"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"ओ बी ओ पर तरही मुशायरा के संचालक एवं उस्ताद शायर आदरणीय समर कबीर साहब को जीवन के अड़सठ वें वर्ष में…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service