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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog – February 2015 Archive (7)

धुंध का परदा हटाओ - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

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झील के पानी  को  फिर से बादलों ताजा करो

नीर हो  झरते  रहो तुम मत कभी ठहरा करो

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सिर्फ गर्जन  के लिए  कब  धूप जनती है तुम्हें

प्यास  खेतों  की  बुझाओ  खेल  से  तौबा करो

***

जान का भय  किसलिए है परहितों की बात जब

धुंध  का  परदा   हटाओ   दूर   तक   देखा   करो

***

सूर्य  के  तुम  वंशजों  में  छोड़   दो  मायूसियाँ

त्याग दो  जीवन भले ही तम को मत पूजा करो

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यूँ अँधेरों की  तिजारत …

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 25, 2015 at 6:00am — 14 Comments

सत्य की लम्बी उमर हो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

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पाप   का  अवसान  मागूँ

पुण्य  का  उत्थान   मागूँ

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सत्य  की  लम्बी उमर हो

झूठ  को  विषपान   मागूँ

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व्यर्थ   है  आकाश  होना

सिर्फ  लधु  पहचान  मागूँ

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राजपथ  की   राह   नीरस

पथ  सदा  अनजान  मागूँ

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स्वर्ण   देने   की  न  सोचो

मैं तो  बस  खलिहान मागूँ

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कोयलों   का   वंश   फूले

आज  यह  वरदान   मागूँ

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साथ ही पर  काक के हित

इक  मधुर  सा गान मागूँ

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मिल गए  नवरात …

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 23, 2015 at 11:31am — 26 Comments

आचरण से ध्यान जादा डील में - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

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दोष  ऐसा  आ  गया  अब  शील में

फासले  कदमों  के  बदले  मील में

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भर लिया तम से मनों को इस कदर

रोशनी   भी   कम   लगे  कंदील  में

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देह  होकर   देह   सा   रहते  नहीं

टाँगते  खुद  को वसन से कील में

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युग  नया  है  रीत भी  इसकी नई

आचरण  से  ध्यान  जादा डील में  /       डील-दैहिक विस्तार

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अब  बचे  पावन  न  रिश्ते दोस्तो

तत तक बदले है खुद को चील में

***

भय सताता क्या …

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 19, 2015 at 7:00am — 25 Comments

मुखौटे ओढ़कर अब तो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

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बुरे  की  कर  बुराई  अब (बुरे को अब बुरा कह कर)  बुराई  कौन  लेता  है

यहाँ  रूतबे  के  लोगों  से  सफाई कौन लेता है

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हँसी अती है लोगों को किसी की आँख नम हो तो

किसी  की  पीर  हरने  को  बिवाई  कौन  लेता है

 ***

सभी  हम्माम  में नंगे किसे क्या  फर्क पड़ता अब

जमाना  भी  न   देखे   जगहॅसाई   कौन   लेता है

 ***

मुखौटे ओढ़कर अब तो दिलो का राज रखते सब

सच्चाई …

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 17, 2015 at 11:00am — 18 Comments

धारावाहिक गजल भाग -1 ( लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' )

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डूबता  हो  सूर्य तो अब डूब जाए

मत कहो तुम रोशनी से पास आए /1

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एक अल्हड़ गोद में शरमा रही जब

चाँद से  कह दो नहीं वह मुस्कुराए /2

******

थी  कभी  मैंने लगायी बोलियाँ भी

मोलने पर तब न मुझको लोग आए /3

******

आज मैं अनमोल हूँ बेमोल बिक कर

व्यर्थ  अब  बाजार जो कीमत लगाए /4

******

कामना जब मुक्ति की थी खूब मुझको

बाँधने  सब  दौड़ कर नित पास आए /5



रास  आया  है मुझे  जब  आज…

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 8, 2015 at 1:52pm — 7 Comments

बसर तो प्यार से करते - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

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किरन की साँझ पे यल्गारियाँ नहीं चलती

तमस  की  भोर पे हकदारियाँ नहीं चलती

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बचाना  यार  चमन बारिशें भी गर हों तो

हवा की आग से कब यारियाँ नहीं चलती

**

बसर तो प्यार से करते वतन में हम  दोनों

धरम  के नाम की गर आरियाँ  नहीं चलती

**

चले वही जो करे जाँनिसार खुश हो के

वतन की राह में गद्दारियाँ नहीं चलती

**

बने हैं संत ये बदकार मिल रही इज्जत

कहूँ ये कैसे कि…

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 7, 2015 at 4:04pm — 15 Comments

गाँव को तहजीब में यारो नगर मत कीजिए - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

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कोशिशें  पुरखों  की  यारों बेअसर मत कीजिए

नफरतों को फिर दिलों का यूँ सदर मत कीजिए

******

मिट गये  ये तो  नरक  सी जिंदगी हो जाएगी

प्यार  को  सौहार्द  को यूँ दरबदर मत कीजिए

******

कर रहे हो  कत्ल  काफिर बोलकर मासूम तक

नाम  लेकर  धर्म का  ऐसा कहर  मत कीजिए

******

वो  शहीदी  कैसे  जिनसे  है  फसादों   की  फसल

उनको ये इतिहास में लिख के अमर मत कीजिए

*******

दुश्मनी …

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 5, 2015 at 12:34pm — 22 Comments

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