For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sushil Sarna's Blog – May 2020 Archive (9)

रंग काला :

रंग काला :

जाने कितने रंग सृष्टि के

अद्भुत लेकिन है रंग काला

काली अलकें काली पलकें

काले नयन लगें मधुशाला

काला भँवरा

हुआ मतवाला

काला टीका नज़र उतारे

काला धागा पाँव सँवारे

काली रैना चंदा ढूंढें

अपना शिवाला

काले में हैं सत्य के साये

हर उजास के पाप समाए

रैन कुटीर सृष्टि की शाला

रंग सपनों को

भाए काला

काले से तो भय व्यर्थ है

इसमें जीवन का अर्थ है

आदि अंत का ये…

Continue

Added by Sushil Sarna on May 22, 2020 at 7:48pm — 6 Comments

मौन सरोवर ....

मौन सरोवर ....

जुदा न होना

मेरे होकर

कैसे कह दूँ तुम स्वप्न हो

मेरी श्वास का तुम दर्पण हो

बोलो प्रिय

कहाँ गए तुम

मेरी पलक में सपने बो कर

जीवनतल की अकथ कथा तुम

प्रेम पलों की मधुर ऋचा तुम

तुम बिन देखो

सूख न जाएँ

अभिलाषा के मौन सरोवर

अभी यहाँ थे अभी नहीं हो

मेरी क्षुधा की सुधा तुम्हीं हो

जीवन दुर्लभ

तुमको खोकर

तुम अंतस की अमर धरोहर

सुशील सरना

मौलिक एवं…

Continue

Added by Sushil Sarna on May 20, 2020 at 7:49pm — 6 Comments

कुछ क्षणिकाएँ :

कुछ क्षणिकाएँ :

सीख लिया शब्दों ने

जीना और मरना

बिना परिधान बदले

देह का

साथ रहकर

व्योम को

सूक्ष्म से अलंकृत करो

कि स्वप्न भी

कल्पना हैं

अचेतन मन की

कह दिया काँपती लौ ने

दिए से

आज मैं सो जाऊंगी

तुम्हारी गोद में

क्रूर पवन के वेग से आहत होकर

शायद मेरा उजाला

अंधेरों को

नहीं भाया

मिट गई

जीत की आकांक्षा

तिमिर में

इक दूजे से

हारते हुए

हम के…

Continue

Added by Sushil Sarna on May 17, 2020 at 9:37pm — 6 Comments

भेद :

भेद :

समझा दिया मैंने

अपने बच्चों को

सत्य और असत्य में क्या है भेद

समझा दिया

मैंने अपने बच्चों को

भानु से फैला उजास

कितने रंगों को होता है

समझा दिया मैंने

यह भी अपने बच्चों को

कि रंगीली गिरगिट का

कौन सा रंग असली और कौन सा नकली होता है

मगर

मुझे ये समझाने में

बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ा

कि इंसान का कौन सा रंग असली है

और कौन सा नकली

शायद वक्त के साथ

वो इस…

Continue

Added by Sushil Sarna on May 15, 2020 at 6:19pm — 3 Comments

जीवन पर कुछ दोहे :

जाने कितनी दूर थी, जाने कितनी पास।

जाने किसकी जोह में, रुकी हुई थी श्वास।।

जाने किसकी जोह में, तरल हो गई आस।

एक श्वास थी ज़िंदगी, एक श्वास संत्रास।।

जीवन के विश्राम तक, मिटी न मन की जोह।

करते करते सो गया, जीव सत्य की टोह।।

बड़ा अजब है जीव का, जीवन के प्रति मोह।

जीत न पाया अंत से, खूब किया विद्रोह।।

मृत्यु देह की है सखा, जीवन गहरी खोह।

फिर भी इस संसार से, मिटे न मन का मोह।।





सुशील सरना…

Continue

Added by Sushil Sarna on May 14, 2020 at 10:30pm — 2 Comments

घर :

घर :

अच्छा है या बुरा है

जैसा भी है

मगर

ये घर मेरा है

इस घर का हर सवेरा

सिर्फ और सिर्फ

मेरा है

मैं

दिन रात

इसकी दीवारों से बातें करता हूँ

मेरे हर दर्द को

ये पहचानती हैं

मैं

कौन हूँ

ये अच्छी तरह जानती हैं

धूप

हर रोज

इन दीवारों को धो देती है

दीवारों पर टंगे अतीतों पर

रो देती है

कल भी कहते थे

ये आज भी कहते हैं

ये घर उनका का है

दीवारों पर उनकी यादों…

Continue

Added by Sushil Sarna on May 12, 2020 at 8:59pm — 2 Comments

माटी :कुछ दोहे

माटी :कुछ दोहे

माटी मिल माटी हुआ, माटी का इंसान।

माटी अंतिम हो गई,मानव की पहचान।।

माटी अंतिम हो गई,मानव की पहचान।

माटी- माटी हो गया, साँसों का अभिमान।।

माटी -माटी हो गया, साँसों का अभिमान।

खंडित सारे हो गए, जीने के वरदान।।

खंडित सारे हो गए, जीने के वरदान।

पल भर में माटी हुआ माटी का परिधान।।

पल भर में माटी हुआ, माटी का परिधान।

माटी के पुतले यही, तेरी है पहचान।।

सुशील सरना…

Continue

Added by Sushil Sarna on May 11, 2020 at 7:31pm — 3 Comments

मातृ दिवस पर माँ को अर्पित कुछ दोहे :

मातृ दिवस पर माँ को अर्पित कुछ दोहे :

माँ सृष्टि का नाम है, माँ में चारों धाम।

बिन माँ के संसार में, कहीं नहीं विश्राम।।

हौले -हौले गोद में, सोया माँ का लाल।

हुआ बड़ा तो देखिए, भूला माँ का हाल।।

नौ माह किया गर्भ में, माँ ने बड़ा ख़याल।

बिन बोले ही रो पड़ी, दुखी हुआ जब लाल।।

हर दम चाहे माँ यही, सुखी रहे संतान।

माँ देती संतान को, साँसों का वरदान।।



बिन देखे संतान को, मिटे न माँ की भूख।

भूख़ी हो संतान तो,…

Continue

Added by Sushil Sarna on May 10, 2020 at 6:02pm — 3 Comments

मन के जतन :

मन के जतन :

फूल हुए शूल हुए

रास्ते की धूल हुए

अर्थहीन हो गए

अर्द्ध रैन स्वप्न

अवरोध प्रीत के

छंद सजे गीत के

सृष्टि में अट्हास हुआ

प्रीत का उपहास हुआ

सहमे

तन और मन

मेघों के आँचल पर

खुशबू से नाम लिखे

अनुरोधों की देहरी पर

बेमोल बिक गए

अंतर मौन स्वप्न

स्वीकार सभी खो गए

वनपाखी से हो गए

सायों से मिलने के

व्यर्थ हुए जतन

क्यूँ रोये नैना

न वो जाने

न…

Continue

Added by Sushil Sarna on May 6, 2020 at 7:14pm — 3 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service