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डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव's Blog – February 2016 Archive (3)

कृष्ण ने कहा था

वह समय था

जब हम जाते थे माँ के साथ

नीरव-विजन मंदिर में

देव-विग्रह के समक्ष

सांध्य-दीप जलाने

क्रम से आती थी गाँव की

अन्य महिलाएं  

मिलता था तोष

एक अनिवर्चनीय सुख

जबकि नहीं देते थे भगवान्

कुछ भी प्रत्यक्षतः

सिर्फ रहते थे मौन

आज वही विग्रह

करते है अवगाहन रात भर

ट्यूब–लाइट की दूधिया रोशनी मे

नहीं आती अब वहां ग्राम की बधूटियां

पर उपचार, देव-कार्य करते हैं

एक उद्विग्न कम उम्र के…

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Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 27, 2016 at 11:04am — 1 Comment

कबाड़ी काल

 कुछ भी

अनुपयोगी नहीं है

उसके लिए

सभी पर है

उसकी निगाहें 

गहन कूड़े से भी

बीन और लेता है छीन

वह

प्राप्य अपना 

जो है जगद्व्यव्हार में

वह भी

और जो नहीं है वह भी

बीन लेगा एक दिन वह 

पेड़ –पौधे,  नदी=-पर्वत

और पृथ्वी

यहां तक की जायेगा ले    

सूरज गगन, नीहार, तारे

चन्द्र भी

ब्रह्माण्ड के सारे समुच्चय

लोग कहते हैं प्रलय 

कहते रहे  

किन्तु तय है

बीन…

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Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 14, 2016 at 7:22pm — 4 Comments

संध्या के बाद पूर्व ऊषा तक जो निशि भाग चुना मैंने I उस  शब्द-हीन सन्नाटे में  ईश्वर का राग सुना मैंने II                                                   पुच्छल  तारे की थी वीणा शशि-कर के तार सजीले …

संध्या के बाद पूर्व ऊषा तक जो निशि भाग चुना मैंने I

उस  शब्द-हीन सन्नाटे में  ईश्वर का राग सुना मैंने II

                                                 

पुच्छल  तारे की थी वीणा

शशि-कर के तार सजीले थे

उँगलियाँ चलाता था मारुत

रजनीले  लोचन  गीले थे

सरगम संगीत प्रवाहित था अपना प्रतिभाग गुना मैंने I

संध्या के बाद पूर्व ऊषा  ---------------------------------

 

मुखरित होता है मौन कभी

नीरवता  में  भी रव होता

धरती…

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Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 6, 2016 at 2:54pm — 8 Comments

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
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"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
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