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Mirza Hafiz Baig's Blog – March 2018 Archive (2)

युद्ध और साम्राज्य 2

पुराने ज़माने की बात है ।

        दो पङोसी देशों मे आपस सहयोग बढने लगा था । कहते हैं कि जब सहयोग बढता है तो परस्पर विश्वास जनम लेता है और विश्वास से प्रेम । प्रेम से मेल जोल बढता है और मेलजोल से खुशहाली आती है । लेकिन खुशहाल प्रजा भलीभांति शासित नही होती । क्योंकि खुशहाल व्यक्ति सम्पन्न होता है और समपन्न ही शक्तिशाली । फिर शक्तिशाली तो शासन ही करता है , उसे शासित नही किया जा सकता । गडरिया तो भेड़ों  के झुंड को ही चराता है , कभी शेरों के झुंड को चराते किसी को देखा गया है क्या ?…

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Added by Mirza Hafiz Baig on March 20, 2018 at 1:00pm — 6 Comments

युद्ध और साम्राज्य

एक राजा के राज्य मे जब प्रजा का असंतोष चरम पर पहुंच गया और साम्राज्य की रक्षा करना असंभव लगने लगा तो वह जंगल मे महात्मा की शरण मे जा पहुंचा ।

       "महात्मा ! विकट परिस्थिति है । उपाय बताएं ।" राजा ने हाथ जोङकर महात्मा से विनती की ।

       "उपाय तो आसान है राजन ।" महात्मा ने कहा "तेरे राज्य की कौनसी सीमा सबसे ज्यादा अशांत है ?"

       "कोई नही ! मेरे तो सभी पङोसी राजाओं से मधुर संबंध है । इससे बाहरी आक्रमण से देश सुरक्षित रहता है ।" राजा ने उत्तर दिया ।

      …

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Added by Mirza Hafiz Baig on March 20, 2018 at 1:00pm — 9 Comments

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