For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Manan Kumar singh's Blog – October 2016 Archive (4)

गीतिका/हिंदी गजल

दीप-पर्व पर(भुजंगप्रयात छंद)

122 122 122 122

*****************************

चलो रोशनी को जगाने चलें हम

अँधेरे यहाँ से हटाने चलें हम।1



रहे माँगते इक किरण का सहारा

लिये दीप कर में जलाने चलें हम।2



बँटे खेत कितनी तरह से अभी हैं

दिलों की लकीरें मिटाने चलें हम।3



बहुत बार देखी नजाकत जहाँ की

जरा नाज अपना दिखाने चलें हम।4



कहानी हुआ भेद बढ़ना यहाँ का

चलो आज पर्दा उठाने चलें हम।5



इशारों पे' अबतक उझकते फिरे… Continue

Added by Manan Kumar singh on October 23, 2016 at 7:30am — 13 Comments

हिंदी गजल/गीतिका(टूटता रहता घरौंदा...)

#गीतिका#

***

टूटता रहता घरौंदा फिर बनाना चाहिये

जोड़कर कड़ियाँ जरा-सा गीत गाना चाहिये।1



जिंदगी से दर्द का बंधन बड़ा मशहूर है

जब समय थोड़ा मिले तो मुस्कुराना चाहिये।2



तीर ये कबके सँजोये चल रहे हैं आजतक

बात पहले की भुला नजदीक आना चाहिये।3



आदमी को आदमी के दर्द का अहसास हो

बस हवा ऐसी बहा गंगा नहाना चाहिये।4



मिल रहीं नजरें यहाँ परवान पन चढ़ता नहीं

आपके दिल में जरा मुझको ठिकाना चाहिये।5



फूल छितराये नहीं ऐसी करूँ… Continue

Added by Manan Kumar singh on October 18, 2016 at 8:00pm — 8 Comments

गजल(लूट का धंधा.....)

2122 2122 2122 212

लूट का धंधा करें जो वे सभी रहबर हुए

जिंस कुछ जिनकी नहीं है आज सौदागर हुए।1



आशियाने जल रहे सब हो रहे बेघर यहाँ,

अब परिंदे क्या उड़ेंगे लग रहा बेपर हुए।2



मिल रही बहकी हवा कातिल बवंडर से अभी,

खरखराते पात सब हर डाल पर अजगर हुए।3



घुल रहा कैसा जहर गमगीन लगती है फिजा,

शब्द वैसे ही धरे हैं अर्थमय आखर हुए।4



है वही अपना गगन भरता गया काला धुआँ,

पूछते पंछी विकल हालात क्यूँ बदतर हुए।5



पत्थरों को फाड़ कर… Continue

Added by Manan Kumar singh on October 10, 2016 at 7:30pm — 9 Comments

गजल

( बेवजह भौंकनेवालों को संबोधित)

रमल मुरब्बा सालिम

2122 2122

***

देख ढ़ेर बवाल मत कर

दोहरी अब चाल मत कर।1



रंग देख हँसे जमाना,

गिरगिटों-सा हाल मत कर।2



हैं सियारों-सी अदाएँ,

शेर वाली खाल मत कर।3



जो लड़ाई लड़ रहा उस

शस्त्र को वाचाल मत कर।4



कर रहा कुछ खुद नहीं तू,

भौंक कर अब ढ़ाल मत कर।5



बुझ गयीं कितनी मशालें,

और अब पामाल मत कर।6



श्वान भी सीमा बचाते,

भौंक,पर बेताल मत… Continue

Added by Manan Kumar singh on October 8, 2016 at 2:30am — 8 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
14 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service