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Hari Prakash Dubey's Blog – April 2015 Archive (4)

झन्नाटा : लघु कथा : हरि प्रकाश दुबे

“गुरु देव !”

“हाँ बोलो बेटा !”

“लेखन में आपने बहुत कुछ सिखा दिया पर !”

“पर क्या ?”

“पर लगता है आप कहीं चूक गए !”

“अच्छा ! कैसे और तुम्हे ऐसा क्यों लगा ?”

“मेरे लेखन मैं वो बात नहीं आ पा रही है !”

अब गुरु जी थोड़ी देर तक सोचते रहे और तभी एक आवाज़ आई ...पटाक !

शिष्य का गाल लाल हो चुका था , आँख के आगे तारे दिखाई देने लगे .

“अब बोलो बेटा !”

“जी ,समझ गया गुरूजी, बस यही ‘झन्नाटा’ नहीं आ पा रहा था !”

 

© हरि प्रकाश…

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Added by Hari Prakash Dubey on April 19, 2015 at 9:30pm — 10 Comments

सौदा : लघु कथा : हरि प्रकाश दुबे

“आपकी लड़की हमको बहुत पसंद है !”

“ बहुत –बहुत शुक्रिया आप दोनों का !”

“ बस बहन जी, थोडा लेन- देन की बात भी...!”

“हाँ-हाँ  क्यों नहीं, भाई-साहब, बहन जी  बताइये- बताइये ?”

“ अरे आप तो जानती हीं हैं आजकल का चलन, और फिर मेरा लड़का अच्छा खासा सरकारी इंजीनीयर है , कम से कम ४० लाख नकद और एक गाडी तो बनती ही है !”  …

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Added by Hari Prakash Dubey on April 15, 2015 at 9:43pm — 10 Comments

अब बसन्त नहीं आएगा: कविता :हरि प्रकाश दुबे

एक पतंग

भर रही थी

बहुत ऊँची उड़ान

विस्तृत गगन में

जैसे, जाना चाहती हो

आसमान को चीरती, अंतरिक्ष में

लहराती, बलखाती, स्वंय पर इठलाती

दे ढील दे ढील, सभी एक स्वर में चिल्ला रहे थे !

कई चरखियाँ

खत्म हो गयीं

सद्दीयों के गट्टू  

मान्झों  के गट्टू

गाँठ, बाँध-बाँध कर

एक के बाद एक ऐसे जोड़े गए

जैसे ये अटूट बंधन है ,कभी नहीं टूटेगा

वो काटा, वो काटा पेंच पर पेंच  लडाये जा रहे थे !

तालियाँ…

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Added by Hari Prakash Dubey on April 6, 2015 at 1:59am — 7 Comments

सर्वश्रेष्ठ कविता : लघुकथा –हरि प्रकाश दुबे

“ कवि सम्मलेन का भव्य आयोजन हो रहा था, सभागार श्रोताओं से खचाखच भरा हुआ था , देश के कई बड़े कवि मंच पर उपस्तिथ थे, मंच संचालक महोदय बार –बार निवेदन कर रहे थे की अपनी सर्वश्रेष्ठ रचना का पाठ करें, इसी श्रृंखला में उन्होंने कहा, अब मैं आमंत्रित करता हूँ, आप के ही शहर से आये हुए श्रधेय कवि विद्यालंकार जी का, तालियों से सभागार गूँज उठा !”

“तभी मंच संचालक महोदय ने उनके कान में कहा ‘सर कृपया १५ मिनट से ज्यादा समय मत लीजियेगा’ !”

“विद्यालंकार जी ने मंच पर आसीन कवियों एवम् श्रोताओं से…

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Added by Hari Prakash Dubey on April 1, 2015 at 12:53am — 2 Comments

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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