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Umesh katara's Blog – April 2014 Archive (3)

कविता--मैं आज भी खडा हूँ उसी मोड़ पर

कभी जिस जगह हम मिले थे

जहाँ फूल मुहब्बत के खिले थे

मैं आज भी खड़ा हूँ उसी मोड़ पर

जहाँ तुम गये थे मुझे छोडकर

हँसी से कोई ऱिश्ता नहीं है

खुशी से दूर तक वास्ता नहीं है

जमाने की कितनी परवाह थी मुझे

अब जमाने की भी कोई परवाह नहीं है

गुजरते हैं लोग इस चौरेहे से

तेरी चर्चा करते हुये

मैंने बहुत को देखा है 

तेरे लिये आह भरते हुये

लेकिन उनकी आह भरने पर

मुझे तरस जरूर आता है

किआज भी हर कोई शख्स

तुझे…

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Added by umesh katara on April 29, 2014 at 8:05am — 15 Comments

फसाना खत्म है मेरा मगर कुछ याद बाकी हैं

पलक पर अश्क मत लाओ मेरे जो बाद बाकी है

फ़साना खत्म है मेरा मगर कुछ याद बाकी हैं

मेरा चर्चा करेंगे लोग महफिल में के जश्नों में

समझलेना दिवाने आज भी आबाद बाकी हैं

हजारों मिन्नतें करलीं खुदा के वास्ते उनसे

रहीं कुछ हसरतें बाकी फकत फरियाद बाकी हैं

मेरे कातिल मेरे दुश्मन जरा कुछ हौंसला रखना

बचाने को मेरी खातिर के कुछ इमदाद बाकी हैं

अ़मन के दुश्मनों से भी जरा कहदो जहाँ वालो

अभी तक आज तक इस देश में आजाद…

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Added by umesh katara on April 20, 2014 at 7:26pm — 17 Comments

मेरी साँसों में तुम ही हो,मेरा अन्दाज भी हो तुम

मेरी धडकन में हो तुम ही,मेरी आबाज भी हो तुम

मेरी साँसों में तुम ही हो,मेरा अन्दाज भी हो तुम 

यहाँ है अब तलक चर्चा हमारी ही मुहब्बत का

मगर मत भूल जाना तुम ,मेरे हमराज भी हो तुम

तुम्हारे ही निशाने पर रहा हूँ मैं हमेशा ही

कभी लगता है क्यों मुझको निशानेबाज भी हो तुम

कभी पल भर मैं ठहरा था, तेरी जुल्फों के साये मे

मुझे अहसास है अब तक ,मेरे सरताज भी हो तुम

गये लम्हों की कहकर थे ,कई अरसे गुजारे हैं

नहीं फिर…

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Added by umesh katara on April 17, 2014 at 8:12am — 14 Comments

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