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Vijayashree's Blog – April 2013 Archive (5)

माँ तुझे प्रणाम

  माँ तुझे प्रणाम

 

धरती सी सहनशील

हिमालय सी शालीन

जीवन का द्वार

स्नेह की बौछार

बस दुलार ही दुलार

ममता का साकार रूप

प्रभात की पहली धूप

प्रारब्ध के पुण्य का फल

पहली साँस महसूस कराने वाली

अंगुल पकड़ चलाने वाली

पहली शिक्षा देने वाली

सबसे पहले आंसू पोंछने वाली

आत्मविश्वास जगाने वाली

जो सब है मेरे पास

उसी का दिया है अहसास

मेरी ख़ुशी मे मुझसे ज्यादा ख़ुश

मेरे गम में मुझसे…

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Added by vijayashree on April 15, 2013 at 8:07pm — 19 Comments

ज़रूरत

आज ज़रूरत है

अपने अंदर झाँकने की

आपसी द्वेष और क्लेश से

ऊपर उठने की

 

सामने पड़ी वस्तु पर तो

शायद हम पैर न रखतें हैं  

पर दूसरों की भावनाओं को

पैरों तले कुचलने में न झिझकते हैं

  

जात -पात वर्ण भेद के मानकों पर

इंसानों को बाँटने में लग गए हैं

एक दूसरे को नीचा दिखाने की हर

प्रतिस्पर्धा में बुरी तरह जुट गए हैं

 

पेड पत्थर कागज़ में तो

भगवान् का प्रतिरूप देख रहे हैं

 भगवान् द्वारा…

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Added by vijayashree on April 13, 2013 at 11:28pm — 13 Comments

जीवनशैली

  जीवनशैली 

उन्हीं रास्तों पर चलते चलते

ना जाने क्यूँ मन उदास हो गया

सोचने लगी दिखावों के चक्कर में

जीवन कितना एकाकी हो गया

संपन जीवनशैली के बावज़ूद

इसमें सूनापन भर गया है

 

मैंने ड्राईवर से कहा –

क्या आज कुछ नया दिखा सकते हो

जो मॉल या क्लबों जैसी मशीनी ना हो

जहाँ जिंदगी साँस ले सकती हो

जो अपने जहाँ जैसी लगती हो

 

ड्राईवर बोला –

मैडम है एक जगह ऐसी

पर वो नहीं है आपके…

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Added by vijayashree on April 12, 2013 at 9:00am — 20 Comments

माँ की सीख -पापा के संस्कार

माँ की सीख पापा के संस्कार

फँसी रहती हूँ इनमें मैं बारम्बार

माँ ने सिखाया था – पति को भगवान मानना

पापा ने समझाया था – गलत बात किसी की न सुनना

 

माँ ने कहा - कितनी भी आधुनिक हो जाना

पर अपने परिजनों का तुम पूरा ख्याल रखना

पढ़लिख आधुनिक बनकर रूढीवादी न बनना

और पुरानी परम्पराओं का भी तुम ख्याल करना......

 

पापा ने बताया - भारतीय संस्कृति बहुत अच्छी है

पर इसकी कुछ मान्यताएं बहुत खोखली हैं

बेटे-बेटी में भेदभाव बहुत…

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Added by vijayashree on April 5, 2013 at 3:30pm — 17 Comments

माँ का दर्द

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Added by vijayashree on April 4, 2013 at 7:00pm — 15 Comments

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
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