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TEJ VEER SINGH's Blog – December 2017 Archive (4)

मृत्यु भोज - लघुकथा –

मृत्यु भोज - लघुकथा –

राघव के स्वर्गीय पिताजी का तीसरा संपन्न हुआ था अतः सारे परिवार के सदस्य आगे क्या करना है, इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे थे।

"क्यों राघव, तेरहवीं का क्या सोचा है? हलवाई बगैरह तय कर दिया या मैं किसी से बात करूं"?

"ताऊजी, आपको तो पता ही है कि पिताजी इन सब पाखंडों के खिलाफ़ थे। और मृत्यु भोज तो उन्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं था। इसीलिये माँ की मृत्यु पर उन्होंने हवन किया और अनाथालय के बच्चों को भोजन कराया था"।

"देख बेटा, तेरे पिता तो चले गये। उनके रीति…

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Added by TEJ VEER SINGH on December 12, 2017 at 6:49pm — 14 Comments

प्रश्न चिन्ह - लघुकथा –

प्रश्न चिन्ह - लघुकथा –

आज छुट्टी थी तो सतीश घर के पिछवाड़े लॉन में अपने दोनों बच्चों के साथ बेडमिंटन खेल रहा था।

 "सतीश,…. सतीश,…. पता नहीं बाहर क्या कर रहे हो? दो तीन बार आवाज़ दी, सुनते ही नहीं हो"?

"क्या हुआ क्यों चिल्ला रही हो सुधा जी। कोई इमरजेंसी आ गयी क्या"?

"हाँ, यही समझ लो"।

"क्या हुआ| कुछ बोलो भी"?

"पैथोलोजी लैब वाला आया था, मम्मी की ब्लड रिपोर्ट दे गया है"।

सतीश ने उत्सुकता से पूछा,"क्या लिखा है"?

"ब्लड कैंसर लिखा…

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Added by TEJ VEER SINGH on December 9, 2017 at 11:33am — 10 Comments

लघुकथा – गप्पी पुत्तू -

लघुकथा – गप्पी पुत्तू -

वैसे  असल नाम तो उसका पुरुषोताम दास था , मगर वह गप्पी इतना तगड़ा था कि सारा गाँव उसे गप्पी पुत्तू कह कर बुलाता था। माँ बाप उसकी इस आदत से इतने परेशान थे कि पूछिये मत।

हर दूसरे दिन स्कूल से माँ बाप को बुलावा आता रहता था। पहली बात तो यह कि वह स्कूल जाता ही बड़ी मुश्किल से था। और कोई ना कोई बहाना बना कर भाग आता था। सारे अध्यापक उसकी आदतों से दुखी थे।

पूरे गाँव में ऐसा कोई नहीं था जो उससे खुश हो। हर कोई उसकी गप्प बाज़ी का शिकार बन चुका था। क्योंकि वह झूठ…

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Added by TEJ VEER SINGH on December 5, 2017 at 11:43am — 8 Comments

लघुकथा -– आँखें -

लघुकथा -– आँखें  -

"सुबोध, यह क्या हिमाक़त है। मुझे पता चला है कि तुमने एक अंधी लड़की से शादी करने का फ़ैसला किया है"?

"जी पिताजी, आपने बिलकुल सही सुना है"।

"तुम्हारा दिमाग तो नहीं खराब हो गया। तुम एक अरबपति व्यापारी की इकलौती संतान हो। साथ ही जाने माने डाक्टर भी हो। तुम्हारे लिये कितने बड़े घरानों से रिश्ते आ रहे हैं, कुछ पता है"?

"मगर मेरा फ़ैसला अटल है"।

"ऐसी क्या वज़ह है जो तुम परिवार के मान सम्मान और प्रतिष्ठा को दॉव पर लगा कर उस मामूली से परिवार की लड़की से…

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Added by TEJ VEER SINGH on December 2, 2017 at 6:16pm — 10 Comments

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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