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Sunanda jha 's Blog – May 2015 Archive (2)

अनमोल मोती : (लघुकथा)

" माँ .... काकी माँ ....बेटी ......दीदी ....", ---चारों ओर से पुकारती ये आवाज़ें सुधा के कानों में अमृत घोलती ।

" सुधा .....! ", --अचानक चौंक गई आवाज़ को सुनकर ।

" क्या लेने आए हो अब ? "-- उसको देखते ही सुधा की आँखों में रोष उतर आया था ।

" मैं बहुत शर्मिन्दा हूँ सुधा ... मुझे माफ कर दो । " -- गिड़गिड़ा रहा था रवि ।

" क्यों वो चली गई क्या किसी और के साथ ; जिसके लिए मुझे छोड़ गए थे । "

" प्लीज़ सुधा ; मैं अपराधी हूँ तुम्हारा । घर चलकर जो भी सजा दोगी मंजूर है । "…

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Added by sunanda jha on May 26, 2015 at 6:30am — 10 Comments

मजबूरी (लघुकथा )

"एइ जे ! हाजरा मोड़ जाएगा ? "

"हाँ साहेब, जाएँगे ।"

"किराया कितना ?"

"बीस टाका !"

"गला काटता है रे ...!! "

"नहीं साहेब , ऑटो तो पचास टाका लेगा ।"

"ओ ले शकता है, पेट्रोल से जो चलता है ना ।"

"ठीक है साहेब ...जो मर्जी दे दीजिएगा ।" पेट्रोल का कीमत सब को पता है, खून का कीमत? सोचता रिक्शा खींचने लगा ।

"बस बस ...! यहीं रोको ...!" दस रूपये रख कर चलता बना ।

जेब से दिन भर की कमाई निकाल कर हिसाब लगा रहा था बुधिया... रिक्शा का किराया देने…

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Added by sunanda jha on May 23, 2015 at 9:30am — 10 Comments

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