For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Rajesh kumari's Blog – April 2012 Archive (9)

भक्षक (लघु कथा )

भक्षक (लघु कथा )

 साहब मेरी बेटी कहाँ है ?हरिया ने हाथ जोड़कर स्थानीय   थाने में बैठे दरोगा से गिड़ गिडाते हुए पूछा |अब होश आया तुझे दो दिन हो गये तेरी बेटी को नहर से निकाला था,हाँ आत्महत्या का प्रयास करने से पहले तेरे पास भी तो आई थी अपनी  ससुराल वालो के अत्याचार का दुखड़ा रोने करी थी क्या तूने उसकी  मदद ,अब आया बेटी वाला |आत्म हत्या भी जुर्म है केस चलेगा अभी लाकअप में बंद है कल आना वकील के साथ लिखत पढ़त करके छोड़ देंगे|पर साहब इन कोठरियों में तो दिखाई नहीं !!!उसकी बात पूरी होने से…

Continue

Added by rajesh kumari on April 29, 2012 at 12:30pm — 16 Comments

कुछ खरी-खरी

कुछ खरी-खरी 

(१)
घर के बीच खिंच रही दीवार 
बुजुर्गों के दिलों में पड़ी दरार  
कैसा दर्दनाक मंजर है किसे देखूं |
(२)
तेरे इस गूंगे घर से तो 
खंडहर  ही बेहतर हैं 
वहां कम से कम पत्थर तो बाते करते हैं |
(३)
तुम लाये हो इक बवंडर छिपा के अपने सीने में 
एक बार तो ये सोचा होता 
ताश के पत्तों से बना है मेरा…
Continue

Added by rajesh kumari on April 27, 2012 at 12:00pm — 14 Comments

आज की नारी

मैं हूँ स्वछन्द ,नीर की बदरी, जहां चाहे बरस जाऊँगी …

Continue

Added by rajesh kumari on April 26, 2012 at 9:00am — 13 Comments

प्रथ्वी दिवस हाइकु

पृथ्वी दिवस हाइकु 

(१ )
धन्य धरित्री 
बचाओ अभियान 
करो संकल्प  
(२ )
सुकृति धरा 
मात्र सम वन्दिता 
जल संचय
(३ )
पूज्य धरिणी
सुमणित प्रकृति 
वन्य रक्षण 
(४ )
सुढर भूमि 
ब्रह्माण्ड गौरव 
शीश नमन
(५ )
भू संरक्षण 
प्रदूषण मिटाओ 
धरा बचाओ 
(६…
Continue

Added by rajesh kumari on April 22, 2012 at 2:30pm — 10 Comments

पिघलते हिमनद

सो रही है दुनिया सारी

तुम हर पल क्यूँ सजग रहे 

कौन व्यथा है दबी हिय में 

किस अगन में संत्रस्त रहे |

घूर रहे क्यूँ रक्तिम चक्षु 

कुपित अधर क्यूँ फड़क रहे 

दावानल से केश खुले क्यूँ 

तन से शोले भड़क रहे |

प्रदूषण ने ध्वस्त किये 

जो, बहु  तेरे संबल रहे 

कतरा -कतरा टूट-टूट कर 

चुपके -चुपके पिघल रहे…

Continue

Added by rajesh kumari on April 12, 2012 at 6:30pm — 19 Comments

खौफनाक चेहरे

हर मजहब के दुःख -दर्द एक सामान होते हैं

फिर क्यूँ पराई पीर से हम अनजान होते हैं

क्यूँ फेंकते पत्थरों को हम उनके घरों पर

जब खुद के भी तो शीशों के मकान होते हैं

उन लोगों की कम सोच का क्या करियेगा

जिनकी वजह से रिश्ते कुछ बेजान होते हैं

बन जाते हैं वो सफ़र में मुसीबतों के सबब

कई दफह जब रास्ते बेहद सुनसान होते हैं

मत छूना कभी जो लावारिस पड़े हैं राह में

मुमकिन हैं छुपे मौत का वो सामान होते हैं

मिलके गले वो घोंप दे खंजर ये क्या पता…

Continue

Added by rajesh kumari on April 5, 2012 at 11:30am — 16 Comments

एक मायावी शब्द

तीन वर्ण और 

एक मायावी शब्द ,

जिसके कर्णपटल में प्रवेश करते ही 
एक मासूम नन्हा बालक 
जो अपने जीवन का
पहला कदम रख रहा है, 
उत्साहित और रोमांचित हो उठता है 
कैसा अद्दभुत  रिश्ता है इस शब्द का 
मन मस्तिष्क की तंत्रिकाओं  से 
जिसके तिलस्मी प्रभाव से 
चार सीढियां चढ़ता हुआ 
इंसान आठ सीढियां चढ़ जाता है |
और एक दिन अम्बर छूने में 
कामयाब…
Continue

Added by rajesh kumari on April 4, 2012 at 10:31am — 10 Comments

वो पीपल का पेड़

कुछ पल मेरी छावं में बैठो तो सुनाऊं

हाँ मैं ही वो अभागा पीपल का दरख्त हूँ

जिसकी संवेदनाएं मर चुकी हैं

दर्द का इतना गरल पी चुका हूँ

कि जड़ हो चुका हूँ !

अब किसी की व्यथा से

विह्वल नहीं होता

मेरी आँखों में अश्कों का

समुंदर सूख चुका है |

बहुत अश्रु बहाए उस वक़्त

जब कोई वीर सावरकर

मुझसे लिपट कर…

Continue

Added by rajesh kumari on April 1, 2012 at 8:00am — 11 Comments

Monthly Archives

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
2 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service