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Dinesh solanki's Blog – May 2013 Archive (4)

हिंदी का आम के लिए सरल उपयोग हो

प्रिय मित्रों, 

हिंदी में आम पाठकों के लिए क्लिष्ट भाषा का उपयोग नहीं होना चाहिए, ऐसा मेरा मानना है. हिंदी निश्चित ही अपार शब्दों का समंदर है जिसमे सरल से लेकर कठिन, उच्च और बौद्धिक शब्दों की भरमार है. साहित्यकारों, हिंदी प्रेमियों, हिंदी विषय के ज्ञाताओं और हिंदी का ज्ञानार्जन करने वालों के सन्मुख क्लिष्ट भाषा का उपयोग समझ आता है मगर जब आम पाठकों, श्रोताओं, दर्शकों की बात सामने आती है तब कवि को, लेखक को, नेता को, साहित्यकार को,  मीडिया को या कोई भी रचनाकार को आम जनता की मनोस्थिति,…

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Added by dinesh solanki on May 31, 2013 at 7:51am — 7 Comments

तब होके रहेगा गोल...!

तब होके रहेगा गोल...!

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पूछा मैंने नन्ही शहरी चिड़िया से

तपती धरती पर तुम क्यों

इस तरह उतर आई .....!

आकाश की ओ स्वछन्द परी,

स्वार्थी इंसानों की दुनिया में

नाहक ही मरने को आयी?

बोली बेचारी मायूस होकर

जहाँ जहाँ था हमारा बसेरा

वहां वहां कट गये वृक्ष के आशियाने

तन गए इंसानों के गगनचुम्बी महल

ये देख हमारी बिरादरी के दिल गए दहल.

अब न मिलती छाँव है

न हवा, न मिलता कहीं जल है.

मैं सोच रही…

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Added by dinesh solanki on May 30, 2013 at 8:30am — 11 Comments

चले चलो, बढे चलो...

चले चलो, बढे चलो...

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बढे चलो, बढे चलो

हिन्द के ओ सुरमाओ

बढे चलो, बढे चलो

सीमाओं की तुम ढाल हो,

रणभूमि की तुम नाल हो,

देश के द्वारपाल हो

माँ के तुम लाडले,

वतन के तुम कर्णधार हो,

बढे चलो बढे चलो

दुश्मन तुम्हे निहार रहा

ताक़त को है ललकार रहा

लहू को अपने उबाल के

जान अपनी वार के

धरती पर उसको मार के

बढे चलो बढे चलो.

-दिनेश सोलंकी

-फोटो महू छावनी के माल रोड का, छाया: दिनेश…

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Added by dinesh solanki on May 23, 2013 at 7:00am — 6 Comments

सोच जनता की नहीं आपके आचरण की बदलनी होगी..

कॉंग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट की उस टिपण्णी पर ऐतराज़ जताया है की सी बी आई को 'तोता' क्यों कहा? यहाँ दिग्गी राजा का कहना सही लगता है की सुप्रीम कोर्ट को टिपण्णी करने के बजाय फैसला देकर जवाबदेही तय करना चाहिए. दरअसल पिछले कुछ समय से आम जनता भी महसूस कर रही है की कोर्ट की सरकारों को दी जाने वाली बार-बार लताड़ का नतीजा आखिर क्या निकलता है. इससे तो आम सन्देश ये भी जा रहा है की कोर्ट द्वारा सख्त टिप्पणियों को करने के बाद भी देश में भ्रष्टाचार, जघन्य अपराधों में कोई कमी नहीं आ…

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Added by dinesh solanki on May 14, 2013 at 7:10am — 2 Comments

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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