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Nilesh Shevgaonkar's Blog – November 2013 Archive (6)

ग़ज़ल -निलेश 'नूर'-बात जो तुम से निभाई न गई

२१२२, ११२२, २२/ ११२   

.

बात जो तुम से निभाई न गई,

बस वही हम से भुलाई न गई.

....

वो नई रोज़ बना ले दुनियाँ,  

हम से किस्मत भी बनाई न गई.

....

थी दरो दिल पे छपी इक तस्वीर,

जल गया जिस्म, मिटाई न गई.

....

बस मेरे हक़ में बयाँ देना था, 

उन से आवाज़ उठाई न गई.

....

ख्व़ाब था दिल से मिला लें हम दिल,

आँख से आँख मिलाई न गई.  

....

हम गले मिलते भला…

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Added by Nilesh Shevgaonkar on November 21, 2013 at 7:30am — 20 Comments

ग़ज़ल -निलेश 'नूर'- रहा देर तक भटकता

२२१ २/१२२ /२२१ २/१२२

.

मेरा जह्न बुन रहा है, हर रब्त रब्त जाले,

पढता ग़ज़ल मै कैसे, लगे हर्फ़ मुझ को काले.

...

मेरी धडकनों का मक़सद मेरी जिंदगी नहीं है,

के ये जिंदगी भी कर दी किसी और के हवाले. 

...

मेरी नाव डूबती है, तेरे साहिलों पे अक्सर,

मुझे काश इस भँवर से तेरी आँधियाँ निकाले.  

...

अगर आ सके, अभी आ, तुझे वास्ता ख़ुदा का,

मेरा दम निकल रहा है, मुझे गोद में समा ले.

...

रहा देर तक भटकता किसी छाँव के लिए वो,…

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Added by Nilesh Shevgaonkar on November 19, 2013 at 3:25pm — 24 Comments

ग़ज़ल -निलेश 'नूर'-किसी के दिल से

1212 1122 1212 22  

...

किसी के दिल से, निगाहों से जो उतर जाए,

भला वो शख्स अगर जाए तो किधर जाए.

...

बहुत उड़ान ये भरता है आसमानों की,  

कोई तो चाँद के दो चार पर क़तर जाए.

...

सुलग रहे है जुदाई की आग में हम तुम,

इस आरज़ू में जले है, ज़रा निखर जाए.

...

पता नहीं हैं हुई क्या हमारी मंज़िल अब,

निकल पड़े हैं जिधर लेके रहगुज़र जाए. 

...

सँभालियेगा इसे आप अब नज़ाक़त से,

कहीं न दिल ये मेरा टूट कर बिखर…

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Added by Nilesh Shevgaonkar on November 18, 2013 at 8:38am — 17 Comments

ग़ज़ल -निलेश 'नूर' ---ख़ुशबू

२ १ २  २   १ १ २ २  १ १ २ २, २ २ /११२



दिल के ज़ख्मों से उठी जब से गुलाबी ख़ुशबू,

शह्र में फ़ैल गई मेरी वफ़ा की ख़ुशबू.

...

ये महक, बात नहीं सिर्फ हिना के बस की,  

गोरी के हाथों महकती है पिया की ख़ुशबू.

...

फूल को ख़ुद में समेटे हुए थी कोई क़िताब,

फूल से आने लगी आज क़िताबी ख़ुशबू. 

...

वो कडी धूप में निकले तो हुआ यूँ महसूस,

जैसे निकली हो पसीने में नहाती ख़ुशबू.  

....

चंद लम्हात गुज़ारे थे तुम्हारे नज़दीक़,  …

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Added by Nilesh Shevgaonkar on November 15, 2013 at 7:41am — 17 Comments

ग़ज़ल -निलेश 'नूर'--उठेगी जब तेरी अर्थी

उठेगी जब तेरी अर्थी, ये नज्ज़ारा नहीं होगा,

चिता को आग देगा, क्या, तेरा प्यारा नहीं होगा?

.

हमारे आंसुओं को तुम जगह लब पर ज़रा दे दो.

यकीं जानों कि इनका ज़ायका खारा नहीं होगा.

.

नज़र मुझ से मिलाकर अब ज़रा वो बेवफ़ा देखे,

फिर उसके पास मरने के सिवा चारा नहीं होगा.

.

बहुत से लोग दुनियाँ में भटकते है मुहब्बत में,

जहां भर में कोई सूरज सा आवारा नहीं होगा.

.

ठहरता ही नहीं है ये कहीं भी एक भी पल को,

समय सा कोई भी फक्कड़ या…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on November 12, 2013 at 10:48pm — 17 Comments

ग़ज़ल-निलेश 'नूर'- चाँद सूरज और सितारे आ गए

२१२२, २१२२, २१२  
चाँद सूरज और सितारे आ गए,
ख्व़ाब में क्या क्या नज़ारे आ गए.    
.

ख़ूब मौका डूबने का था मिला,
और हम फिर भी किनारे आ गए. 
.

जब नज़र की बात नज़रों नें सुनी,  
दरमियाँ क्या कुछ इशारे आ गए.
.

है समाई धडकनों में धडकनें,  
पास वो इतने हमारे आ गए.
.

जब मिला ग़म या ख़ुशी कोई मिली,
आँखों में दो अश्क़ खारे आ गए.   
.
मौलिक व अप्रकाशित 
निलेश 'नूर'

Added by Nilesh Shevgaonkar on November 10, 2013 at 9:30pm — 22 Comments

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