For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Nilesh Shevgaonkar's Blog – June 2021 Archive (2)

ग़ज़ल नूर की -ख़ुद को ऐसे सँवार कर जागा

ख़ुद को ऐसे सँवार कर जागा

यानी उस को पुकार कर जागा.   

.

एक अरसा गुज़ार कर जागा

ख्व़ाब में ख़ुद से हार कर जागा.

.

तेरी दुनिया बहुत नशीली थी

जिस्म को अपने पार कर जागा.

.

आंखें तस्वीर की बिगाड़ी थीं   

उनका काजल सुधार कर जागा.

.

ख़ुद-परस्ती में मैं उनींदा था  

फिर अना अपनी मार कर जागा.

.

शम्स ने तीरगी पहन ली थी

सुब’ह चोला उतार कर जागा.

.

रात भर आईने की आँखों में

दर्द अपने उभार कर जागा. …

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on June 15, 2021 at 9:30am — 8 Comments

ग़ज़ल नूर की - दिल लगाएँ, दिल जलाएँ, दिल को रुसवा हम करें

दिल लगाएँ, दिल जलाएँ, दिल को रुसवा हम करें

चार दिन की ज़िन्दगी में और क्या क्या हम करें?

.

एक दिन बौनों की बस्ती से गुज़रना क्या हुआ

चाहने वो यह लगे क़द अपना छोटा हम करें.

.

हाथ बेचे ज़ह’न बेचा और फिर ईमाँ बिका  

पेट की ख़ातिर भला अब और कितना हम करें?

.

चाहते हैं हम को पाना और झिझकते भी हैं वो  

मसअला यानी है उनका ख़ुद को सस्ता हम करें.

.

इक सितम से रू-ब-रु हैं पर ज़ुबां ख़ुलती नहीं

ये ज़माना चाहता है उस का चर्चा हम करें.…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on June 8, 2021 at 12:00pm — 8 Comments

Monthly Archives

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

नाथ सोनांचली commented on मनोज अहसास's blog post अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास
"आद0 मनोज अहसास जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल हुई है। बधाई स्वीकार कीजिये"
5 hours ago
नाथ सोनांचली commented on AMAN SINHA's blog post मैं रोना चाहता हूँ
"आद0 अमन सिन्हा जी सादर अभिवादन। कविता के दो या तीन भाग करके भी प्रस्तुत किया जा सकता है। बहरहाल…"
5 hours ago
नाथ सोनांचली commented on PHOOL SINGH's blog post सब खैरियत
"आद0 फूल सिंह जी सादर अभिवादन। बढ़िया है"
5 hours ago
नाथ सोनांचली commented on Rachna Bhatia's blog post आलेख - माँ की देखभाल औलाद की नैतिक जिम्मेदारी
"आद0 रचना निर्मल जी सादर अभिवादन। भावुक करने वाला लेख है। क्या कहूँ। निशब्द हूँ"
5 hours ago
नाथ सोनांचली commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बरसों बाद मनायें होली(गीत-२०)-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आद0 लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी सादर अभिवादन। बढ़िया लिखा है आपने"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

केवल तुमको प्यार लिखूँ(गीत-२२) - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

नित्य  तुम्हारे  चन्द्र  रूप  को,  मन  चाहा  शृंगार  लिखूँ ।मैं जीवन के अन्तिम क्षण तक, केवल तुमको…See More
7 hours ago
नाथ सोनांचली posted a blog post

ग़ज़ल (गर आपकी ज़ुबान हो तलवार की तरह)

माना  नज़र  है  तेरी  ख़रीदार  की तरहलेकिन न लूट तू  मुझे  बाज़ार  की तरहरिश्ते  बिगड़ते  देर  तनिक भी…See More
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बरसों बाद मनायें होली(गीत-२०)-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति, स्नेह एवं मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए आभार। "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, क्या यह अब ठीक है ? जीवटता जो लिए कुटज सी, है वही समय से जीता ।हठी न जिसकी रही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"जी, सादर आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय."
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर"
Sunday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service