For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's Blog – January 2022 Archive (7)

नज़्म - शहीद की आरज़ू

2122 - 2122 - 2122 - 212

मुझको पहलू में सुला लेना मेरे प्यारे वतन

अपने आँचल की हवा देना मेरे प्यारे वतन 

आ रहा हूँ तुझसे मिलने जंग के मैदान से 

अपनी बाहों में उठा लेना मेरे प्यारे वतन 

आ मिलूंगा जब तुझे मैं बाज़ुओं में लेके तू

मुझको झूला भी झुला देना मेरे प्यारे वतन

प्यार करना माँ के जैसे चूमकर माथा मेरा    

मुझको सीने से लगा लेना मेरे प्यारे वतन 

ख़ाक अपनी तेरे क़दमों छोड़ जाता हूँ…

Continue

Added by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 27, 2022 at 4:40pm — 2 Comments

ऐ सरहद पर मिटने वाले...(मुसल्सल ग़ज़ल)

22 22 - 22 22 - 22 22 - 22 2

ऐ  सरहद पर  मिटने वाले  तुझ में  जान  हमारी है        

इक तेरी  जाँ-बाज़ी  उनकी  सौ जानों  पर भारी है 

अपने वतन की मिट्टी हमको यारो जान से प्यारी है

ख़ाक-ए-वतन बेजान नहीं ये इस में जान हमारी है

एक …

Continue

Added by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 25, 2022 at 4:37pm — 6 Comments

ग़ज़ल (क़वाफ़ी चंद और अशआर कहने हैं कई मुझको)

1222 - 1222 - 1222 - 1222 

क़वाफ़ी चंद और अशआर कहने हैं कई मुझको

चुनौती दे रहे हैं चाहने वाले नई मुझको 

ये किसने दिलकी चौखट पर ज़बीं ख़म करके रख दी है 

अक़ीदत की मिली है ये इबारत इक नई मुझको 

चले आओ ख़ुतूत-ओ-फ़ोन से ये दिल न बहलेगा 

कि तुम से रू-ब-रू करनी हैं अब बातें कई मुझको 

हवाओं में घुली है फिर वो ख़ुशबू जानी-पहचानी 

सुनाई दी अभी आवाज़ उसकी वाक़ई मुझको 

तेरे पैकर की गर्मी से पिघलता है…

Continue

Added by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 23, 2022 at 1:41pm — No Comments

ग़ज़ल (तुझे है जीतने की धुन तो ये इक़रार ले पहले)

1222 - 1222 - 1222 - 1222

तुझे  है जीतने  की  धुन तो ये  इक़रार ले पहले

न  हारेगा  कभी भी तू  किसी भी हार  से पहले 

अगर  कुंदन  के जैसा  चाहता है तू चमकना तो

ज़रा शो'लों के दरियासे तू  ख़ुद को तारले पहले 

हवाओं की तरह आज़ाद बहना अच्छा लगता है 

तो परवा छोड़  दुनिया की  ज़रा रफ़्तार ले पहले 

फ़रिश्तों  की तरह  मासूम होना है तेरी ख़्वाहिश

इताअत में तू रब की इस ख़ुदी को मार ले पहले  

तुझे महताब…

Continue

Added by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 21, 2022 at 3:47pm — No Comments

ग़ज़ल (जिसको हुआ गुमाँ कि 'ख़ुदा' हो गया है वो)

2212 1211 2212 12

जिसको हुआ गुमाँ कि 'ख़ुदा' हो गया है वो 

रुस्वाई के भंवर में तो ख़ुद जा गिरा है वो

अच्छा भला था 'ख़ुल्द' में 'इब्लीस' हो गया 

झूठी अना की शान को मुन्किर हुआ है वो 

हद से ज़ियाद: ख़ुद पे भरोसे का ये हुआ

थूका जो आस्मान पे मुँह पर गिरा है वो

मिट्टी जो फेंकी चाँद पे मैला नहीं हुआ 

करनी पे अपनी ख़ुद ही तो शर्मा रहा है वो

थोड़ी सी धूप के लिये था जो रवाँ-दवाँ

सूरज को ले के…

Continue

Added by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 17, 2022 at 11:38am — 9 Comments

ग़ज़ल (हँसी में उनकी हमने वो छुपा ख़ंजर नहीं देखा )

1222 - 1222 - 1222 - 1222 

हँसी में उनकी हमने वो छुपा ख़ंजर नहीं देखा 

हसीं मंज़र ही देखा था पस-ए-मंज़र नहीं देखा 

वो जैसा उनको देखा है कोई दिलबर नहीं देखा 

हसीं तो ख़ूब देखे हैं रुख़-ए-अनवर नहीं देखा 

ज़माने में कहीं तुम सा कोई ख़ुद-सर नहीं देखा 

सितमगर तो कई देखे मगर दिलबर नहीं देखा

वो मेरे ज़ाहिरी ज़ख़्मों को मुझसे पूछते हैं क्या 

दिवानों ने कभी दिल में चुभा नश्तर नहीं देखा 

जो कहते थे…

Continue

Added by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 13, 2022 at 6:03pm — 8 Comments

नये साल का तुहफ़ा

नए साल की आमद पर तुझ को 

क्या तुहफ़ा पेश करूँ ऐ दोस्त

ये दिल तो सदा से तेरा है 

अब जान भी तेरी हुई ऐ दोस्त

हर साल के हर नए माह तुझे 

ख़ुशियों का नया पैग़ाम मिले

हर दिन के हर लम्हे तुझसे 

ग़म कोसों दूर रहे ए दोस्त

नाकामी किसे कहते हैं भला 

तुझको न रहे कुछ इसकी ख़बर

थम जाएं कहीं जो तेरे क़दम 

ख़ुद आए वहां मंज़िल ए दोस्त

"मौलिक व अप्रकाशित" 

Added by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 1, 2022 at 12:00am — 4 Comments

Monthly Archives

2023

2022

2021

2020

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service