For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Aazi Tamaam's Blog – February 2021 Archive (7)

ग़ज़ल : "मदारी"

बह्र - मुतक़ारिब मुसम्मन सालिम

अरकान - 122 122 122 122

किसी को मुकम्मल जहाँ देने वाले

किसी को नया आसमां देने वाले

                    **

कि बहती हवा…

Continue

Added by Aazi Tamaam on February 17, 2021 at 4:30am — 3 Comments

ग़ज़ल~ "न मर ही पाये कोई"

बह्र ~ "बह्र-ए- वाफिर मुरब्बा सालिम"  

12112 12112 12112 12112

न चैन पाये है की न सुकूँ .....................ही पाये कोई

ऐसे ले के दर्द ए दिल है जिये.................ही जाये कोई

के चोट जो खाये अपनो से ही ...............अगर

तो ले के भी दिल को अपने कहाँ.............ही जाये कोई

अज़ीब है हाल इश्क में भी.....................सनम है न दवा दिल…

Continue

Added by Aazi Tamaam on February 16, 2021 at 10:00am — No Comments

ग़ज़ल ~ " है स्याही सुर्ख़ फिर अपनी क़लम है ख़ूँ-चकाँ अपना "

122 2122 2122 2122 2

उखाड़ेंगीं भी क्या मिलकर हज़ारों आँधियाँ अपना

पहाड़ों से भी ऊँचा सख़्सियत का है मकां अपना

मिटाकर क्या मिटायेगा कोई नाम-ओ-निशाँ अपना

मुक़ाम ऐसा बनाएंगे ज़मीं पर मेरी जाँ अपना

चला है गर चला है डूबकर मस्ती में कुछ ऐसे

नहीं रोके रुका है फिर किसी से कारवाँ अपना

पहुँचने में जहाँ तक घिस गये हैं पैर लोगों के

वहाँ हम छोड़ आये हैं बनाकर आशियाँ…

Continue

Added by Aazi Tamaam on February 15, 2021 at 3:30pm — 3 Comments

एक और दास्ताँ हुई

21 21 21 21 2

एक और दास्तां सुनो

एक और खूँ चकां हुई

एक और दर्द बड़ गया

एक और राज़दाँ हुई

एक और दाग लग गया

एक और जाँ निहाँ हुई

एक और रूह जम गई

एक और ख़त्म जाँ हुई

एक और आग लग गई

एक और लौ तवाँ हुई

एक और फूल आ गया

एक और सब्ज माँ हुई

एक और हादसा हुआ

एक और बे अमाँ हुई

एक और बचपना गया

एक और रूह जवाँ हुई

एक और…

Continue

Added by Aazi Tamaam on February 14, 2021 at 8:27pm — No Comments

ग़ज़ल~ "जान-ए -जाँ तुम ही वो हसरत वो ख़्वाब लगती हो"

2122 2121 1212 22

तुम जो साड़ी में यूँ खिलता गुलाब लगती हो

दिल ये कहता है की बस लाजवाब लगती हो

                      **

किस तराज़ी से तराशा है तुम्हें रब ने भी

दिल पे लगती हो तो सीधे जनाब लगती हो

                      **

हो गई सारी फ़ज़ा देख कर यूँ ही ताजा

चाँद जैसा है बदन पर खुशाब लगती हो

                      **

रोज़ करते हैं इबादत अज़ब करिश्मा है

आयतों की…

Continue

Added by Aazi Tamaam on February 12, 2021 at 10:30am — No Comments

गजल ~ "कलंदर लोग हैं शीशे से पत्थर तोड़ लेते हैं"

1222 1222 1222 1222

कहानी कोई हो अपने मुआफ़िक़ मोड़ लेते हैं

सभी किरदारों से किरदार अपना जोड़ लेते हैं

बड़ी तकलीफ़ देती हैं के चलती हैं ये साँसें भी

बड़े फाज़िल हैं हम भी रोज़ खुशियाँ जोड़ लेते हैं 

ब-ज़िद हैं आस्तीं के साँप…

Continue

Added by Aazi Tamaam on February 11, 2021 at 10:00am — 2 Comments

रिश्ता निभाता भी रहा

2122 2122 2122 212

प्यार भी करता रहा दिल को जलाता भी रहा

जिंदगी भर मेरी चाहत आज़माता भी रहा

बेबसी की दास्तां किसको सुनाये दिल भला

उम्र भर गम भी रहा और मुस्कुराता भी रहा

बेकरारी में कोई पागल रहा कुछ इस कदर

लौ जलाता भी रहा और लौ बुझाता भी रहा

दिल्लगी भी क्या गज़ब की दास्तां है…

Continue

Added by Aazi Tamaam on February 11, 2021 at 12:00am — 4 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
11 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
22 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
35 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सम्माननीय ऋचा जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल तकआने व हौसला बढ़ाने हेतु शुक्रियः।"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"//मशाल शब्द के प्रयोग को लेकर आश्वस्त नहीं हूँ। इसे आपने 121 के वज्न में बांधा है। जहाँ तक मैं…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है गिरह ख़ूब हुई सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service