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दिनेश कुमार's Blog – July 2016 Archive (1)

ग़ज़ल -- डगर जीवन की जो समतल नहीं है। ( दिनेश कुमार )

1222--1222--122





डगर जीवन की जो समतल नहीं है

मेरी पेशानी पर भी बल नहीं है



समस्या आपकी सुलझाऊँगा मैं

मगर चिंता का कोई हल नहीं है



गवाही दे रही गलियों की रौनक

अभी उस गाँव में गूगल नहीं है



कोई तूफ़ान आएगा यक़ीनन

समन्दर में कहीं हलचल नहीं है



बनारस हो, गया, के हर की पौड़ी

कि अब गंगा कहीं निर्मल नहीं है



उसे हालात की भट्ठी ने ढाला

खरा सोना है वो पीतल नहीं है



मरेगा प्यास से फिर कोई… Continue

Added by दिनेश कुमार on July 4, 2016 at 12:55pm — 6 Comments

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