For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिनेश कुमार's Blog – January 2015 Archive (4)

ग़ज़ल -- कहानियों में हक़ीक़त नहीं हुआ करती

जो दिल कहे वो ज़रूरत नहीं हुआ करती

कहानियों में हक़ीक़त नहीं हुआ करती



तुम्हें गुरेज़ नहीं है यही सबब तो नहीं

बिना फरेब सियासत नहीं हुआ करती



ज़बान दे के पलटना उन्हें मुबारक हो

मैं ख़ुश हूँ, मुझसे तिज़ारत नहीं हुआ करती



मैं कैसे झूठ को सच और सच को झूठ कहूँ

कि एक दिन में ये आदत नहीं हुआ करती



जो चंद पैसों में ईमान बेच देते हैं

उन्हें किसी से रिफ़ाक़त नहीं हुआ करती



वो नामचीन हुए कल जो तिफ्ले-मकतब थे

कभी फ़ुज़ूल मशक़्क़त नहीं हुआ… Continue

Added by दिनेश कुमार on January 28, 2015 at 7:30pm — 15 Comments

ग़ज़ल -- नफ़रत नहीं तो उस से मुझे प्यार भी नहीं। ( इस्लाह हेतु )

221-2121-1221-212



नफ़रत नहीं तो उस से मुझे प्यार भी नहीं.

मेरे लिए वो शख़्श मगर अजनबी नहीं।



दुनिया में बुतपरस्त फ़क़त मैं नहीं ख़ुदा.

तेरे जहाँ में आशिक़ों की कुछ कमी नहीं।



कुछ तो मेरा नसीब ही सहरा की धूप है.

उस पर तुम्हारे प्यार की बौछार भी नहीं।



सहरानवर्द दिल है मिरा आप के बग़ैर.

जब से गए हैं आप मेरी ज़िन्दगी नहीं।



प्यालों को तोड़ कर दिल ए बेज़ार कह उठा.

जामे अजल नहीं तो कोई मयकशी नहीं।



इतना न ग़ौर से मुझे… Continue

Added by दिनेश कुमार on January 9, 2015 at 7:00pm — 20 Comments

तरही गजल

1212-1122-1212-112

" ये सच है काम हमारा तो बेमिसाल नहीं "

मिला सुकून जो दिल को तो अब मलाल नहीं



बिना क़सूर ही मैं बज़्म से निकाला गया

गज़ब के पूछा किसी ने कोई सवाल नहीं



मैं अपने खुद के ही दम पर जहाँ में जी लूँगाा

जो हौंसला हो अगर कुछ भी फिर मुहाल नहीं



वफ़ा की राह पे चल कर किसी को कुछ न मिला

मगर मैं ज़िन्दा हूँ अब तक ये क्या कमाल नहीं



तमाम रात अंधेरे से वो मुकाबिल था

थका थका सा लगे है, दिया निढ़ाल नहीं…



Continue

Added by दिनेश कुमार on January 2, 2015 at 8:22pm — 20 Comments

ग़ज़ल -- मुझ पे कब इख्तियार मेरा है ....

मुझ पे कब इख्तियार मेरा है
यूँ नए साल का सवेरा है.

ख़ैरियत लोग मेरी पूछें जब
ज़ेह्न ने दर्द ही उकेरा है .

इश्क़ बाजों से पूछ कर देखो
चाँद के पार भी बसेरा है.

वक़्त की धुन पे नाचती दुनिया
वक़्त सबसे बड़ा सपेरा है.

धर्म ईमान कुफ़्र की बातें
मुझ पे वाइज़ असर ये तेरा है .

नाम तुझ पर 'दिनेश' जँचता नहीं
तेरी किस्मत में जब अंधेरा है .

दिनेश कुमार
( मौलिक व अप्रकाशित )

Added by दिनेश कुमार on January 1, 2015 at 8:00am — 14 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2018

2017

2016

2015

2014

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
21 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
6 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
13 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
13 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
14 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service