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Maa

ज़िन्दगी और



मौत के बीच



zindagi से lachaar



से पड़ी थी तुम



मन ही मन तब चाहा था मैंने



की आज तक तुम मेरी माँ थी



आज मेरी बेटी बन जाओ



अपने आँचल की छाओं मैं



लेकर करूं तुम्हारा दुलार



अनगिनत



mannaten



खुदा से कर



मांगी थी तुम्हारी जान की खैर









बरसों तुमने मुझे



पाला पोसा और संवारा



सुख सुविधा ने



जब कभी भी… Continue

Added by rajni chhabra on May 9, 2010 at 12:14am — 9 Comments

माँ तुम

माँ तुम ममता का मूर्त रूप

तुम सतरंगी स्नेह -आँचल

तुम मंदिर प्रांगन सी पवित्र

तुम पावन -पुनीत गंगाजल

टेढ़ा -मेढ़ा विकट जीवन जगत

तुम सीधी-सादी सरल प्रांजल

छल ,छदम ,कपट चारों तरफ़

माँ तेरी गोदी निर्मल ,निश्छल

पावक ,अनल सामान जीवन

तुम चन्दन की छाया शीतल

तेरे आशीषों की ज्योत्सना से

पथ मेरा नित -नित उज्जवल

पाने तेरा वात्सल्य सोम -सुधा

ज़न्म-ज़न्म पी लूँ जीवन गरल

तेरी कोख पाने की अभिलाषा में

स्वयं -भू भी है आतुर प्रतिपल

मेरी… Continue

Added by asha pandey ojha on May 8, 2010 at 3:30pm — 16 Comments

सुक्रिया, सुक्रिया, आपको सुक्रिया,

सुक्रिया, सुक्रिया, आपको सुक्रिया,

आपने जो दिल मुझको दिया ,

सुक्रिया, सुक्रिया, आपको सुक्रिया,

आपही से दिन मेरा होता हैं सुरु ,

आपही साम ढले रात होती है सुरु ,

रात हुई सपनों में दरस दिया ,

सुक्रिया, सुक्रिया, आपको सुक्रिया,

कब तलक यैसे मुझे तुम सताओगे ,

चुपके छुपके मिलने कब तक बुलाओगे ,

आपको ही सनम दिल ये दिया ,

सुक्रिया, सुक्रिया, आपको सुक्रिया,

आपका मैं हुआ ये अब जानिए ,

आपही मेरे पिया ओ हजूर मानिये ,

ओ पिया ओ पिया सुक्रिया,… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on May 8, 2010 at 2:00pm — 5 Comments


मुख्य प्रबंधक
तुम गोली चलाते आ जाओ, हम तो गले लगाने बैठे है

तुम गोली चलाते आ जाओ, हम तो गले लगाने बैठे है,

तुम रक्त पात करते रहो, हम अपना लहू बहाने बैठे है,



तुम हिंसा को ही धरम मानते,हम अहिंसा के मतवाले है,

तुम दोनों गालो पर मारते रहो,हम तो गाँधी को मानने वाले है,

हर बार पीठ पर तुमने वार किया, फिर भी हम सीना ताने बैठे है,

तुम गोली चलाते आ जाओ, हम तो गले लगाने बैठे है,



तुम पडोसी धरम निभा न सके, हम भाई धरम निभाते है,

तुम फ़ौरन हमला कर देते, जब हम वार्ता के लिये बुलाते है,

तुम नफरत की आग उगलते हो,हम…

Continue

Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 8, 2010 at 10:30am — 16 Comments

कुछ सच्चाई जो हमेशा प्रभावी होती है, इक नज़र इधर भी...

1...हमें दूसरो के गुणों की प्रशंशा अवस्य करनी चाहिए/

2...सुनना तो हमें सबकी बातों को चाहिए,लेकिन करना हमेशा अपने मन का चाहिए/

3...हमें किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले अच्छी तरह से तैयारी कर लेनी चाहिए/साथ ही हमें बुरे परिणामो के लिए भी तैयार रहना चाहिए

4...अपने गुणों का स्वयं ही बखान करने से पाप और पुण्य दोनों का प्रभाव क्षीण हो जाता है/

5...किसी व्यक्ति को आप अच्छी खबर दे या ना दे,पर बुरी खबर देने से हमेशा बचे/

6...जो कार्य अगले दिन करनी हो,उसकी रूप-रेखा रात को…
Continue

Added by PREETAM TIWARY(PREET) on April 4, 2010 at 12:58pm — 9 Comments

मेरी मुहब्बत थोरी जुदा हैं ,

मेरी मुहब्बत थोरी जुदा हैं ,

मेरा ये दिल तुमपे फ़िदा हैं ,

तेरी अदा मुझको तो भाए ,

तेरी सूरत मन में सजाये ,

तुही तो अब मेरा खुदा हैं ,

मेरी मुहब्बत थोरी जुदा हैं ,



तेरे लिए ही जीना ,

तेरे लिए ही मरना ,

जब तक हैं जीवन ,

तुमसे ही प्यार करना ,

प्यार तू करले प्यार ,

प्यार तू करले यार ,

कातिल बड़ी तेरी अदा हैं ,

मेरी मुहब्बत थोरी जुदा हैं ,



मैं तो ये कहना चाहू ,

बात मेरी मान जा ,

दिल मेरा क्या चाहे ,

ये… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on May 7, 2010 at 2:47pm — 3 Comments

कानून का चक्कर ,

कानून का चक्कर ,

गुनाहगारो के लिए वरदान ,

बेगुनाहों के लिए अभिशाप ,

कारन तारीख पर तारीख ,

बेगुनाह हो जाते हैं फक्कर ,

कानून का चक्कर ,

अब देखिये कसाब को ,

जो बना एक सौ से ज्यादा ,

के गुनाहगार ,

उसको जो भी हो सजा ,

ओ उठाएगा कानून का फायदा ,

करेगा अपील ,

उसे मिल जायेगा कुछ दिन ,

यैसे मामलो में होगा अक्सर ,

कानून का चक्कर ,

सांसदों आप देश हित में ,

कोई कानून बनावो ,

साबुत हो तो येसो को ,

सरे आम फाशी पर चढाओ… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on May 6, 2010 at 1:10pm — 3 Comments

वफ़ा

कसम खुदा की हमे तुमसे प्यार आज भी है

वो दोस्ती की तड़प बरकरार आज भी है



मेरी वफ़ा का तुझे ऐतबार हो की न हो

तेरी वफ़ा का ऐतबार आज भी है



तेरी जुदाई को सदिया गुज़र गयी लेकिन

तेरी जुदाई में दिल अश्कबार आज भी है



हमारी चाह में कोई कमी नहीं आई

तुम्हारे वास्ते सब कुछ निसार आज भी है



वो एक नज़र मुझे बर्बाद कर दिया जिसने

उसी नज़र का मुझे इंतज़ार आज भी है



वफ़ा का रंग मोहब्बत की बू नहीं मिलती

चमन में होने को यू तो बहार आज भी…
Continue

Added by aleem azmi on May 5, 2010 at 9:48pm — 5 Comments

मेरी बातो को जरा समझो ,

मेरी बातो को जरा समझो ,

दर्द भी है यह्सस भी हैं ,

दूर भी हैं ये पास भी हैं ,

मन की ना सुननेवाला ,

मन की ये बिस्वास भी हैं ,

जो मन में आये ओ कह दो ,

मेरी बातो को जरा समझो ,

चाहत इसको कह नहीं सकते ,

फिर भी तुम बिन रह नहीं सकते ,

हस्ती हो तो हसना चाहू ,

रोती हो तो घबराता हु ,

पास मैं चाहू दूर जाती हो ,

मेरी बातो को जरा समझो ,

जाती बाद की बेरी हैं ,

जन चेतना में देरी हैं ,

सोचता हु क्या करू मैं ,

लडू या भाग परु मैं… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on May 5, 2010 at 2:18pm — 3 Comments

जिंदगी थक गयी ऐसे हालात से .

ग़ज़ल
यूँ ना खेला करो दिल के ज़ज्बात से .
जिंदगी थक गयी ऐसे हालात से .
रोज़ मिलते रहे सिर्फ मिलते रहे .
अब तो जी भर गया इस मुलाक़ात से .
ख्वाब में आता हँसता लिपटता सनम .
हो गई आशनाई हमें रात से .
गा रहा था ये दिल हंस रही थी नज़र .
क्या पता आँख भर आई किस बात से .
फन को मापतपुरी पूछता कौन है .
पूछे जाते यहाँ लोग अवकात से .
गीतकार -सतीश मापतपुरी
मोबाइल -9334414611

Added by satish mapatpuri on May 5, 2010 at 2:04pm — 6 Comments

ऐ खुदा इतना भी कमाल न कर

ऐ खुदा इतना भी कमाल न कर
ज़िंदगी में मौत सा हाल न कर
काँटों को इतनी तरज़ीह देकर
यूं फूलों का जीना मुहाल न कर
ये दुनिया इक मुसाफ़िर ख़ाना
इसमें बसने का ख़याल न कर
ग़मे दहर का झगड़ा लेकर
तूं अपने घर में बवाल न कर
दर्द का दरमाँ तड़फ ही है
करके मुहब्बत मलाल न कर
आग बहुत दुनिया में,पानी कम
ये आंसू बेवज़ह पैमाल न कर
याद कर वो माज़ी के मंज़र
तूं अपना बरबादे-हाल न कर
चांदनी की चाह में यूं न पगला
इन अंधेरों से विसाल न कर

Added by asha pandey ojha on May 4, 2010 at 1:30pm — 16 Comments

बिड़ला फाउंडेशन के सरस्वती-व्यास सम्मान के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित(प्रविष्टि भेजने की अंतिम तिथि ३१ मई-२०१०)

केके बिड़ला प्रतिष्ठान ने अपने दो प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कारों सरस्वती सम्मान और व्यास सम्मान के लिए 31 मई तक प्रविष्टियां आमंत्रित की है। विजेता को पांच लाख रूपए प्रदान किए जाएंगे।



प्रतिष्ठान के निदेशक निर्मल कांति भट्टाचार्य ने आज यहां बताया कि भारतीय भाषाओं के लिए दिए जाने वाले सरस्वती सम्मान 2010 के लिए वर्ष 2000 से 2009 के बीच प्रकाशित कृति पर विचार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस सम्मान के लिए काव्य, उपन्यास, लघु कहानियां, हास्य, व्यंग्य, नाटक, प्रस्ताव,…
Continue

Added by Admin on May 4, 2010 at 12:30pm — No Comments

कविता लिख रहा हु कविता की जरुरत हैं ,

कविता लिख रहा हु कविता की जरुरत हैं ,

ना सार की जरुरत हैं ना बिचार के जरुरत हैं ,

कविता लिख रहा हु कविता की जरुरत हैं ,



सोच हो समझ हो इसपर कोई ध्यान ना दे ,

अट पटा लिखे समाज को कुछ ज्ञान ना दे ,

अब लोग भी खोजने लागे कुछ येसा कुछ वैसा ,

समाज और संसकृति से ना लगाव हो जैसा ,

बस मन बहलाने वाला सब्द की जरुरत हैं ,

कविता लिख रहा हु कविता की जरुरत हैं ,



अब रामायण की बाते सुनाने के वास्ते ,

हर कोई से बिनती की चले आना साम को ,

पर बिना… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on May 3, 2010 at 3:00pm — 5 Comments

यह उनका अंदाज़ है

पहले प्यार सिखाते है

फिर दूर कही चले जाते है

ये उनका अंदाज़ है

यादों की भूलभुलैय्या में

सपनो को उलझाते है

चाहत की इस छैय्या में

नफरत की आग बरसाते है

ये उनका अंदाज़ है

आवारा भौरों की तरह

घूम घूम के आते है

मासूम कलियों के संग

चुपके से रस चुराते है

ये उनका अंदाज़ है

साथ रहने की कसमे खाते

आंसू बनकर रुलाते है

चाहे जितना रोको उन्हें

पत्थर दिल हो जाते है

ये उनका अंदाज़ है

देख न पाते प्यार को रोते

खुद सागर में…
Continue

Added by aleem azmi on May 3, 2010 at 12:53pm — 4 Comments

Bhumika..

Dunia ek rangmanch hai. Har vyakti is rangmanch ka kalakaar hai. Sabhi ko is rangmanch par apni bhumika ada karni hoti hai. Kisi ko sajjan ki aur kisi ko durjan ki... Kisi ko Sadhu ki aur kisi ko seth ki... Kisi ko manav ki aur kisi ko maha-manav ki.. Sabhi ko apni bhumika ka chayan karna hai.. Aap kis bhumika ka chayan karenge???????

Added by Vineet Ojha on April 30, 2010 at 9:48pm — 4 Comments

कहीं धूप में

कहीं धूप में जले लोग

कहीं बर्फ में गले लोग



दर्दो-ग़म की बस्ती में

तन्हाई के काफ़िले लोग



बारूदों की तल्ख़ धूप में

खूं-पसीने से गिले लोग



बिन जुर्म जो काटे सज़ा

वो सलीब की कीलें लोग



कुछ पड़े हैं लाशों जैसे

कुछ हैं गिद्द-चीलें लोग



सागर थे जो सूख गए

बचे रेत के टीले लोग



खूं भी नहीं खौलता अब

नहीं होते लाल-पीले लोग



पाप अधम के बाजों पर

नाच रहे रंगीले लोग



दुनिया की फुलवारी… Continue

Added by asha pandey ojha on April 30, 2010 at 8:00am — 16 Comments

"हमे तुमसे कितनी मोहब्बत है"

मेरी जिन्दगी के साथी,

आज तुमको बताते है

की हमे तुमसे कितनी मोहब्बत है.........



जितना चाँद को है चकोर से,

जितना पपिहे को है ओस से,

जितना साँसो को है धड़कन से,

जितना प्यासे को है पानी से,

जितना नदी को है धारे से,

जितना कश्ती को है किनारे से,

जितना खुशबू को है फुल से,

जितना रास्ते को है धुल से,

जितना शमा को है परवाने से,

जितना दिवानी को है दिवाने से,

जितना शराबी को है मयखाने से,

जितना दरवेश को है दरगाह से,

जितना…
Continue

Added by Raju on April 26, 2010 at 10:00pm — 5 Comments

”किसी और के नाम की मेंहदी”

किसी और के नाम की मेंहदी, तुम

अपने हाथो पे रचाने जा रही हो

मेंहदी के इन सूर्ख-लाल रंगो से,तुम

हाथ की लकीरों को छुपाने जा रही हो

उन लकीरों में लिखा था नाम मेरा, तुम

अपने हाथो से मेरा नाम मिटाने जा रही हो

वादा तो था सात-जन्मों तक साथ निभाने का, तुम

इसी जन्म मे साथ छुड़ाने जा रही हो

याद आयेंगे तुम्हे बहुत वो बिते हुए पल, तुम

जिनको हमेशा के लिए भुलाने जा रही हो

वादा करते है रहोगी इस दिल मे ताउम्र, तुम

जिस दिल को तोड़ने जा रही हो

होंगी… Continue

Added by Raju on April 25, 2010 at 9:00am — 4 Comments

"तेरी याद"

तेरी ही यादों मे जीता हुँ
तेरी ही यादों मे मरता हुँ
गुजरे पलों को याद कर
बस तेरे ही ख्यालों मे रहता हुँ
महफिल भी रास नही आती
तन्हाई मे भी तन्हा ही रहता हुँ
सफर अभी कितना लम्बा है
ये सोच के मै घबराता हुँ
मुद्दतें बीत गई तुम्हे देखे हुए
सब्र ना टुट जाऐ ये सोच के डर जाता हुँ
दुर कही जमीं-आसमाँ मिले
ये देख मै भी उम्मीद जगाता हूँ

Added by Raju on April 22, 2010 at 11:06pm — 3 Comments

यादें बस यादें उनकी

हम जब उनको दिल स भुलाने लगते है
और ज्यादा वोह याद आने लगते है

मुझे न जाने क्या क्या कह देते है वोह
मैं कुछ कह दूं तो वो शर्माने लगते है

दिल में किसी के बस जाना आसान नहीं
काम कठिन है इस में ज़माने लगते है

याद तेरी आ जाती है तब काम बहुत
हम जब मुश्किल में घबराने लगते है

आज कोई "अलीम" स चुपके स बोला
आप मुझे जाने पहचाने लगते है .....

Added by aleem azmi on April 19, 2010 at 10:02pm — 5 Comments

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