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Featured Blog Posts – October 2021 Archive (3)

ग़ज़ल नूर की - तमन्नाओं को फिर रोका गया है

तमन्नाओं को फिर रोका गया है

बड़ी मुश्किल से समझौता हुआ है.

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किसी का खेल है सदियों पुराना

किसी के वास्ते मंज़र नया है.

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यही मौक़ा है प्यारे पार कर ले

ये दरिया बहते बहते थक चुका है.

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यही हासिल हुआ है इक सफ़र से  

हमारे पाँव में जो आबला है.

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कभी लगता है अपना बाप मुझ को  

ये दिल  इतना ज़ियादा टोकता है.

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नहीं है अब वो ताक़त इस बदन में

अगरचे खून अब भी खौलता है.

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हम अपनी आँखों से ख़ुद देख आए

वहाँ बस…

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Added by Nilesh Shevgaonkar on October 14, 2021 at 9:00am — 20 Comments

ग़ज़ल -सूनी सूनी चश्म की फिर सीपियाँ रह जाएँगी

वज़्न - 2122 2122 2122 212

ज़ीस्त की शीरीनियों से दूरियाँ रह जाएँगी

बिन तुम्हारे महज़ मुझ में तल्ख़ियाँ रह जाएँगी

वक़्त-ए-रुख़सत अश्क के गौहर लुटाएँगी बहुत

सूनी सूनी चश्म की फिर सीपियाँ रह जाएँगी

रेत पर लिख कर मिटाई हैं जो तुमने मेरे नाम

ज़ह्न में महफ़ूज़ ये सब चिट्ठियाँ रह जाएँगी

बातें मूसीक़ी-सी तेरी हैं मगर कल मेरे साथ

गुफ़्तगू करती हुई ख़ामोशियाँ रह जाएँगी

एक घर हो घर में तुम हो तुमसे सारी…

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Added by Anjuman Mansury 'Arzoo' on October 11, 2021 at 8:30pm — 10 Comments

ग़ज़ल: किसी कँवल का हंसीं ख़ाब देखने के लिये

1212 1122 1212 112

यूँ उम्र भर रहे बेताब देखने के लिये

किसी कँवल का हंसीं ख़ाब देखने के लिये

कहाँ थे देखो सनम हम कहाँ चले आये

वो गुलबदन के वो महताब देखने के लिये

न जाने कब से हक़ीक़त की थी तलब हमको

न जाने कब से थे बेताब देखने के लिये

छुआ तो जाना हर इक ख़्वाब था धुआँ यारो

बचा न कुछ भी याँ नायाब देखने के लिये

क़रीब जा के हर एक चीज खोयी है हमने

लुटे हैं ज़िंदगी शादाब देखने के…

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Added by Aazi Tamaam on October 10, 2021 at 12:00pm — 8 Comments

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
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